नई दिल्लीः दिल्ली माइनॉरिटी कमीशन की फैक्ट फाइडिंग कमेटी के फैक्ट जांचने को बनाई गई दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट प्रदेश अध्यक्ष चौधरी अनिल को सौंप दी है. इस कमेटी के उपाध्यक्ष एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता चौधरी मतीन अहमद ने कहा कि दंगों की जांच को बनाए गए फैक्ट फाइंडिंग कमेटी में तथ्यों का अभाव है.
उन्होंने कहा कि असल में वह कमीशन की कमेटी नहीं बल्कि माइनॉरिटी के कुछ लोगों की कमेटी थी. जिसे किसी को भी बुलाने और समन करने का अख्तियार नहीं था. अगर उसमें कमीशन में सदस्य शामिल होते तो शायद ऐसा नहीं होता.
'दंगों की जांच के लिए बनाया जाए न्यायिक आयोग'
चौधरी मतीन अहमद ने बताया कि कांग्रेस की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में सरकार से मांग की है कि दिल्ली दंगों की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग बनाया जाए, ताकि दंगा पीड़ितों को इंसाफ मिल सके. दंगों के इतने दिन गुजरने के बाद भी आजतक सभी पीड़ितों को मुआवजा नहीं मिल सका है. हिंसा प्रभावितों को जल्द से जल्द मुआवजा दिया जाए.
'तीन दिन दंगा होता रहा, खामोश रही सरकार'
मतीन अहमद ने कहा कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में तीन दिन तक दंगा होता रहा, लेकिन दिल्ली और केंद्र की मिलीभगत की वजह से दिल्ली सरकार खामोश रही. अगर सरकार चाहती तो किसी को भेजकर दंगा रुकवा सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और तीन दिन तक तांडव होता रहा.
'पीड़ितों की मदद के बजाए, वक्फ बोर्ड ने किया खेल'
मतीन अहमद ने कहा कि एक तरफ जहां दंगा प्रभावितों की दिल्ली सरकार की मदद करनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उल्टे दिल्ली वक्फ बोर्ड ने पीड़ितों के नाम पर मोटा पैसा भी इकट्ठा कर लिया. लेकिन कुछ नहीं हुआ. आज भी दंगो के पीड़ित दर दर भगकने को मजबूर हैं. आज तक दिल्ली वक्फ बोर्ड ने यह नहीं बताया कि दंगा पीड़ितों की मदद के नाम पर कितना पैसा इकट्ठा हुए और आखिर कितना पीड़ितों को दिया गया.
जाकिर खान की नियुक्ति पर भी उठाए सवाल
चौधरी मतीन अहमद ने दिल्ली माइनॉरिटी कमीशन चेयरमैन के पद पर की गई जाकिर खान की नियुक्ति पर भी सवाल उठाए. उंन्होने कहा कि जिस कमीशन में अबतक कमर अहमद, सफदर हाशमी जैसे वरिष्ठ रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स चेयरमैन बनाये जाते रहे हों, वहां पर जाकिर खान की तैनाती समझ से परे है. ऐसा लगता है जैसे दिल्ली सरकार कमीशन को महज खानापूर्ति के लिए बनाए रखना चाहती हो.