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फ्री पानी स्कीम पर NGT ने दागे सवाल, कहा- मुफ्त मिलने की वजह से लोग कर रहे हैं इसका दुरुपयोग - 20 हजार लीटर पानी

एनजीटी ने दिल्ली जल बोर्ड को पानी की बर्बादी रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने का निर्देश दिया. एनजीटी ने कहा कि हर महीने बीस हजार लीटर मुफ्त पानी का लाभ उठाने के बाद, सोसायटियां पानी के टैक्स के भुगतान से बचने के लिए बोरवेल का उपयोग कर भूजल का दोहन करने लगती हैं.

फ्री पानी स्कीम पर NGT ने दागे सवाल ETV BHARAT
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Published : Sep 11, 2019, 9:11 PM IST

Updated : Sep 11, 2019, 11:13 PM IST

नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली सरकार की हर महीने 20 हजार लीटर मुफ्त पानी देने की योजना पर सवाल उठाये हैं. एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि मुफ्त पानी मिलने की वजह से दिल्ली के लोग पानी का दुरुपयोग कर सकते हैं और इससे सार्वजनिक धन का नुकसान हो रहा है.

'जल बोर्ड उठाए प्रभावी कदम'

एनजीटी ने दिल्ली जल बोर्ड को पानी की बर्बादी रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने का निर्देश दिया. एनजीटी ने कहा कि हर महीने बीस हजार लीटर मुफ्त पानी का लाभ उठाने के बाद, सोसायटियां पानी के टैक्स के भुगतान से बचने के लिए बोरवेल का उपयोग कर भूजल का दोहन करने लगती हैं.

एनजीटी ने दिल्ली जल बोर्ड को ये सुनिश्चित करने को कहा कि ट्रीटेड पानी का उपयोग अनिवार्य रुप से किया जाएय इसे बिना किसी उपयोग के छोड़ देना सार्वजनिक धन की बर्बादी है. एनजीटी ने दिल्ली जल बोर्ड को स्थानीय निकायों या दूसरे विशेषज्ञों की राय से एक एक्शन प्लान तैयार करने का भी निर्देश दिया है और ये सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि सभी सरकारी भवनों, ग्रुप हाउसिंग सोसाइटियों, नई इमारतों में, जहां कब्जा प्रमाणपत्र जारी किया जाना है, वहां रेनवॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जाएं.

पिछले 28 अगस्त को एनजीटी की ओर से नियुक्त मॉनिटरिंग कमेटी ने एनजीटी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में दिल्ली के तालाबों और दूसरे जल निकायों के आसपास अतिक्रमण हटाने और उन्हें यूनिक आईडेंटिटी नंबर देने का सुझाव दिया था.

जस्टिस एसपी गर्ग की अध्यक्षता में बनी इस कमेटी ने कहा है कि 20 हजार लीटर मुफ्त पानी मिलने के बावजूद कई हाऊसिंग सोसायटी भूजल का दोहन कर रही हैं. वे ट्यूबवेल और बोरवेल से भूजल निकासी कर रहे हैं ताकि पानी के बिल से बचा जा सके, कमेटी ने कहा है कि इसे रोकने के लिए दिल्ली जल बोर्ड को कड़े कदम उठाने चाहिए.

कमेटी ने दिल्ली के तालाबों और दूसरे जल निकायों पर अतिक्रमण रोकने के लिए उनके चारों ओर बाउंड्री वॉल से घेर करने का सुझाव दिया. कमेटी ने इन जल निकायों की जीपीएस पर मैपिंग करने का सुझाव दिया और पानी की गुणवत्ता की मॉनिटरिंग करने का सुझाव दिया है.

कमेटी की ओर से कहा गया कि जलीय निकाय सूखने के कगार पर हैं. लोगों में इसे लेकर जागरुकता है कि पानी के स्तर को बनाए रखा जाए. कमेटी ने पाया कि इन जल निकायों को देखने जाने वाले लोग पॉलीथिन और प्लास्टिक की बोतलें फेंकते हैं.

इससे निपटने के लिए प्रशासन को मुख्य स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने चाहिए और प्लास्टिक की बोतलों और पॉलीथिन फेंकने से रोकने वाले साइन बोर्ड लगाए जाने चाहिए.
बड़ी-बड़ी झीलों पर गंदगी फैलाने वालों से निपटने के लिए सुरक्षाकर्मी की तैनाती की जानी चाहिए. गंदगी फैलाने वालों के खिलाफ अभियोजन चलाने के लिए नगर निगम और दिल्ली जल बोर्ड के स्पेशल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट का गठन होना चाहिए.

नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली सरकार की हर महीने 20 हजार लीटर मुफ्त पानी देने की योजना पर सवाल उठाये हैं. एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि मुफ्त पानी मिलने की वजह से दिल्ली के लोग पानी का दुरुपयोग कर सकते हैं और इससे सार्वजनिक धन का नुकसान हो रहा है.

'जल बोर्ड उठाए प्रभावी कदम'

एनजीटी ने दिल्ली जल बोर्ड को पानी की बर्बादी रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने का निर्देश दिया. एनजीटी ने कहा कि हर महीने बीस हजार लीटर मुफ्त पानी का लाभ उठाने के बाद, सोसायटियां पानी के टैक्स के भुगतान से बचने के लिए बोरवेल का उपयोग कर भूजल का दोहन करने लगती हैं.

एनजीटी ने दिल्ली जल बोर्ड को ये सुनिश्चित करने को कहा कि ट्रीटेड पानी का उपयोग अनिवार्य रुप से किया जाएय इसे बिना किसी उपयोग के छोड़ देना सार्वजनिक धन की बर्बादी है. एनजीटी ने दिल्ली जल बोर्ड को स्थानीय निकायों या दूसरे विशेषज्ञों की राय से एक एक्शन प्लान तैयार करने का भी निर्देश दिया है और ये सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि सभी सरकारी भवनों, ग्रुप हाउसिंग सोसाइटियों, नई इमारतों में, जहां कब्जा प्रमाणपत्र जारी किया जाना है, वहां रेनवॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जाएं.

पिछले 28 अगस्त को एनजीटी की ओर से नियुक्त मॉनिटरिंग कमेटी ने एनजीटी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में दिल्ली के तालाबों और दूसरे जल निकायों के आसपास अतिक्रमण हटाने और उन्हें यूनिक आईडेंटिटी नंबर देने का सुझाव दिया था.

जस्टिस एसपी गर्ग की अध्यक्षता में बनी इस कमेटी ने कहा है कि 20 हजार लीटर मुफ्त पानी मिलने के बावजूद कई हाऊसिंग सोसायटी भूजल का दोहन कर रही हैं. वे ट्यूबवेल और बोरवेल से भूजल निकासी कर रहे हैं ताकि पानी के बिल से बचा जा सके, कमेटी ने कहा है कि इसे रोकने के लिए दिल्ली जल बोर्ड को कड़े कदम उठाने चाहिए.

कमेटी ने दिल्ली के तालाबों और दूसरे जल निकायों पर अतिक्रमण रोकने के लिए उनके चारों ओर बाउंड्री वॉल से घेर करने का सुझाव दिया. कमेटी ने इन जल निकायों की जीपीएस पर मैपिंग करने का सुझाव दिया और पानी की गुणवत्ता की मॉनिटरिंग करने का सुझाव दिया है.

कमेटी की ओर से कहा गया कि जलीय निकाय सूखने के कगार पर हैं. लोगों में इसे लेकर जागरुकता है कि पानी के स्तर को बनाए रखा जाए. कमेटी ने पाया कि इन जल निकायों को देखने जाने वाले लोग पॉलीथिन और प्लास्टिक की बोतलें फेंकते हैं.

इससे निपटने के लिए प्रशासन को मुख्य स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने चाहिए और प्लास्टिक की बोतलों और पॉलीथिन फेंकने से रोकने वाले साइन बोर्ड लगाए जाने चाहिए.
बड़ी-बड़ी झीलों पर गंदगी फैलाने वालों से निपटने के लिए सुरक्षाकर्मी की तैनाती की जानी चाहिए. गंदगी फैलाने वालों के खिलाफ अभियोजन चलाने के लिए नगर निगम और दिल्ली जल बोर्ड के स्पेशल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट का गठन होना चाहिए.

Intro:नई दिल्ली । नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने दिल्ली सरकार की हर महीने 20 हजार लीटर मुफ्त पानी देने की योजना पर सवाल उठाया है। एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि मुफ्त पानी मिलने की वजह से ही दिल्ली के लोगों द्वारा पानी के इस्तेमाल का दुरुपयोग और सार्वजनिक धन का नुकसान हो रहा है।



Body:एनजीटी ने दिल्ली जल बोर्ड को पानी की बर्बादी रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने का निर्देश दिया। एनजीटी ने कहा कि हर महीने बीस हजार लीटर मुफ्त पानी का लाभ उठाने के बाद, सोसायटियां पानी के टैक्स के भुगतान से बचने के लिए बोरवेल का उपयोग कर भूजल का दोहन करने लगती हैं। एनजीटी ने दिल्ली जल बोर्ड को ये सुनिश्चित करने को कहा कि ट्रीटेड पानी का उपयोग अनिवार्य रुप से किया जाए। इसे बिना किसी उपयोग के छोड़ देना सार्वजनिक धन की बर्बादी है।
एनजीटी ने दिल्ली जल बोर्ड को स्थानीय निकायों या दूसरे विशेषज्ञों की राय से एक एक्शन प्लान तैयार करने का भी निर्देश दिया है और ये सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि सभी सरकारी भवनों, ग्रुप हाउसिंग सोसाइटियों, नयी इमारतों में, जहां कब्जा प्रमाणपत्र जारी किया जाना है, वहां रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जाएं।
पिछले 28 अगस्त को एनजीटी की ओर से नियुक्त मानिटरिंग कमेटी ने एनजीटी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में दिल्ली के तालाबों और दूसरे जल निकायों के आसपास अतिक्रमण हटाने और उन्हें यूनिक आईडेंटिटी नंबर देने का सुझाव दिया था । जस्टिस एसपी गर्ग की अध्यक्षता में बनी इस कमेटी ने कहा है कि 20 हजार लीटर का मुफ्त पानी मिलने के बावजूद कई हाऊसिंग सोसायटी भूजल का दोहन कर रही हैं। वे ट्यूबवेल और बोरवेल से भूजल निकासी कर रहे हैं ताकि पानी के बिल से बचा जा सके। कमेटी ने कहा है कि इसे रोकने के लिए दिल्ली जल बोर्ड को कड़े कदम उठाने चाहिए।


Conclusion:कमेटी ने दिल्ली के तालाबों और दूसरे जल निकायों पर अतिक्रमण रोकने के लिए उनके चारो ओर बाउंड्री वाल से घेरवाने का सुझाव दिया। कमेटी ने इन जल निकायों की जीपीएस पर मैपिंग करने का सुझाव दिया और पानी की गुणवत्ता की मानिटरिंग करने का सुझाव दिया है। कमेटी ने दिल्ली के जल निकायों की स्थिति जानने के लिए सुदूर गांवों में गए जहां जलीय निकाय सूखने के कगार पर हैं। लोगों में इसे लेकर जागरुकता है कि पानी के स्तर को बनाए रखा जाए। कमेटी ने पाया कि इन जल निकायों को देखने जानेवाले लोग पॉलीथिन और प्लास्टिक की बोतलें फेंकते हैं । इससे निपटने के लिए प्रशासन को मुख्य स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने चाहिए और प्लास्टिक की बोतलों और पॉलीथिन फेंकने से रोकने वाले साईन बोर्ड लगाए जने चाहिए। बड़े-बड़े झीलों पर गंदगी फैलाने वालों से निपटने के लिए सुरक्षाकर्मी की तैनाती की जानी चाहिए। गंदगी फैलाने वालों के खिलाफ अभियोजन चलाने के लिए नगर निगम और दिल्ली जल बोर्ड के स्पेशल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट का गठन होना चाहिए।
Last Updated : Sep 11, 2019, 11:13 PM IST
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