ETV Bharat / state

अपने अस्तित्व की लड़ाई हारने के कगार पर खड़ी है भलस्वा झील!

सांसद हंसराज हंस के द्वारा भलस्वा झील का मुद्दा उठाए जाने के बाद भी झील बदहाल स्थिति में है. देश को राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी देने के बावजूद आज झील अपने अस्तित्व की लड़ाई हारने के कगार पर खड़ी है.

author img

By

Published : Jul 17, 2020, 8:58 PM IST

Updated : Jul 18, 2020, 8:34 AM IST

bhalaswa lake in bad situation due to administrative overlook
भलस्वा झील

नई दिल्लीः भलस्वा इलाके में बाहरी रिंगरोड के पास दिल्ली की एक मात्र बड़ी झील है. जिसे भलस्वा झील भी कहा जाता है, जो मौजूदा समय में अपनी बदहाली की कहानी बयां कर रही है.

भलस्वा झील

उत्तरी पश्चिमी लोकसभा से सांसद बनने के बाद हंसराज हंस ने सदन में झील की बदहाली का मुद्दा उठाया था. जिसके एक साल बीत जाने के बाद भी झील बदहाल है, इस ओर सरकार का कोई ध्यान नहीं है. इलाके के लोग इसमें गाय, भैसों का गोबर डालते हैं जिसकी वजह से झील लगातार प्रदूषित हो रही है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह झील राजनीति का शिकार हो रही है. इसी बीच ईटीवी भारत की टीम ने भलस्वा झील की बदहाली के बारे में स्थानीय लोगों से बात की.

लोगों ने बताया कि अतीत में यह झील बहुत बड़ी होती थी. समय के साथ-साथ इसका क्षेत्रफल लगातार घटता गया. अब यह झील सिर्फ 25 एकड़ की बची है. इस झील ने देश को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई खिलाड़ी दिए हैं, जिन्होने देश का नाम रोशन किया है.

डीडीए विभाग के अंतर्गत आती है झील

भलस्वा झील केंद्र सरकार के डीडीए विभाग के अंतर्गत आती है. पहले बार यह झील 1982 में एशियाड खेलों के दौरान अस्तित्व में आई. उस दौरान कई खेलों का आयोजन इस झील में किया गया.

उसके बाद भी यहां पर कई प्रतियोगिताओं का आयोजन होता रहा. लेकिन स्थानीय डेरी मालिकों ने झील की दीवार तोड़ कर गोबर डालना शुरू कर दिया. जिससे झील का पानी प्रदूषित होने लगा. इलाके में चलने वाली फैक्ट्रियों का विषैला पानी भी झील के पानी को प्रदूषित कर रहा है.

'वादे करते हैं, काम नहीं'

भलस्वा इलाके की आरडब्लूए के पदाधिकारी नौशाद ओर स्थानीय लोगों ने बताया कि यह झील राजनीति का शिकार हो रही है. राजनेता बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन वास्तविक रूप की काम नहीं किया जाता है. संसद हंसराज हंस ने झील की बदहाली का मुद्दा सदन में उठाया, तो लोगों में उम्मीद जगी कि इस बार कुछ होगा. लेकिन एक साल बीत गया कुछ नहीं हुआ है.

नई दिल्लीः भलस्वा इलाके में बाहरी रिंगरोड के पास दिल्ली की एक मात्र बड़ी झील है. जिसे भलस्वा झील भी कहा जाता है, जो मौजूदा समय में अपनी बदहाली की कहानी बयां कर रही है.

भलस्वा झील

उत्तरी पश्चिमी लोकसभा से सांसद बनने के बाद हंसराज हंस ने सदन में झील की बदहाली का मुद्दा उठाया था. जिसके एक साल बीत जाने के बाद भी झील बदहाल है, इस ओर सरकार का कोई ध्यान नहीं है. इलाके के लोग इसमें गाय, भैसों का गोबर डालते हैं जिसकी वजह से झील लगातार प्रदूषित हो रही है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह झील राजनीति का शिकार हो रही है. इसी बीच ईटीवी भारत की टीम ने भलस्वा झील की बदहाली के बारे में स्थानीय लोगों से बात की.

लोगों ने बताया कि अतीत में यह झील बहुत बड़ी होती थी. समय के साथ-साथ इसका क्षेत्रफल लगातार घटता गया. अब यह झील सिर्फ 25 एकड़ की बची है. इस झील ने देश को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई खिलाड़ी दिए हैं, जिन्होने देश का नाम रोशन किया है.

डीडीए विभाग के अंतर्गत आती है झील

भलस्वा झील केंद्र सरकार के डीडीए विभाग के अंतर्गत आती है. पहले बार यह झील 1982 में एशियाड खेलों के दौरान अस्तित्व में आई. उस दौरान कई खेलों का आयोजन इस झील में किया गया.

उसके बाद भी यहां पर कई प्रतियोगिताओं का आयोजन होता रहा. लेकिन स्थानीय डेरी मालिकों ने झील की दीवार तोड़ कर गोबर डालना शुरू कर दिया. जिससे झील का पानी प्रदूषित होने लगा. इलाके में चलने वाली फैक्ट्रियों का विषैला पानी भी झील के पानी को प्रदूषित कर रहा है.

'वादे करते हैं, काम नहीं'

भलस्वा इलाके की आरडब्लूए के पदाधिकारी नौशाद ओर स्थानीय लोगों ने बताया कि यह झील राजनीति का शिकार हो रही है. राजनेता बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन वास्तविक रूप की काम नहीं किया जाता है. संसद हंसराज हंस ने झील की बदहाली का मुद्दा सदन में उठाया, तो लोगों में उम्मीद जगी कि इस बार कुछ होगा. लेकिन एक साल बीत गया कुछ नहीं हुआ है.

Last Updated : Jul 18, 2020, 8:34 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.