नई दिल्ली: सालों से लंबित चले आ रहे कई हजार उर्दू टीचरों की बहाली की मांग को लेकर उर्दू डेवलपमेंट ऑर्गेनाइज़ेशन (Urdu Development Organization) ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को एक पत्र लिखकर उर्दू शिक्षकों की बहाली किए जाने की मांग की है. गौरतलब है यूपी में चार हजार टीचरों की भर्ती मामले में प्रदेश सरकार के रवैए से हजारों शिक्षकों का भविष्य अधर में लटका हुआ है.
उर्दू डवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन ने लिखा पीएम मोदी को पत्र
उर्दू डवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (Urdu Development Organization) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को भेजे गए पत्र में लिखा है कि उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की द्वितीय राजभाषा उर्दू अध्यापकों की वर्ष 2016 से भर्तियां लंबित पड़ी हुई हैं. राज्य सरकार द्वारा स्थगन आदेश के बाद से ही लगातार शिक्षक शासन-प्रशासन से संपर्क बनाए हुए हैं. नियुक्तियों को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath), राजनाथ सिंह (Rajnath Singh), मुख्तार अब्बास नकवी (Mukhtar Abbas Naqbi) से भी मुलाकात की जा चुकी है. लेकिन आज तक सिवाय आश्वासन के कुछ भी हासिल नहीं हुआ. यह तो तब है जब राज्य सरकार द्वारा उर्दू शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को रोक जाने के बाद अदालतों ने भी शिक्षकों के हक़ में ही फैसला सुनाया है. लेकिन राज्य सरकार चार हजार सहायक उर्दू शिक्षकों की भर्ती के इस मामले को निबटाने की बजाय उलझाने में लगी हुई है.
![उर्दू डेवलेपमेंट ऑर्गनाइजेशन का पत्र](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/del-ned-01-urdudevelopmentorganisationwritetoprimeministerforpendenvyofurduteachers-dl10011_28052021220012_2805f_1622219412_250.jpg)
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भर्ती की बजाय कानूनी दांव-पेच चल रही सरकार
पीड़ित उर्दू शिक्षक ऑर्गनाइजेशन के दिल्ली प्रदेश उपाध्यक्ष सलाहुद्दीन ने बताया वह इस लड़ाई को कई सालों से लड़ते चले आ रहे हैं. राज्य सरकार इन चार हजार उर्दू शिक्षकों की भर्ती को लेकर मदद करने के बजाय अदालतों के फैसलों को चैलेंज करने में लग जाती है जिसका नतीजा वही ढाक के तीन पात निकलता है.
कई सालों से पेंडिंग है मामला
उर्दू डवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सैय्यद अहमद खान ने कहा कि उनका संगठन लगातार उर्दू की तरक्की के लिए काम करता रहा है. उर्दू के फरोग के लिए वह लगातार आवाज भी उठाते रहे हैं. उर्दू टीचरों की भर्ती से जुड़ा यह मामला लगातार कई सालों से पेंडिंग है. इसी को ध्यान में रखते हुए ऑर्गनाइजेशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर गुहार लगाई गई है.
उन्होंने कहा कि यह मामला उत्तर प्रदेश सरकार का है, जबकि भर्ती से जुड़े लोग इलाहाबाद हाई कोर्ट से जीत हासिल कर चुके हैं. इन्हें इंसाफ मिल चुका है उसके मुताबिक इन सबकी नियुक्ति होनी चाहिए थीं, लेकिन कुछ तकनीकी कारण रहे होंगे, जिसकी वजह से प्रदेश सरकार ने मामले को सुप्रीम कोर्ट पहुंचा दिया.
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पीएम के नारे को देखते हुए लिखा पत्र
डॉ. सैय्यद अहमद खान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक नारा दिया हुआ है. सबका साथ-सबका विकास और सबका विश्वास, जोकि हकीकत में भारतीय लोकतंत्र के अनुरूप है और उसी उम्मीद पर ऑर्गनाइजेशन की तरफ से को यह पत्र लिखकर प्रधानमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप की गुज़ारिश की गई है. साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार को इस पर पुनर्विचार के लिए दबाव डालने को कहें, क्योंकि यह चार हजार उर्दू टीचरों का मामला सिर्फ किसी प्रदेश के लिए नहीं बल्कि पूरे भारतवर्ष के लिए एक संदेश है. इतनी बड़ी सरकार इतने लोगों के हकों को सुरक्षित कर रही है. उन्होंने कहा कि जब हम चाहते हैं कि लोगों को उनकी मात्र भाषा में शिक्षा दी जाए, लेकिन उर्दू शिक्षकों की भर्ती ही नहीं होगी तो भला बच्चे कैसे पढ़ेंगे. किसी के साथ भी नाइंसाफी नहीं होनी चाहिए. इसी उम्मीद पर प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इंसाफ की गुहार लगाई गई है.