नई दिल्ली: किराड़ी में जर्जर हो चुके प्राचीन हनुमान मंदिर निर्माण के लिए 8 फरवरी से धरने पर बैठे रिंकू मीणा की हालत बिगड़ी हालात बिगड़ने पर डॉक्टरों ने उसका इलाज शुरू कर दिया है. रिंकू मीणा का कहना है राम मंदिर निर्माण के लिए लोग लाखों रुपए का चंदा दे सकते हैं तो किराड़ी में जर्जर पड़े प्राचीन हनुमान मंदिरों को चंदा क्यों नहीं दे सकते. इसी मांग को लेकर रिंकू मीणा पिछले 21 दिनों से अनशन पर बैठे हैं. 21 दिनों में लोगों ने 2900 रुपये का चंदा दिया है.
किराड़ी में प्राचीन हनुमान मंदिर जर्जर हालात में है. मंदिर के बेसमेंट में पानी भरा है. इस प्राचीन हनुमान मंदिर के निर्माण के लिए रिंकू मीणा अनशन पर बैठे हैं. इनका कहना है कि अयोध्या में भगवान श्री राम का मंदिर बनाने के लिए लाखों रुपये का चंदा लोग दे रहे हैं तो होली चौक पर प्राचीन हनुमान मंदिर को बनाने के लिए लोग चंदा क्यों नहीं दे सकते.
रिंकू ने कहा सिर्फ 21 दिनो में 2900 रुपये ही आए हैं जबकि मंदिर निर्माण में 8 से 10 लाख रुपये लगने हैं. एक तरफ विश्व हिंदू परिषद, आरएसएस और भाजपा के लोग घर-घर जाकर अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर के लिए चंदा मांग रहे हैं, लेकिन किराड़ी विधानसभा में प्राचीन हनुमान मंदिर, जो जर्जर हालत में है, इसको बनवाने के लिए उनका ध्यान इस ओर क्यों नहीं है. इस मंदिर को भी चंदा क्यों नहीं दिया जा रहा है.
स्थानीय महिला ने कहा कि इस मंदिर निर्माण में मैंने एक 101 रुपये दिया है और आगे भी में पैसा दूंगी, जो सहयोग होगा वह तन मन धन से करूंगी. एक और स्थानीय महिला ने कहा कि अभी मैंने 501 रुपये दिया है और भी पैसा में दूंगी. इस मंदिर निर्माण में जितना सहयोग होगा करने को तैयार हूं.
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एक स्थानीय निवासी ने कहा में लोगों से गुजारिश करता हूं कि लोग इस मंदिर के निर्माण के लिए एक ही रुपये दें पर दें जरूर.किराड़ी में 8 लाख की आबादी होने के बाद भी इस मंदिर को लोंचंदा नहीं दे रहे हैं. जबकि 1 रुपये अगर हर घर से दिया जाए तो 8 लाख रुपए होंगे और 8 लाख में यह मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा.
रिंकू मीणा ने कहा में तब तक अनशन करता रहूंगा, जब तक किराड़ी के लोग इस मंदिर को बनवाने के लिए पैसा नहीं देते. जब राम मंदिर निर्माण के लिए पैसा दे सकते हैं तो किराड़ी के प्राचीन हनुमान मंदिर निर्माण में पैसा क्यों नहीं दे सकते. चाहें मेरी जान चली जाए पर मैं यहां से तब तक नहीं उठूंगा, जब तक लोग इस चंदा देकर मंदिर को बनवा नहीं देते .
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