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लॉकडाउन: नए ठेकेदार ने जारी किया कर्मचारियों को हटाने का आदेश - लॉकडाउन दिल्ली न्यूज

लॉकडाउन के बीच किसी की नौकरी पर संकट आ जाए तो उसके लिए काफी मुश्किलें पैदा हो सकती है. कुछ ऐसी ही मुश्किलें शास्त्री पार्क स्थित जग प्रवेश चंद्र अस्पताल के नर्सिंग ओर्डर्ली (एनओ) की पोस्ट पर तैनात 90 कर्मचारियों पर आ गई है.

jag pravesh chandra hospital
जग प्रवेश चंद्र अस्पताल
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Published : Apr 1, 2020, 10:21 AM IST

नई दिल्ली: कोविड 19 प्रकोप के बाद देशभर में लॉकडाउन के साथ ही जहां एक तरफ दिल्ली में मेडिकल इमरजेंसी घोषित है और अस्पतालों को हर स्थिति से निबटने को तैयार रहने के निर्देश हैं. वहीं शास्त्री पार्क स्थित जग प्रवेश चंद्र अस्पताल में तैनात कर्मचारियों पर अचानक नौकरी खत्म होने की तलवार लटक गई है.

नए ठेकेदार ने जारी किया कर्मचारियों को हटाने का आदेश

दरअसल अस्पताल में स्टाफ सप्लाई करने वाला ठेकेदार बदला गया है, जिसने आते ही अस्पताल में तैनात स्टाफ को हटाने के लिए कह दिया है. इस नए आदेश से दर्जनों कर्मचारियों के सामने रोजी रोटी का एक बड़ा संकट पैदा हो गया है.

नर्सिंग ओर्डर्ली की पोस्ट की ड्यूटी पर 90 लोग


जानकारी के मुताबिक उत्तर पूर्वी दिल्ली के शास्त्री पार्क इलाके में स्थित दिल्ली सरकार के जग प्रवेश अस्पताल में मौजूदा समय नर्सिंग ओर्डर्ली (एनओ) की पोस्ट पर 90 कर्मचारी ड्यूटी कर रहे हैं. बताया जाता है कि नर्सिंग सहायक के तौर पर काम करने वाले इस स्टाफ की तैनाती निजी ठेकेदार करते हैं. हाल ही में ठेकेदार बदला गया है, जिसने आते ही अस्पताल में करीब 8-10 और 15 सालों से काम करने वाले स्टाफ को एक ही झटके में हटाने के लिए कह दिया है.



लॉकडाउन के बीच नौकरी जाना बड़ा आघात


लॉकडाउन की वजह से जहां आज हर किसी के सामने रोजी रोटी का संकट बना हुआ है. वहीं जग प्रवेश अस्पताल का एनओ स्टाफ अचानक नौकरी से हटाए जाने के फरमान के बाद सदमे में आ गया है. यहां तक कि कई महिला कर्मचारी तो ठेकेदार के इस फरमान के बाद रो रोकर बेहाल हैं.

दरअसल उन्हें यह समझ नहीं आ रहा है कि अगर लॉकडाउन के इस कठिन समय में उनकी नौकरी को कुछ हो गया तो उनका परिवार भूखे मरने को विवश होकर सड़क पर आ जायेगा.



ठेकेदार के सामने मंत्री के आदेश भी फेल


दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री गोपाल राय ने इस तरह की शिकायतें आने के बाद ही यह आदेश जारी किए थे कि किसी भी महकमे में अगर ठेकेदार बदला गया तो वह वहां कार्यरत पुराने स्टाफ को एकदम से नहीं हटा सकता. बल्कि नए लोगों को जरूर रख सकता है. जग प्रवेश अस्पताल के मामले में जिस तरह से इस नए ठेकेदार ने पुराने स्टाफ को हटाने की बात कही है, उससे लगता है कि उसके लिए जैसे मंत्री के आदेश कोई मायने नहीं रखते.


नई दिल्ली: कोविड 19 प्रकोप के बाद देशभर में लॉकडाउन के साथ ही जहां एक तरफ दिल्ली में मेडिकल इमरजेंसी घोषित है और अस्पतालों को हर स्थिति से निबटने को तैयार रहने के निर्देश हैं. वहीं शास्त्री पार्क स्थित जग प्रवेश चंद्र अस्पताल में तैनात कर्मचारियों पर अचानक नौकरी खत्म होने की तलवार लटक गई है.

नए ठेकेदार ने जारी किया कर्मचारियों को हटाने का आदेश

दरअसल अस्पताल में स्टाफ सप्लाई करने वाला ठेकेदार बदला गया है, जिसने आते ही अस्पताल में तैनात स्टाफ को हटाने के लिए कह दिया है. इस नए आदेश से दर्जनों कर्मचारियों के सामने रोजी रोटी का एक बड़ा संकट पैदा हो गया है.

नर्सिंग ओर्डर्ली की पोस्ट की ड्यूटी पर 90 लोग


जानकारी के मुताबिक उत्तर पूर्वी दिल्ली के शास्त्री पार्क इलाके में स्थित दिल्ली सरकार के जग प्रवेश अस्पताल में मौजूदा समय नर्सिंग ओर्डर्ली (एनओ) की पोस्ट पर 90 कर्मचारी ड्यूटी कर रहे हैं. बताया जाता है कि नर्सिंग सहायक के तौर पर काम करने वाले इस स्टाफ की तैनाती निजी ठेकेदार करते हैं. हाल ही में ठेकेदार बदला गया है, जिसने आते ही अस्पताल में करीब 8-10 और 15 सालों से काम करने वाले स्टाफ को एक ही झटके में हटाने के लिए कह दिया है.



लॉकडाउन के बीच नौकरी जाना बड़ा आघात


लॉकडाउन की वजह से जहां आज हर किसी के सामने रोजी रोटी का संकट बना हुआ है. वहीं जग प्रवेश अस्पताल का एनओ स्टाफ अचानक नौकरी से हटाए जाने के फरमान के बाद सदमे में आ गया है. यहां तक कि कई महिला कर्मचारी तो ठेकेदार के इस फरमान के बाद रो रोकर बेहाल हैं.

दरअसल उन्हें यह समझ नहीं आ रहा है कि अगर लॉकडाउन के इस कठिन समय में उनकी नौकरी को कुछ हो गया तो उनका परिवार भूखे मरने को विवश होकर सड़क पर आ जायेगा.



ठेकेदार के सामने मंत्री के आदेश भी फेल


दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री गोपाल राय ने इस तरह की शिकायतें आने के बाद ही यह आदेश जारी किए थे कि किसी भी महकमे में अगर ठेकेदार बदला गया तो वह वहां कार्यरत पुराने स्टाफ को एकदम से नहीं हटा सकता. बल्कि नए लोगों को जरूर रख सकता है. जग प्रवेश अस्पताल के मामले में जिस तरह से इस नए ठेकेदार ने पुराने स्टाफ को हटाने की बात कही है, उससे लगता है कि उसके लिए जैसे मंत्री के आदेश कोई मायने नहीं रखते.


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