नई दिल्ली: महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए हुए मतदान के एक तरफ नतीजे आ रहे थे तो दूसरी तरफ केंद्रीय गृह राज्यमंत्री और दिल्ली विधानसभा चुनाव के सह प्रभारी नित्यानंद राय ने दिल्ली में होने वाले चुनाव को लेकर अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया.
दिल्ली के रोहिणी सेक्टर 29 में उत्तर पश्चिमी जिला कार्यालय के उद्घाटन अवसर पर नित्यानंद राय ने वहां मौजूद कार्यकर्ताओं को स्पष्ट कहा कि दिल्ली अगर हम हारे तो, हम खुद से हारेंगे और हारने वाले की कहीं पूछ नहीं होती है.
केजरीवाल के घोषणाओं पर की टिप्पणी
दीपावली को लेकर नित्यानंद राय ने मंच से साफ किया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में हमारी जीत हुई तो ना केवल दिल्ली बल्कि पूरे देश में लोग दोबारा दीपावली के त्यौहार को मनाएंगे. प्रत्येक भाजपा का कार्यकर्ता जो अखंड भारत का सपना देखता है वे चाहते हैं कि दिल्ली में भी उनकी पार्टी की सरकार हो, इन दिनों चुनावी वर्ष में जिस तरह अरविंद केजरीवाल एक से एक घोषणाएं कर रहे हैं.
'ऐसी सरकार को हमें बदलना होगा'
इस पर भी टिप्पणी करते हुए नित्यानंद राय ने कहा कि सारा काम केंद्र सरकार कर रही है उसमें थोड़ा सा जोर देकर केजरीवाल सरकार अपने श्रेय लेने में लग जाती है झूठी वाहवाही लेने वाली ऐसी सरकार को हमें बदलना होगा.
वहीं बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए नित्यानंद राय ने दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतने के लिए सभी कार्यकर्ताओं को जी जान से जुट जाने को कहा. क्योंकि दिल्ली देश की राजधानी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा सब चाहते हैं कि दिल्ली में भाजपा की सरकार बने.
'केंद्र सरकार की 100 से अधिक योजनाएं हैं'
उन्होंने मंच से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी का नाम लेकर यह कहा कि केंद्र सरकार की 100 से अधिक योजनाएं हैं, जिनका लाभ देश के अन्य राज्यों में लोगों को मिल रहा है. लेकिन दिल्ली के लोग इससे वंचित हैं. हम दिल्ली वालों को केंद्र की योजना का लाभ देना चाहते हैं और यह तभी संभव होगा जब दिल्ली में हमारी सरकार होगी.
बता दें कि दिल्ली में फरवरी में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है. चुनावी वर्ष होने से बीजेपी इन दिनों हर कदम फूंक-फूंक कर रख रही है. बुधवार को दिल्ली के अनाधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने संबंधी केंद्र सरकार के फैसले को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है. बीजेपी का मानना है कि ये फैसला दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए तुरुप का पत्ता साबित हो सकता है.