नई दिल्ली: किसान आंदोलन की वापसी का एलान हो गया है. दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसान एक साल बाद अपने घरों को लौटेंगे. किसान अपना सामान लादकर अपने अपने गांव वापस जाने की तैयारी कर रहे हैं. किसानों ने कृषि कानूनों को अपने खिलाफ बताते हुए सरकार से मांग की थी और मांग ना माने जाने पर पूरे एक साल तक धरना देकर दिल्ली के सभी रास्तों को बंद कर दिया था.
प्रधानमंत्री द्वारा कानूनों को वापस लेने के बाद किसान घर लौटने की तैयारी कर रहे हैं. साथ ही यह भी बता रहे हैं कि उन्हें बॉर्डर खाली करने में करीब 15 से 20 दिनों का समय लगेगा और करीब 30 से 35 किलोमीटर की दूरी तक किसानों के ट्रैक्टर ट्रॉली लगे हुए हैं.
आंदोलनकारी किसानों ने कहा कि सरकार जब तक मांग नहीं मानती तो इसी तरह आंदोलन चलता रहता, लेकिन अब सरकार ने किसानों की मांग मान ली है तो किसानों को अपने घर जाने में कोई परेशानी नहीं है. हालांकि किसान नेताओं की लगातार सरकार से किसी कानून रद्द करने की मांग लगातार चलती रही. कई बार मीटिंग का दौर भी हुआ और इस दौरान किसानों ने बताया कि 700 किसानों की मौत आंदोलन के दौरान हुई है. उन सभी शहीद किसानों की स्मृति में सिंघु बॉर्डर पर गुरुद्वारा बनाने की बात भी कर रहे हैं.
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दिल्ली और आसपास के लोगों के लिए खुशी की बात है कि एक साल लंबे इंतजार के बाद अब दिल्ली के बॉर्डर खुल जाएंगे और लोग एक बार फिर से दिल्ली से बाहर हाईवे के रास्ते जा सकेंगे. किसानों का कहना है कि उन्हें अनुमान था कि सरकार बात मान लेगी, लेकिन इतने लंबे समय की उन्हें भी उम्मीद नहीं थी. अब एक साल के लंबे इंतजार के बाद किसान संगठन दिल्ली के बॉर्डर खाली करने को राजी हुए हैं और सामान भरकर वापस अपने-अपने घर लौटने की तैयारी कर रहे हैं.
हालांकि अब देखने वाली बात यह होगी कि जिस तरह से दिल्ली पुलिस द्वारा किसानों को दिल्ली की ओर बढ़ने से रोकने के लिए तमाम तरह की बैरिकेडिंग की गई थी. कंक्रीट की ऊंची ऊंची दीवारें बनाई गई थी, उन्हें कब तक खोला जाएगा और कब लोगों के आने जाने के लिए एक बार रास्ते फिर से सामान्य होंगे.