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देखिए CM साहब! दिल्ली में बोरिंग का पानी पीने को मजबूर हैं लोग - ETV Delhi

बवाना विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली डीडीए कॉलोनी में पिछले लगभग 13 सालों से पानी की किल्लत है.

सड़के खराब, गंदगी से बेहाल, पानी को तसर रहे लोग
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Published : Mar 2, 2019, 11:02 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली की बवाना विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली डीडीए कॉलोनी में पिछले लगभग 13 सालों से पानी की किल्लत है. कॉलोनी में पीने के पानी की सुविधा न होने के कारण स्थानीय लोग दूसरे ब्लॉक से पानी लाकर गुजारा कर रहे हैं. ऐसे हालात में लोग कैसे जीवन बिता रहे. पढ़ें इस खबर में...

स्थानीय महिलाओं ने पीने के पानी की समस्या बताते हुए कहा कि हम लोग बोरिंग का पानी पीने को मजबूर हो रहे हैं. जल बोर्ड के टैंकर भी नहीं आते. कभी आते भी है तो झुग्गियों में आते है. जहां से सभी पानी भरकर लाना होता है, लेकिन उतने पानी से भी गुजारा नहीं चलता. इस कारण हम बोरिंग का पानी पी कर ही जीवन काट रहे हैं.

सड़के खराब, गंदगी से बेहाल, पानी को तसर रहे लोग

किल्लत होने पर खरीदते हैं पानी
इलाके की महिलाओं का कहना है कि परिवार के सदस्यों के हिसाब से प्यास बुझाने को जुटाया गया पानी कम पड़ जाता है, तो ऐसे में ज्यादातर परिवार पीने का पानी खरीदने को मजबूर हो जा रहे हैं. जिसका असर बढ़ती महंगाई में जेब पर भी पड़ता है. जबकि अभी मौसम ठीकठाक है. गर्मियों में तो यहां और भी बुरे हालात हो जाते हैं.

चरमराई सफाई व्यवस्था
स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां सफाई व्यस्था इतनी बदहाल स्तिथी में है कि हर जगह गंदगी है. सड़कों और नालियों में पानी ही पानी भरा है. सफाईकर्मी इलाके की सफाई करने भी नहीं आते.

बढ़ रहा बीमारियों का खतरा
लोगो का कहना है एक तरफ तो बोरिंग का मैला पानी हमें बीमार बना रहा है तो दूसरी ओर सफाई की बिगड़ती व्यवस्था हमें और भी बीमार बना दे रही है. हर तरफ फैली गंदगी से कई गंभीर बीमारियों के फैलने का डर लगा रहता है.

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पाइप लाइन होने के बाद भी नहीं है पानी
पानी की पाइप लाइन होने के बाद भी केजरीवाल सरकार पानी की सुविधा मुहैया नहीं करवा पा रही है. लोगों का कहना है कि कई बार शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई. हर कोई नेता एक दूसरे पर जिम्मेदारी का ठिकरा फोड़ पल्ला झाड लेता है.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली की बवाना विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली डीडीए कॉलोनी में पिछले लगभग 13 सालों से पानी की किल्लत है. कॉलोनी में पीने के पानी की सुविधा न होने के कारण स्थानीय लोग दूसरे ब्लॉक से पानी लाकर गुजारा कर रहे हैं. ऐसे हालात में लोग कैसे जीवन बिता रहे. पढ़ें इस खबर में...

स्थानीय महिलाओं ने पीने के पानी की समस्या बताते हुए कहा कि हम लोग बोरिंग का पानी पीने को मजबूर हो रहे हैं. जल बोर्ड के टैंकर भी नहीं आते. कभी आते भी है तो झुग्गियों में आते है. जहां से सभी पानी भरकर लाना होता है, लेकिन उतने पानी से भी गुजारा नहीं चलता. इस कारण हम बोरिंग का पानी पी कर ही जीवन काट रहे हैं.

सड़के खराब, गंदगी से बेहाल, पानी को तसर रहे लोग

किल्लत होने पर खरीदते हैं पानी
इलाके की महिलाओं का कहना है कि परिवार के सदस्यों के हिसाब से प्यास बुझाने को जुटाया गया पानी कम पड़ जाता है, तो ऐसे में ज्यादातर परिवार पीने का पानी खरीदने को मजबूर हो जा रहे हैं. जिसका असर बढ़ती महंगाई में जेब पर भी पड़ता है. जबकि अभी मौसम ठीकठाक है. गर्मियों में तो यहां और भी बुरे हालात हो जाते हैं.

चरमराई सफाई व्यवस्था
स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां सफाई व्यस्था इतनी बदहाल स्तिथी में है कि हर जगह गंदगी है. सड़कों और नालियों में पानी ही पानी भरा है. सफाईकर्मी इलाके की सफाई करने भी नहीं आते.

बढ़ रहा बीमारियों का खतरा
लोगो का कहना है एक तरफ तो बोरिंग का मैला पानी हमें बीमार बना रहा है तो दूसरी ओर सफाई की बिगड़ती व्यवस्था हमें और भी बीमार बना दे रही है. हर तरफ फैली गंदगी से कई गंभीर बीमारियों के फैलने का डर लगा रहता है.

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पाइप लाइन होने के बाद भी नहीं है पानी
पानी की पाइप लाइन होने के बाद भी केजरीवाल सरकार पानी की सुविधा मुहैया नहीं करवा पा रही है. लोगों का कहना है कि कई बार शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई. हर कोई नेता एक दूसरे पर जिम्मेदारी का ठिकरा फोड़ पल्ला झाड लेता है.

Intro:बवाना विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली डीडीए कॉलोनी में पिछले लगभग 13 सालों से पानी की किल्लत देखी जा रही है। कॉलोनी में पीने के पानी की सुविधा न होने के कारण स्थानीय लोगों दूसरे ब्लॉक से पानी लेकर गुजारा कर रहे हैं। जिस कारण लोगों को सुबह होते ही पानी जुटाने की चिंता सताने लगती है।


बोरिंग का पानी पी कर रहे गुजारा

स्थानीय महिलाओं ने ईटीवी के कैमरें पर पीने के पानी की समस्या बताते हुए कहा कि हम लोग बोरिंग का पानी पीने को मजबूर हो रहे हैं। जल बोर्ड के टैंकर भी नही आते। कभी आते भी है तो स्लम कॉलोनी में आते है जहां से सभी पानी लेकर आते है जिसकी पूर्ति भी घर मे पूरी नही हो पाती। इसलिये हम बोरिंग का पानी पी ही जीवन काट रहे हैं।




Body:किल्लत होने पर ख़रीदते हैं पानी

इलाके की महिलाओं का कहना है कि परिवार के सदस्यों के हिसाब से प्यास बुझाने को जुटाया गया पानी कम पड़ जाता है तो ऐसे में ज्यादातर परिवार पीने का पानी खरीदने को मजबूर हो जा रहे हैं। जिसका असर बढ़ती महँगाई में जेब पर भी पड़ता है। जबकि अभी मौसम ठीकठाक है गर्मियों में तो यहाँ और भी भूरे हालात हो जाते हैं।


चरमराई सफ़ाई व्यवस्था

स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां सफ़ाई व्यस्था इतनी बदहाल स्तिथी में है कि हर जगह गंदगी व सड़को, नालियों में पानी ही पानी भरा है। न तो कोई सफाईकर्मी इलाके की सफाई को आते है बस मुफ्त की सैलरी निगम से ले रहे हैं। लेकिन सफाई व्यस्था की ओर ध्यान नही दे रहें हैं।



Conclusion:हो रहे बीमार

लोगो का कहना है एक तरफ तो बोरिंग का मैला पानी हमें बीमार बना रहा है तो दूसरी ओर सफाई की बिगड़ती व्यवस्था हमें और भी बीमार बना दे रही है। हर तरफ फ़ैली गंदगी से कई गम्भीर बीमारियों के फ़ैलने का डर लग रहता है। पानी की पाइप लाइन डली होने के बाद भी केजरीवाल सरकार हमें पानी की सुविधा मुहैया नही करवा पा रही है।


नही रेंगती जिम्मेदारों के कान पर जूं

लोगों का कहना है कि कितना भी कुछ कहलो, मगर इन नेताओं के कान पर जूं नही रेंगती। हर कोई नेता एक दूसरे पर जिम्मेदारी का ठिकरा फोड़ पल्ला झाड लेता है पर लोगों की परेशानियों को दूर करने की जिम्मेदारी कोई नही लेता।
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