नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने चीनी स्मार्टफोन कंपनी वीवो से जुड़े मनी लॉड्रिंग के मामले में गिरफ्तार वीवो के मैनेजिंग डायरेक्टर हरि ओम राय और चीनी नागरिक गोंगवेन कुआंग की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज कर दिया. बुधवार को मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह आदेश दिया. कोर्ट ने 13 दिसंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था.
हाईकोर्ट ने कहा कि जब 7 दिसंबर को आरोपियों को पेश नहीं किया गया तो संबंधित ट्रायल कोर्ट ने 13 दिसंबर को पेश होने के लिए प्रोडक्शन वारंट जारी किया था. याचिका हरि ओम राय के पुत्र प्रणय राय ने दायर किया था. याचिका में कहा गया था कि राय को संबंधित ट्रायल कोर्ट में 7 दिसंबर को न तो वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेश किया गया और न ही फिजिकल. ऐसे में उनकी हिरासत गैरकानूनी है, क्योंकि संबंधित कोर्ट ने हिरासत में रखने का कोई आदेश नहीं दिया था.
याचिका में कहा गया था कि हरि ओम राय की न्यायिक हिरासत 23 नवंबर को 14 दिनों के लिए बढ़ाई गई थी, लेकिन हिरासत की अवधि खत्म होने पर उसे कोर्ट के आदेश के बिना ही हिरासत में रखना कानून का उल्लंघन है. राय की ओर से पेश वकील नीतेश राणा ने कहा था कि ये कोर्ट का कर्तव्य है कि वो कैदियों के गैरकानूनी हिरासत को रोके. चीनी नागरिक गोंगवेन कुआंग की ओर से भी वही दलील दी गई जो राय की ओर से दी गई थी.
बता दें, 7 दिसंबर को ED ने पटियाला हाउस कोर्ट में इस मामले में चार्जशीट दाखिल किया था. चार्जशीट में हरि ओम राय, गोंगवेन कुआंग, सीए नितिन गर्ग और राजन मलिक को आरोपी बनाया गया है. ईडी के मुताबिक वीवो इंडिया ने गलत तरीके से धन हासिल किया, जो भारत की आर्थिक संप्रभुता के लिए खतरा है.
ED की चार्जशीट पर कोर्ट ने लिया संज्ञानः वहीं, पटियाला हाउस कोर्ट ने चीनी स्मार्टफोन कंपनी वीवो से जुड़े मनी लॉड्रिंग मामले में ईडी की चार्जशीट पर संज्ञान लिया है. एडिशनल सेशंस जज किरण गुप्ता ने प्रोडक्शन वारंट जारी कर आरोपियों हरि ओम राय, नितिन गर्ग , राजन मलिक और गोंगवेन कुआंग को 19 फरवरी 2024 को पेश होने का आदेश दिया. चारों आरोपी फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं.