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अब पढ़ाई बनेगी और दिलचस्प, म्यूजिक और डांस के माध्यम से पढ़ रहे बच्चे - दिल्ली आर्ट्स करिकुलम

दिल्ली सरकार के स्कूलों में अब बच्चे म्यूजिक, डांस, थिएटर, विजुअल आर्ट्स के माध्यम से हिंदी, अंग्रेजी, गणित व अन्य विषय सीखेंगे. दिल्ली सरकार और नालंदा-वे फाउंडेशन के पार्टनरशिप से शुरू हुए ’दिल्ली आर्ट्स करिकुलम’ ने अपने पायलट फेज में शानदार सफलता पाई है.

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Published : Apr 18, 2023, 9:10 PM IST

नई दिल्ली: केजरीवाल सरकार के स्कूलों में अब पढ़ाई को और भी ज्यादा रोचक बनाया जा रहा है. अब बच्चों को हिंदी-अंग्रेजी, गणित व अन्य विषयों को केवल किताबों से नहीं बल्कि म्यूजिक, डांस, थिएटर, आर्ट के माध्यम से सीखाया जाता है. इस दिशा में केजरीवाल सरकार ने नालंदा-वे फाउंडेशन के साथ अपने 9 स्कूलों में ‘दिल्ली आर्ट्स करिकुलम’ के पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी.

जुलाई 2022 से मार्च 2023 तक केजरीवाल सरकार के 9 स्कूलों में चले इस पायलट प्रोजेक्ट को शानदार सफलता मिली और इसके सीखने-सीखाने के तरीकों को बदल दिया. इसकी सफलता को देखते हुए मंगलवार को शिक्षा मंत्री आतिशी की उपस्थिति में इसके रिपोर्ट को लांच किया गया. साथ ही शिक्षा मंत्री ने पायलट के दौरान छात्रों की बनाई गई कलाकृतियों सहित अन्य आर्ट-वर्क की प्रदर्शनी का भी निरीक्षण किया.

इस मौके पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि एक बच्चा जब हर सुबह घर से स्कूल आता है तो वो बहुत उर्जावान होता है और उत्सुकता से भरा होता है. बच्चे की इस उत्सुकता को बरक़रार रखते हुए उसका इस्तेमाल उसे कुछ सीखाने में किया जाए. इसके लिए बेहद जरूरी है कि हम पढ़ने-पढ़ाने के तरीके में कुछ बदलाव लेकर आए. उन्होंने कहा कि दिल्ली आर्ट्स करिकुलम’ के विभिन्न आर्ट फ़ार्म्स से सीखना उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास रहा है, जिसने बच्चों की सीखने की उत्सुकता को बरकरार रखते हुए उन्हें अपनी स्किल्स को पहचानने और आत्मविश्वास के साथ खुद को अभिव्यक्त करना सीखाया है.

क्या है ‘दिल्ली आर्ट्स करिकुलम’? : दिल्ली आर्ट्स करिकुलम, स्टूडेंट्स को आर्ट एजुकेशन देने के तरीकों में बदलाव लाने के उद्देश्य से शुरू की गई है, जो एक महत्वपूर्ण पहल है. इस दिशा में दिल्ली की अनूठी सांस्कृतिक विरासत और विविधता को ध्यान में रखते हुए पिछले कुछ सालों में एक्सपर्ट्स व टीचर्स की एक टीम द्वारा इस करिकुलम को विकसित किया गया है. ये करिकुलम 3 से 13 साल के बच्चों पर फोकस करते हुए डेवलप किया गया है. जहां मौजूदा पढ़ाने के तरीकों को 5 आर्ट फॉर्म्स के माध्यम से जोड़ा गया है. ये 5 आर्ट फॉर्म विजुअल आर्ट्स, म्यूजिक, डांस, थिएटर व मीडिया आर्ट्स है. पायलट फेज के दौरान नर्सरी से कक्षा 5वीं के बच्चों को आर्ट एक्सपोजर और प्रदर्शनी के माध्यम से उनकी अभिव्यक्ति क्षमता को बढ़ाया गया.

म्यूजिक, डांस और विजुअल आर्ट माध्यमों से बच्चों को एल ऐसा मंच प्रदान किया गया, जहां वो विभिन्न विषयों को इन आर्ट फॉर्म्स के माध्यम से सीखने लगे. 'दिल्ली आर्ट्स करिकुलम’ की इस सफलता को देखते हुए इसे केजरीवाल सरकार के और स्कूलों में भी शुरू करने की तैयारी की जा रही है. इन सब के अतिरिक्त पायलट के दौरान शिक्षकों को इससे जुडी ट्रेनिंग भी दी गई.

पायलट फेज के बाद बच्चों में क्या बदलाव देखने को मिले?

  • बच्चों ने इमेजिनेशन के साथ अपने ओरिजिनल आर्ट वर्क बनाए.
  • आर्ट का इस्तेमाल करते हुए बच्चे अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करने लगे.
  • क्लास में बच्चों की उपस्थिति और सहभागिता बढ़ी.
  • बच्चों ने अपनी स्किल्स को समझा और टीम में काम करना सीखा है.

इसे भी पढ़ें: BBC Documentary Controversy: दिल्ली हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी, DU ने छात्र पर प्रतिबंध लगाने में दिमाग का इस्तेमाल नहीं किया

नई दिल्ली: केजरीवाल सरकार के स्कूलों में अब पढ़ाई को और भी ज्यादा रोचक बनाया जा रहा है. अब बच्चों को हिंदी-अंग्रेजी, गणित व अन्य विषयों को केवल किताबों से नहीं बल्कि म्यूजिक, डांस, थिएटर, आर्ट के माध्यम से सीखाया जाता है. इस दिशा में केजरीवाल सरकार ने नालंदा-वे फाउंडेशन के साथ अपने 9 स्कूलों में ‘दिल्ली आर्ट्स करिकुलम’ के पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी.

जुलाई 2022 से मार्च 2023 तक केजरीवाल सरकार के 9 स्कूलों में चले इस पायलट प्रोजेक्ट को शानदार सफलता मिली और इसके सीखने-सीखाने के तरीकों को बदल दिया. इसकी सफलता को देखते हुए मंगलवार को शिक्षा मंत्री आतिशी की उपस्थिति में इसके रिपोर्ट को लांच किया गया. साथ ही शिक्षा मंत्री ने पायलट के दौरान छात्रों की बनाई गई कलाकृतियों सहित अन्य आर्ट-वर्क की प्रदर्शनी का भी निरीक्षण किया.

इस मौके पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि एक बच्चा जब हर सुबह घर से स्कूल आता है तो वो बहुत उर्जावान होता है और उत्सुकता से भरा होता है. बच्चे की इस उत्सुकता को बरक़रार रखते हुए उसका इस्तेमाल उसे कुछ सीखाने में किया जाए. इसके लिए बेहद जरूरी है कि हम पढ़ने-पढ़ाने के तरीके में कुछ बदलाव लेकर आए. उन्होंने कहा कि दिल्ली आर्ट्स करिकुलम’ के विभिन्न आर्ट फ़ार्म्स से सीखना उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास रहा है, जिसने बच्चों की सीखने की उत्सुकता को बरकरार रखते हुए उन्हें अपनी स्किल्स को पहचानने और आत्मविश्वास के साथ खुद को अभिव्यक्त करना सीखाया है.

क्या है ‘दिल्ली आर्ट्स करिकुलम’? : दिल्ली आर्ट्स करिकुलम, स्टूडेंट्स को आर्ट एजुकेशन देने के तरीकों में बदलाव लाने के उद्देश्य से शुरू की गई है, जो एक महत्वपूर्ण पहल है. इस दिशा में दिल्ली की अनूठी सांस्कृतिक विरासत और विविधता को ध्यान में रखते हुए पिछले कुछ सालों में एक्सपर्ट्स व टीचर्स की एक टीम द्वारा इस करिकुलम को विकसित किया गया है. ये करिकुलम 3 से 13 साल के बच्चों पर फोकस करते हुए डेवलप किया गया है. जहां मौजूदा पढ़ाने के तरीकों को 5 आर्ट फॉर्म्स के माध्यम से जोड़ा गया है. ये 5 आर्ट फॉर्म विजुअल आर्ट्स, म्यूजिक, डांस, थिएटर व मीडिया आर्ट्स है. पायलट फेज के दौरान नर्सरी से कक्षा 5वीं के बच्चों को आर्ट एक्सपोजर और प्रदर्शनी के माध्यम से उनकी अभिव्यक्ति क्षमता को बढ़ाया गया.

म्यूजिक, डांस और विजुअल आर्ट माध्यमों से बच्चों को एल ऐसा मंच प्रदान किया गया, जहां वो विभिन्न विषयों को इन आर्ट फॉर्म्स के माध्यम से सीखने लगे. 'दिल्ली आर्ट्स करिकुलम’ की इस सफलता को देखते हुए इसे केजरीवाल सरकार के और स्कूलों में भी शुरू करने की तैयारी की जा रही है. इन सब के अतिरिक्त पायलट के दौरान शिक्षकों को इससे जुडी ट्रेनिंग भी दी गई.

पायलट फेज के बाद बच्चों में क्या बदलाव देखने को मिले?

  • बच्चों ने इमेजिनेशन के साथ अपने ओरिजिनल आर्ट वर्क बनाए.
  • आर्ट का इस्तेमाल करते हुए बच्चे अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करने लगे.
  • क्लास में बच्चों की उपस्थिति और सहभागिता बढ़ी.
  • बच्चों ने अपनी स्किल्स को समझा और टीम में काम करना सीखा है.

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