नई दिल्ली: नरेला से भाजपा के निगम पार्षद सविता खत्री पार्टी से निकाले जाने के बाद आम आदमी पार्टी में शामिल हो गई हैं. हाल ही में हुये ज़ोन चेयरमैन चुनाव में नरेला निगम पार्षद सविता खत्री ने पार्टी के विरोध में वोटिंग किया था. जिसके बाद यह माना जा रहा है कि सविता खत्री को पार्टी से निकाला गया और उन्होंने आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया.
अब यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि निगम चुनाव में कुछ ही महीनों का समय बचा है, जिसके बाद हो सकता है आम आदमी पार्टी उन्हें दोबारा से पार्षद के टिकट पर चुनाव लड़ाएगी, लेकिन सविता खत्री इन सब बातों को दरकिनार करते हुए कहती हैं कि पार्टी में कार्यकर्ताओं को तवज्जो नहीं मिल रही थी, जूनियर कार्यकर्ताओं को शीर्ष पदों पर बिठाया जा रहा था, जिससे उन्हें नाराजगी हुई और उन्होंने भाजपा को छोड़ दिया और आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में नरेला की पार्षद सविता खत्री ने बताया कि 2017 निगम चुनाव से महज करीब 1 सप्ताह पहले भाजपा के कार्यक्रम के दौरान "आप " के पूर्व कानून मंत्री संदीप कुमार के साथ मंच साझा करने पर पार्टी ने उन्हें हटा दिया था और केवल 279 सीटों पर ही चुनाव लड़ने का ऐलान किया था. बिना किसी बड़े बैनर के उन्होंने नरेला से निगम पार्षद का चुनाव लड़ा और अपने प्रतिद्वंदी को करीब 5 हजार वोटों से हराते हुए जीत हासिल की. इसके बाद उन्होंने दोबारा से भाजपा ज्वाइन की और लंबे समय तक भाजपा में रहीं.
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निगम पार्षद ने बताया कि वह और उनका परिवार भाजपा के पुराने कार्यकर्ता है और करीब 25 सालों से भाजपा के लिए क्षेत्र में काम भी कर रही हैं लेकिन पार्टी की कार्यकर्ता विरोधी की नीतियों के चलते कई कार्यकर्ता परेशान हैं, जिसके बाद उन्होंने पार्टी छोड़ दी है.
हाल ही में निगम जोन चेयरमैन के लिए होना हुए चुनाव के दौरान भी पार्टी के विरोध में जाकर सविता खत्री ने आम आदमी पार्टी को वोट दिया और नरेला जोन में बाकनेर वार्ड के आप निगम पार्षद राम नारायण भारद्वाज चेयरमैन बने. जिसके बाद पार्टी के शीर्ष नेताओं ने सविता खत्री पर कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया और वह आम आदमी पार्टी में शामिल हो गईं. उन्होंने बताया कि क्षेत्र में आम आदमी पार्टी के विधायक शरद चौहान की मदद से उन्होंने इलाके में करीब 50 करोड़ रुपये के करवाए हैं. उन्हें कभी नहीं लगा कि विधानसभा में विरोधी पार्टी का विधायक है.
निगम पार्षद सविता खत्री ने बताया कि भाजपा शाषित नगर निगम बार-बार दिल्ली सरकार पर फंड न देने के लिए आरोप लगाती रही, निगमकर्मियों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. जिसकी वजह से कर्मचारियों को सैलरी नहीं मिल रही थी और कर्मचारी लगातार अपने प्रतिनिधियों पर दबाव बना रहे थे. दिल्ली में पिछले 15 सालों से भाजपा नगर निगम में शासन कर रही है, लेकिन कभी भी नगर निगम में काम करने वाले कर्मचारी शिक्षक, डॉक्टर या फिर सफाई कर्मचारी सभी परेशान हैं. सालों से सफाई कर्मियों को पक्का नही किया गया, जिसके बारे में नेताओं से भी कहा गया, कहीं ना कहीं इन लोगों की परेशानी को देखकर निगम पार्षद का मन विचलित हुआ और उन्होंने पार्टी को छोड़ने का भी निर्णय किया.
अब कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि आम आदमी पार्टी में शामिल होकर सविता खत्री दोबारा से क्षेत्र में निगम पार्षद का चुनाव लड़ेंगी. भाजपा अपनी नीतियों में हर बार चुनाव से पहले बदलाव करती है और सिटिंग प्रतिनिधियों में बदलाव करती है, जिसकी वजह से उन्होंने आम आदमी पार्टी का दामन थामा है. उन्होंने कहा कि जब दिल्ली में एक ही पार्टी की सरकार दोनो सदनों में होगी तो दिल्ली का विकास और भी ज्यादा होगा.