नई दिल्लीः उत्तर पूर्वी दिल्ली में गत वर्ष फरवरी में हुए दंगों को एक साल हो गया है. वहीं समाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक हालात पर चर्चा करते हुए प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. फहीम ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि सरकार को इसपर गंभीरता से विचार करते हुए जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत है.
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उन्होने कहा कि उत्तर पूर्वी जिले में जो कुछ हुआ, उसके लिए आर्थिक और शैक्षणिक हालात भी जिम्मेदार हैं. डॉ. फहीम ने कहा कि दंगों के बाद जमीनी स्तर पर सरकारों को जो काम करने चाहिए थे, वह पूरी तरह से नहीं हुए हैं. यही वजह है कि हिंसा और पर नियंत्रण और उनके प्रभाव से उबरने में समय लगता गया.
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उन्होंने कहा कि अभी दंगों के जख्म पूरी तरह से भरे भी नहीं थे कि महमारी की वजह से लगाया गया लॉकडाउन पीड़ितों पर दोहरी मार बनकर आन पड़ा और प्रभावितों को इससे पार पाने में खासी मशक्कत करनी पड़ी.
वहीं दंगा पीड़ितों के बीच राहत और कानूनी सहायता करनेवाले लोगों का कहना है कि एक साल बीतने के बावजूद दंगा पीड़ितों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है. मुस्तफाबाद में दंगा पीड़ितों को कानूनी मदद कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद मुनव्वर उस्मानी ने आरोप लगाया है कि आज भी लोग मदद के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं.