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121 नेताओं ने सांसद रहते सरकारी बंगलों में करवाया अवैध निर्माण! RTI से बड़ा खुलासा

आरटीआई एक्टिविस्ट हरपाल राणा ने बताया कि सांसदों ने अपने बंगलों में सरकारी नियमों के खिलाफ जाकर काफी छेड़छाड़ की है. आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार 2009 से 2014 के बीच 19 केंद्रीय मंत्रियों ने अपने बंगलों में अवैध तरीके से निर्माण कराया. जिसमें तत्कालीन कांग्रेस के कई बड़े नेताओं के नाम शामिल हैं.

121 सांसदों ने सरकारी बंगलों में करवाया अवैध निर्माण! RTI से बड़ा खुलासा
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Published : Apr 30, 2019, 4:18 PM IST

Updated : Apr 30, 2019, 6:36 PM IST

नई दिल्ली: एक आरटीआई के जरिए 121 सांसदों के अवैध कारनामे सामने आए हैं. इन सांसदों पर आरोप है कि इन्होंने नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए सरकारी बंगलों में तोड़-फोड़ करवाया है. इसका दावा आरटीआई एक्टिविस्ट हरपाल राणा अपने आरटीआई के आधार पर कर रहे हैं.

कई बड़े नेताओं के नाम शामिल

आरटीआई एक्टिविस्ट हरपाल राणा ने बताया कि सांसदों ने अपने बंगलों में सरकारी नियमों के खिलाफ जाकर काफी छेड़छाड़ की है. आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार 2009 से 2014 के बीच 19 केंद्रीय मंत्रियों ने अपने बंगलों में अवैध तरीके से निर्माण कराया. जिसमें UPA 2 सरकार के कई बड़े मंत्रियों के नाम शामिल हैं.

121 सांसदों ने सरकारी बंगलों में करवाया अवैध निर्माण! RTI से बड़ा खुलासा


आरटीआई रिपोर्ट के अनुसार अंबिका सोनी, प्रफुल्ल पटेल, शरद पवार, गुलाम नबी आजाद, कुमारी शैलजा, केपीएस गिल, ज्योतिरादित्य सिंधिया, श्री प्रकाश जयसवाल, कपिल सिब्बल, सचिन पायलट, कृष्णा तीरथ, मल्लिकार्जुन खड़गे समेत और भी कई बड़े नेताओं ने अपने बंगलों के अंदर अवैध तरीके से निर्माण करावाया था.


जानकारी के मुताबिक सांसदों को मिलने वाले बंगले में 8 कमरे और एक गैराज के साथ नौकरों के लिए अलग से 4 कमरे होते हैं, लेकिन सांसद इनमें कई बार अपनी सहूलियत के लिए अवैध तरीके से किचन, बेडरूम, डायनिंग रूम, गैराज में तोड़फोड़ कर सरकारी बंगले में बदलाव करते हैं. जबकि सीपीडब्ल्यूडी के अनुसार सांसदों को जो बंगले दिए जाते हैं, उनमें इस तरह के अवैध काम की जरूरत ही नहीं होती है.

UPA सरकार के समय हुए थे ये बदलाव
आरटीआई एक्टिविस्ट हरपाल राणा कहते हैं कि यदि आम जनता अपने घर में सुविधा के हिसाब से अवैध निर्माण कर ले तो सरकारी दस्ता तोड़ने के लिए तुरंत आ जाता है, लेकिन जब सांसदों के घर में अवैध निर्माण किया जाता है तो वह न तो सरकार को और न ही संबंधित एजेंसियों को दिखाई देता है.


हरपाल राणा ने कहा कि क्योंकि यह सांसदों के बंगले हैं और जो अपने लिए कानून न बना कर देश की जनता के लिए कानून बनाते हैं. जबकि देश में कानून सभी के लिए एक समान होता है.
उन्होंने बताया कि यह जानकारी 2010 में सरकार की ओर से उन्हें दी गई, जिसमें 121 सांसदों के नाम है, लेकिन अभी तक एक बार भी उनपर कार्रवाई नहीं हुई. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए कहा था कि सांसदों के बंगलों में किए गए अवैध निर्माण को 3 महीने के अंदर तोड़ा जाएगा.


हरपाल राणा ने कहा कि हो सकता है, सांसद जनता के पैसे से ही अपने बंगले में अवैध निर्माण करा रहे हों? इसकी जांच होनी चाहिए. क्योंकि जनता का पैसा देश को मजबूत करने के लिए होता है, ना कि सांसदों के बंगलों के अवैध निर्माण के लिए.

नई दिल्ली: एक आरटीआई के जरिए 121 सांसदों के अवैध कारनामे सामने आए हैं. इन सांसदों पर आरोप है कि इन्होंने नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए सरकारी बंगलों में तोड़-फोड़ करवाया है. इसका दावा आरटीआई एक्टिविस्ट हरपाल राणा अपने आरटीआई के आधार पर कर रहे हैं.

कई बड़े नेताओं के नाम शामिल

आरटीआई एक्टिविस्ट हरपाल राणा ने बताया कि सांसदों ने अपने बंगलों में सरकारी नियमों के खिलाफ जाकर काफी छेड़छाड़ की है. आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार 2009 से 2014 के बीच 19 केंद्रीय मंत्रियों ने अपने बंगलों में अवैध तरीके से निर्माण कराया. जिसमें UPA 2 सरकार के कई बड़े मंत्रियों के नाम शामिल हैं.

121 सांसदों ने सरकारी बंगलों में करवाया अवैध निर्माण! RTI से बड़ा खुलासा


आरटीआई रिपोर्ट के अनुसार अंबिका सोनी, प्रफुल्ल पटेल, शरद पवार, गुलाम नबी आजाद, कुमारी शैलजा, केपीएस गिल, ज्योतिरादित्य सिंधिया, श्री प्रकाश जयसवाल, कपिल सिब्बल, सचिन पायलट, कृष्णा तीरथ, मल्लिकार्जुन खड़गे समेत और भी कई बड़े नेताओं ने अपने बंगलों के अंदर अवैध तरीके से निर्माण करावाया था.


जानकारी के मुताबिक सांसदों को मिलने वाले बंगले में 8 कमरे और एक गैराज के साथ नौकरों के लिए अलग से 4 कमरे होते हैं, लेकिन सांसद इनमें कई बार अपनी सहूलियत के लिए अवैध तरीके से किचन, बेडरूम, डायनिंग रूम, गैराज में तोड़फोड़ कर सरकारी बंगले में बदलाव करते हैं. जबकि सीपीडब्ल्यूडी के अनुसार सांसदों को जो बंगले दिए जाते हैं, उनमें इस तरह के अवैध काम की जरूरत ही नहीं होती है.

UPA सरकार के समय हुए थे ये बदलाव
आरटीआई एक्टिविस्ट हरपाल राणा कहते हैं कि यदि आम जनता अपने घर में सुविधा के हिसाब से अवैध निर्माण कर ले तो सरकारी दस्ता तोड़ने के लिए तुरंत आ जाता है, लेकिन जब सांसदों के घर में अवैध निर्माण किया जाता है तो वह न तो सरकार को और न ही संबंधित एजेंसियों को दिखाई देता है.


हरपाल राणा ने कहा कि क्योंकि यह सांसदों के बंगले हैं और जो अपने लिए कानून न बना कर देश की जनता के लिए कानून बनाते हैं. जबकि देश में कानून सभी के लिए एक समान होता है.
उन्होंने बताया कि यह जानकारी 2010 में सरकार की ओर से उन्हें दी गई, जिसमें 121 सांसदों के नाम है, लेकिन अभी तक एक बार भी उनपर कार्रवाई नहीं हुई. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए कहा था कि सांसदों के बंगलों में किए गए अवैध निर्माण को 3 महीने के अंदर तोड़ा जाएगा.


हरपाल राणा ने कहा कि हो सकता है, सांसद जनता के पैसे से ही अपने बंगले में अवैध निर्माण करा रहे हों? इसकी जांच होनी चाहिए. क्योंकि जनता का पैसा देश को मजबूत करने के लिए होता है, ना कि सांसदों के बंगलों के अवैध निर्माण के लिए.

Intro:नार्थवेस्ट दिल्ली,

बाईट-- हरपाल राणा

फीड मोजो के अलावा ftp से भी प्रयोग में ले ।

feed..ftp.. 30 Apr. illegal construction story

स्टोरी... सांसदों का काम कानून बनाना होता है, लेकिन दिल्ली के ज्यादातर सरकारी बंगलों में अवैध निर्माण करा कर कानून को ताक पर रखा जा रहा है । चाहे बाद बंगले की दीवार तोड़ने की हो, किचन बड़ा करने की हो, अतिरिक्त कमरा बनाने की हो, ऑफिस बनाने की हो, हेरिटेज इमारतों में नियमों की धज्जियां उड़ाकर कानून के रखवाले की मनमर्जी की या फिर अपनी सुविधाओं के हिसाब से बंगले में तोड़फोड़ कर नई इमारत बनाने की । 121 सांसदों द्वारा की गई मनमानी का खुलासा आरटीआई के जरिए मांगी गई जानकारी में हुआ है और इसका दावा आरटीआई एक्टिविस्ट हरपाल राणा अपने आरटीआई के आधार पर कर रहे हैं ।


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आरटीआई एक्टिविस्ट हरपाल राणा ने बताया कि सांसदों ने अपने बंगलों में सरकारी नियमों के खिलाफ जाकर काफी छेड़छाड़ की है । जब कानून बनाने वाले ही ऐसा करेंगे तो, जनता भला कैसे पीछे रहेगी । एक आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार 2009 से 2014 के बीच 19 केंद्रीय मंत्रियों ने अपने बंगलों के में अवैध तरीके से निर्माण कराया । जिसमें तत्कालीन कांग्रेस के कई बड़े नेता का नाम है अंबिका सोनी, प्रफुल पटेल, शरद पवार, गुलाम नबी आजाद, कुमारी शैलजा, केपीएस गिल, ज्योतिराजदित्य सिंधिया, श्री प्रकाश जयसवाल, कपिल सिब्बल, सचिन पायलट, कृष्ण तीरथ, मलिकार्जुन खड़गे समेत कई बड़े नेताओं के अपने बंगलों के अंदर अवैध तरीके से निर्माण कराया हुआ है ।

सांसदों को मिलने वाले बंगले में 8 कमरे और एक गराज के साथ नौकरों के लिए अलग से 4 कमरे होते हैं । लेकिन सांसद इनमें कई बार अपनी सहूलियत के लिए अवैध तरीके से किचन, बैडरूम, डायनिंग रूम, गराज में तोड़फोड़ कर सरकारी बंगले में बदलाव करते हैं, साथ ही अतिरिक्त निर्माण भी कराते हैं । जबकि सीपीडब्ल्यूडी के अनुसार सांसदों को जो बंगले दिए जाते हैं उनमें इस तरह के अवैध काम की जरूरत ही नहीं होती । लेकिन फिर भी सांसद अपनी सहूलियत के हिसाब से बंगले के अंदर अवैध निर्माण कराते हैं ।

आरटीआई एक्टिविस्ट हरपाल राणा कहते हैं कि यदि आम जनता अपने घर में मानक के हिसाब से अवैध निर्माण कर ले तो सरकारी दस्ता तोड़ने के लिए तुरंत आ जाता है । लेकिन जब सांसदों के घर में अवैध निर्माण किया जाता है तो वह न तो सरकार को और न ही संबंधित एजेंसियों को दिखाई देता है क्योंकि यह सांसदों के बंगले हैं और जो अपने लिए कानून न बना कर देश की जनता के लिए कानून बनाते हैं । जबकि देश में कानून सभी के लिए एक समान होता है । साथ ही हरपाल राणा ने बताया कि यह जानकारी 2010 में सरकार की ओर से उन्हें दी गई जिसे दोनो सरकारों के 121 सांसदों के नाम है । लेकिन अभी तक एक बार भी उनके बंगलों पर कार्यवाही नहीं हुई । जबकि सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए कहा था कि सांसदों के बंगलों में किए गए अवैध निर्माण को 3 महीने के अंदर तोड़ा जाएगा । सालों बीत जाने के बाद भी एक ईट भी नहीं हटाई गई है । यदि जनता इस तरह का कोई अवैध निर्माण कर ले तो उनका पूरा मकान ही तोड़ दिया जाता है, तो फिर सांसदों और जनता में इतना भेदभाव क्यों ।


Conclusion:
यह जानकारी सरकार की ओर से केवल कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान की दी गई है। जबकि कई बार भाजपा सरकार के मौजूदा सांसदों के बारे में भी आरटीआई एक्टिविस्ट ने जानकारी हासिल करने की कोशिश की । लेकिन सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है । साथ ही इनका कहना है कि हो सकता है सांसद जनता के पैसे से ही अपने बंगले में अवैध निर्माण करा रहे हो, इसकी जांच होनी चाहिए क्योंकि जनता का पैसा देश को मजबूत करने के लिए होता है ना कि सांसदों के बंगलों अवैध निर्माण के लिए । ऐसा नहीं है कि भाजपा सरकार के मौजूदा सांसदों ने भी अपने बंगले में अवैध निर्माण नहीं कराया हो, लेकिन सरकार कहीं ना कहीं इस जानकारी को छिपा रही है । संबंधित एजेंसियों को मामले की जांच करनी चाहिए और तुरंत ही संज्ञान लेकर सरकारी बंगलो में हो रहे अवैध निर्माण को हटाना चाहिए ।
Last Updated : Apr 30, 2019, 6:36 PM IST
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