नई दिल्ली: कोरोना वायरस से बचाव का सबसे कारगार उपाय सोशल डिस्टेंसिंग को माना गया है. लोग कोरोना से बचने के लिए सैनिटाइजर और मास्क का इस्तेमाल तो कर रहे हैं. लेकिन भीड़-भाड़ में कहीं ना कहीं सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का उल्लंघन हो रहा है. ऐसे में दिल्ली के शालीमार बाग इलाके के 9 साल के हितेन गौतम ने एक ऐसा डिवाइस बनाया है जो लोगों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखने में मदद करेगा.
ईटीवी भारत से बात करते हुए हितेन गौतम ने बताया कि उन्हें स्कूल के फेसबुक पेज से आइडिया मिला कि एक ऐसा डिवाइस बनाया जाए, जिससे कोरोना के दौरान लोगों के बीच उचित दूरी बनाए रखने में मदद मिले.
वैसे भी हितेन दूसरे बच्चों की तरह यूट्यूब पर कार्टून और फनी वीडियोज नहीं देखते. वे सिर्फ साइंस से संबंधित वीडियो ही देखते है और अब वह एक इलेक्ट्रॉनिक कार पर काम कर रहे है. इस काम में उनका परिवार भी उनकी मदद करता है.
ये नन्हे से हितेन बड़े होकर वैज्ञानिक बनना चाहते है और देश के लिए काम करना चाहता है. हितेन के मुताबिक, इस डिवाइस में अल्ट्रासोनिक सेंसर लगे हुए हैं, जैसे ही कोई व्यक्ति इस डिवाइस की रेंज 2 फीट की दूरी के अंदर प्रवेश करेगा तो अलार्म जोर-जोर से एलईडी लाइट के साथ बजने लगेगा.
9 साल के हितेन शालीमार बाग इलाके के मॉर्डन स्कूल में 5वीं क्लास में पढ़ते है. परिवार की थोड़ी सी मदद से हितेन गौतम ने अनोखा डिवाइस बना डाला. इस डिवाईस के जरिए दो लोगों के बीच दो फीट की दूरी बनाए जा सकती है.
अगर दूरी दो फीट से कम होगी तो डिवाइस अलार्म के साथ जोर से बजने लगेगा. इसके बाद डिवाइस में लगी एलईडी यह संकेत देगी कि सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन हो रहा है. इस दूरी को कोडिंग के द्वारा घटाया ओर बढ़ाया भी जा सकता है. हितेन के मुताबिक इस डिवाइस से न सिर्फ सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखने में मदद मिलेगी बल्कि देशभर में बढ़ रहे कोरोना मामलों को भी कम करने के लिए काम करेगा.
अविष्कार का श्रेय अध्यापकों को दिया
हालांकि अभी हितेन की उम्र छोटी है, लेकिन उनकी साइंस में रुचि बहुत ज्यादा है और वह खाली समय में यूट्यूब पर अल्ट्रासोनिक डिवाइस से जुड़ी वीडियो देखते हैं. हितेन का सपना है कि वह बड़ा होकर वैज्ञानिक बने. वे अपनी इस उपलब्धि का श्रेय अपने माता-पिता के साथ-साथ दोस्तों और शिक्षकों को भी दे रहे है.
उनके मुताबिक डिवाइस को बनाने के लिए उनके सीनियर्स और शिक्षकों ने उन्हे प्रेरित किया, जब उनके सीनियर अटल टिंकरिंग ऐप (एटीएल) में कोडिंग सीख रहे होते थे तो वह उन्हें देखकर कुछ ना कुछ नया करने की कोशिश कर रहे होते थे. अब तो आसपास के बड़े-बड़े लोग भी इस छोटे से वैज्ञानिक के हुनर को सलाम कर रहे है ओर उसका हौसला भी बढ़ा रहे हैं.