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1976 में इंदिरा गांधी ने बसाई थी कॉलोनी, बिजली-पानी का है इंतजार

नरेला इलाके में साल 1976 में देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने एक कॉलोनी बसाई थी, लेकिन आज उस लोनी की हालत खराब है, लोगों को मुलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल रही है.

Indira Gandhi settled the colony people are waiting for electricity and water
झटपट कॉलोनी की बदहाल हालत
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Published : Dec 17, 2019, 8:15 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के नरेला इलाके में साल 1976 में देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 20 सूत्रीय कार्यक्रम के तहत बसाई गई झटपट कॉलोनी के लोग करीब साढे चार दशक बाद भी बिजली - पानी की मूलभूत सुविधाओं के ना मिलने की वजह से परेशान हैं.

झटपट कॉलोनी की बदहाल हालत

झटपट कॉलोनी के लोग अपनी समस्या के समाधान के लिए मुख्यमंत्री तक जा चुके हैं लेकिन आज तक उनकी समस्या का समाधान किसी ने नहीं किया.

स्थानीय लोगों को होती है परेशानी
यहां के लोग बिजली-पानी की समस्या की समस्या से परेशान हैं. लोगों को पीने के पानी के लिए करीब 3 से 4 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. कॉलोनी में घरों से गंदे पानी की निकासी के लिए नालियां नहीं है और अपने घरों तक आने-जाने के लिए कोई गली नहीं है.

बिना बिजली पानी के रहते हैं लोग
लोगों को कच्चे रास्तों से ही होकर घरों में जाना पड़ता है. घरों में लाइट न होने की वजह से मोमबत्ती या लालटेन जलाकर रखते हैं ताकि किसी तरह से गुजारा हो सके. कॉलोनी के लोगों ने आरोप लगाया कि यहां पर सरकारी अधिकारी और नेता चुनाव के दौरान सिर्फ दौरा करने के लिए आते हैं और जनता को आश्वासन देकर चले जाते हैं. करीब साढे चार दशक बाद भी कॉलोनी के विकास का कोई काम नहीं हुआ.

जल्द समाधान होने की बात कही
मामले में आम आदमी पार्टी के नरेला से विधायक शरद चौहान से बात करने की कोशिश की तो उनके प्रतिनिधि नरेला संगठन मंत्री नागेंद्र प्रजापति ने बताया कि कुछ तकनीकी खामियों की वजह से कॉलोनी के विकास कार्यों में रुकावट आई है. लोगों ने जो एप्लीकेशन विधायक को दी थी उसमें कॉलोनी का नाम भोरगढ़ लिखा हुआ था. लेकिन वास्तव में इस कॉलोनी का नाम भोरगढ़ झटपट कॉलोनी (इंदिरा बसती) है.

नई दिल्ली: दिल्ली के नरेला इलाके में साल 1976 में देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 20 सूत्रीय कार्यक्रम के तहत बसाई गई झटपट कॉलोनी के लोग करीब साढे चार दशक बाद भी बिजली - पानी की मूलभूत सुविधाओं के ना मिलने की वजह से परेशान हैं.

झटपट कॉलोनी की बदहाल हालत

झटपट कॉलोनी के लोग अपनी समस्या के समाधान के लिए मुख्यमंत्री तक जा चुके हैं लेकिन आज तक उनकी समस्या का समाधान किसी ने नहीं किया.

स्थानीय लोगों को होती है परेशानी
यहां के लोग बिजली-पानी की समस्या की समस्या से परेशान हैं. लोगों को पीने के पानी के लिए करीब 3 से 4 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. कॉलोनी में घरों से गंदे पानी की निकासी के लिए नालियां नहीं है और अपने घरों तक आने-जाने के लिए कोई गली नहीं है.

बिना बिजली पानी के रहते हैं लोग
लोगों को कच्चे रास्तों से ही होकर घरों में जाना पड़ता है. घरों में लाइट न होने की वजह से मोमबत्ती या लालटेन जलाकर रखते हैं ताकि किसी तरह से गुजारा हो सके. कॉलोनी के लोगों ने आरोप लगाया कि यहां पर सरकारी अधिकारी और नेता चुनाव के दौरान सिर्फ दौरा करने के लिए आते हैं और जनता को आश्वासन देकर चले जाते हैं. करीब साढे चार दशक बाद भी कॉलोनी के विकास का कोई काम नहीं हुआ.

जल्द समाधान होने की बात कही
मामले में आम आदमी पार्टी के नरेला से विधायक शरद चौहान से बात करने की कोशिश की तो उनके प्रतिनिधि नरेला संगठन मंत्री नागेंद्र प्रजापति ने बताया कि कुछ तकनीकी खामियों की वजह से कॉलोनी के विकास कार्यों में रुकावट आई है. लोगों ने जो एप्लीकेशन विधायक को दी थी उसमें कॉलोनी का नाम भोरगढ़ लिखा हुआ था. लेकिन वास्तव में इस कॉलोनी का नाम भोरगढ़ झटपट कॉलोनी (इंदिरा बसती) है.

Intro:नॉर्थ वेस्ट दिल्ली,

लोकेशन - नरेला इंदिरा बस्ती (झटपट कालोनी),

बाईट - स्थानीय लोगों के साथ वन टू वन व आप विधायक प्रतिनिधि नागेंद्र प्रजापति

स्टोरी - दिल्ली के नरेला इलाके में साल 1976 में देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 20 सूत्रीय कार्यक्रम के तहत बसाई गई झटपट कॉलोनी के लोग करीब साढे चार दशक बाद भी बिजली - पानी की मूलभूत सुविधाओं के ना मिलने की वजह से परेशान हैं । झटपट कॉलोनी के लोग समस्या के समाधान के लिए मुख्यमंत्री, पूर्व व वर्तमान स्थानीय विधायक और अधिकारियों तक के चक्कर लगाकर थक चुके हैं । लेकिन आज तक कॉलोनी के लोगों को बिजली - पानी, नाली व गली की सुविधा नहीं मिल पाई ।


Body:ईटीवी भारत की टीम ने नरेला में भोरगढ़ रेलवे स्टेशन के पास साल 1976 में 20 सूत्रीय कार्यक्रम के तहत देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा बसाई गई कॉलोनी का दौरा किया । वहां की स्थिति देखकर कहा जा सकता है कि देश की राजधानी दिल्ली में जहां एक और सरकार जनता को लुभाने के लिए तरह-तरह की योजनाएं दे रही है तो वही कॉलोनी के दशा बहुत खराब है । न तो यहां पर बिजली है न ही पानी के लिए कोई साधन है । लोगों को पीने के पानी के लिए करीब 3 से 4 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है । कॉलोनी में घरों से गंदे पानी की निकासी के लिए नालिया नहीं है और अपने घरों तक आने-जाने के लिए कोई गली नहीं है ।

बिना बिजली पानी के रहते है लोग...
लोगों को कच्चे रास्तों से ही होकर घरों में जाना पड़ता है । घरों में लाइट न होने की वजह से मोमबत्ती या लालटेन जलाकर रहते हैं ताकि किसी तरह से गुजारा हो सके । कॉलोनी के लोगों ने आरोप लगाया कि यहां पर सरकारी अधिकारी और नेता चुनाव के दौरान दौरा करने के लिए आते हैं । जनता को आश्वासन देकर जाते हैं लेकिन करीब साढे चार दशक बाद भी कॉलोनी के विकास के लिए कोई काम नहीं हुआ । जबकि रेलवे लाइन के दूसरी पार बिजली-पानी, गली व नाली सभी तरह की बुनियादी सुविधाएं लोगों को मिल रही हैं ।

विधायक प्रतिनिधि ने जल्द समाधान होने की बात कही...
इस बारे में जब आम आदमी पार्टी के नरेला से विधायक शरद चौहान से बात करनी चाहिए तो उनके प्रतिनिधि नरेला संगठन मंत्री नागेंद्र प्रजापति ने बताया कि कुछ तकनीकी खामियों की वजह से कॉलोनी के विकास कार्यों में रुकावट आई है । लोगों ने जो एप्लीकेशन विधायक को दी थी उसमें कॉलोनी का नाम भोरगढ़ लिखा हुआ था । लेकिन वास्तव में इस कॉलोनी का नाम भोरगढ़ झटपट कॉलोनी ( इंदिरा बसती ) है । लेकिन पिछले करीब 4 सालों से कॉलोनी की फाइल प्रक्रिया में है और जल्द ही लोगों की शिकायत दूर होगी ।


Conclusion:साढे चार दशक बाद भी दिल्ली की राजनीतिक पार्टियां लोगों को बुनियादी सुविधा देने में नाकाम रही है । लेकिन हाल में दिल्ली की सरकार जनता को फ्री में बिजली पानी जैसी सुविधाएं दे रही है । उसके बावजूद भी यह लोग अंधेरे में बिना बिजली - पानी के कैसे गुजारा कर रहे हैं । देखकर लगता है कि सरकार और अधिकारी इन लोगों से मुंह मोड़े हुए हैं । हालांकि विधायक प्रतिनिधि ने जल्द ही समस्या के समाधान का दावा तो किया है । लेकिन क्या यह दावा चुनाव से पहले पूरा हो जाएगा या फिर इन लोगों को चुनावी लॉलीपॉप देखकर इनसे वोट ले लिए जाएंगे । यह एक बड़ा सवाल है जिसका जवाब ये लोग तलाश रहे है ।
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