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2010 के ऑनर किलिंग मामले के तीन आरोपियों को उम्रकैद की सजा

Honor Killing Case: दिल्ली की अदालत ने ऑनर किलिंग मामले में 4 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. घटना 13 साल पहले हुई थी. इसमें भाई ने कुछ लोगों के साथ मिलकर झूठी इज्जत के लिए बहन और उसके प्रेमी की हत्या कर दी थी.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Dec 20, 2023, 3:57 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने 2010 के चर्चित ऑनर किलिंग मामले में तीन लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. कोर्ट ने लड़की के भाई समेत साजिश में शामिल दो अन्य आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. दोषी अंकित चौधरी, मनदीप नागर, नकुल खारी को आजीवन कठोर कारवास की सजा सुनाई.

कोर्ट ने कहा कि आरोपी व्यक्तियों के आचरण से जाहिर है कि इन चारों ने परिवार के सम्मान के लिए हत्या को अंजाम दिया. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि उन्हें बेकसूर मानने का कोई आधार नहीं है, क्योंकि उनका अपराध करने से पहले और उसके बाद का व्यवहार, मकसद, कार उधार लेना, कार की चाबियां बनवाना, हथियार की बरामदगी और बैलिस्टिक रिपोर्ट इन तीनों को दोषी ठहराने के लिए काफी हैं.

यह भी पढ़ेंः 9 साल की बच्ची के अपहरण, रेप और हत्या मामले में DCW प्रमुख स्वाति मालीवाल का एक्शन, पुलिस से मांगी कार्रवाई रिपोर्ट

दरअसल, 2006 में मोनिका और कुलदीप ने अलग-अलग समुदायों से होने के बावजूद शादी का फैसला किया था. इसकी वजह से मोनिका के भाई मनदीप और घर वाले काफी नाराज हुए. फिर मामला कुछ शांत हो गया. उसके कुछ समय बाद मनदीप की दो और बहनों ने भी दूसरे समुदाय में शादी कर ली थी.

इस पर गांव में तरह-तरह की चर्चा होने लगी. इससे नाराज होकर भाई ने कुछ लोगों के साथ मिलकर 20 जून 2010 को कुलदीप और मोनिका की हत्या कर दी. इस मामले के आरोपी कुलदीप और मोनिका की हत्या कर अपने समाज के बीच एक संदेश पहुंचाना चाहते थे ताकि कोई फिर से ऐसा करने की कोशिश न करे.

यह भी पढ़ेंः दिल्ली में कोरोना के चार नए मामले सामने आने के बाद सक्रिय मरीजों की संख्या बढ़ी, किए गए ये इंतजाम

नई दिल्लीः दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने 2010 के चर्चित ऑनर किलिंग मामले में तीन लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. कोर्ट ने लड़की के भाई समेत साजिश में शामिल दो अन्य आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. दोषी अंकित चौधरी, मनदीप नागर, नकुल खारी को आजीवन कठोर कारवास की सजा सुनाई.

कोर्ट ने कहा कि आरोपी व्यक्तियों के आचरण से जाहिर है कि इन चारों ने परिवार के सम्मान के लिए हत्या को अंजाम दिया. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि उन्हें बेकसूर मानने का कोई आधार नहीं है, क्योंकि उनका अपराध करने से पहले और उसके बाद का व्यवहार, मकसद, कार उधार लेना, कार की चाबियां बनवाना, हथियार की बरामदगी और बैलिस्टिक रिपोर्ट इन तीनों को दोषी ठहराने के लिए काफी हैं.

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दरअसल, 2006 में मोनिका और कुलदीप ने अलग-अलग समुदायों से होने के बावजूद शादी का फैसला किया था. इसकी वजह से मोनिका के भाई मनदीप और घर वाले काफी नाराज हुए. फिर मामला कुछ शांत हो गया. उसके कुछ समय बाद मनदीप की दो और बहनों ने भी दूसरे समुदाय में शादी कर ली थी.

इस पर गांव में तरह-तरह की चर्चा होने लगी. इससे नाराज होकर भाई ने कुछ लोगों के साथ मिलकर 20 जून 2010 को कुलदीप और मोनिका की हत्या कर दी. इस मामले के आरोपी कुलदीप और मोनिका की हत्या कर अपने समाज के बीच एक संदेश पहुंचाना चाहते थे ताकि कोई फिर से ऐसा करने की कोशिश न करे.

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