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कीर्तिमान! कचरे से बनी बिजली का इस्तेमाल करने वाली पहली मेट्रो कंपनी बनी DMRC

कचरे से उत्पादित बिजली का इस्तेमाल करने वाली देश की DMRC पहली मेट्रो कंपनी है. दिल्ली मेट्रो का ये कदम देश में चल रहे स्वच्छ भारत मिशन के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इससे न केवल उन्हें बिजली मिल रही है बल्कि लोगों के बीच में कचरे के इस्तेमाल को लेकर भी संदेश जाएगा.

दिल्ली मेट्रो
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Published : Jun 5, 2019, 5:41 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी में दिल्ली मेट्रो आए दिन नए कीर्तिमान स्थापित करने के लिए जानी जाती है. पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए डीएमआरसी काम करती है. इस कड़ी में दिल्ली मेट्रो देश की पहली ऐसी मेट्रो बन गई है जो कचरे से उत्पादित बिजली का इस्तेमाल करने लगी है. मेट्रो को गाजीपुर स्थित बिजली उत्पादन के प्लांट से दो मेगावाट बिजली मिलने लगी है. यहां कचरे से बिजली तैयार होती है. भविष्य में इससे 12 मेगावाट बिजली मिलने का अनुमान है.



उत्पादन के अनुसार बढ़ेगा आंकड़ा
डीएमआरसी के अनुसार मेट्रो की पिंक लाइन पर बने विनोद नगर डिपो पर कचरे से उत्पादित बिजली का इस्तेमाल किया जा रहा है. ईस्ट दिल्ली वेस्ट प्रोसेसिंग कंपनी लिमिटेड द्वारा गाजीपुर में बने प्लांट से बिजली उत्पादित की जा रही है. डीएमआरसी का अनुमान है कि उन्हें यहां से लगभग 17.5 मिलियन यूनिट प्रत्येक वर्ष बिजली मिलेगी. हालांकि ये संख्या उत्पादन के अनुसार काम या ज्यादा हो सकती है.



स्वच्छ भारत मिशन के लिए महत्वपूर्ण
डीएमआरसी के अनुसार कचरे से उत्पादित बिजली का इस्तेमाल करने वाली देश की वो पहली मेट्रो कंपनी है. उनका ये कदम देश में चल रहे स्वच्छ भारत मिशन के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इससे न केवल उन्हें बिजली मिल रही है बल्कि लोगों के बीच में कचरे के इस्तेमाल को लेकर भी संदेश जाएगा. गाजीपुर में बनाया गया ये प्लांट पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत चल रहा है. इसमें पूर्वी दिल्ली नगर निगम एवं दिल्ली सरकार भी हिस्सेदार है.



12 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य
डीएमआरसी के अनुसार यहां पर 1500 टन कचरे से रोजाना 12 मेगावाट बिजली उत्पादित करने का लक्ष्य रखा गया है. इस प्लांट से वातावरण को भी किसी प्रकार का नुकसान नहीं होगा. डीएमआरसी अभी 28 मेगावाट बिजली का उत्पादन अपने सोलर पावर प्लांट से करती है, जो विभिन्न मेट्रो स्टेशनों की छत और मेट्रो की रिहायशी कालोनियों में छत पर लगाए गए हैं. इसके साथ ही मध्य प्रदेश के रीवा सोलर पॉवर प्लांट से भी डीएमआरसी को बिजली मिल रही है.


नई दिल्ली: राजधानी में दिल्ली मेट्रो आए दिन नए कीर्तिमान स्थापित करने के लिए जानी जाती है. पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए डीएमआरसी काम करती है. इस कड़ी में दिल्ली मेट्रो देश की पहली ऐसी मेट्रो बन गई है जो कचरे से उत्पादित बिजली का इस्तेमाल करने लगी है. मेट्रो को गाजीपुर स्थित बिजली उत्पादन के प्लांट से दो मेगावाट बिजली मिलने लगी है. यहां कचरे से बिजली तैयार होती है. भविष्य में इससे 12 मेगावाट बिजली मिलने का अनुमान है.



उत्पादन के अनुसार बढ़ेगा आंकड़ा
डीएमआरसी के अनुसार मेट्रो की पिंक लाइन पर बने विनोद नगर डिपो पर कचरे से उत्पादित बिजली का इस्तेमाल किया जा रहा है. ईस्ट दिल्ली वेस्ट प्रोसेसिंग कंपनी लिमिटेड द्वारा गाजीपुर में बने प्लांट से बिजली उत्पादित की जा रही है. डीएमआरसी का अनुमान है कि उन्हें यहां से लगभग 17.5 मिलियन यूनिट प्रत्येक वर्ष बिजली मिलेगी. हालांकि ये संख्या उत्पादन के अनुसार काम या ज्यादा हो सकती है.



स्वच्छ भारत मिशन के लिए महत्वपूर्ण
डीएमआरसी के अनुसार कचरे से उत्पादित बिजली का इस्तेमाल करने वाली देश की वो पहली मेट्रो कंपनी है. उनका ये कदम देश में चल रहे स्वच्छ भारत मिशन के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इससे न केवल उन्हें बिजली मिल रही है बल्कि लोगों के बीच में कचरे के इस्तेमाल को लेकर भी संदेश जाएगा. गाजीपुर में बनाया गया ये प्लांट पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत चल रहा है. इसमें पूर्वी दिल्ली नगर निगम एवं दिल्ली सरकार भी हिस्सेदार है.



12 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य
डीएमआरसी के अनुसार यहां पर 1500 टन कचरे से रोजाना 12 मेगावाट बिजली उत्पादित करने का लक्ष्य रखा गया है. इस प्लांट से वातावरण को भी किसी प्रकार का नुकसान नहीं होगा. डीएमआरसी अभी 28 मेगावाट बिजली का उत्पादन अपने सोलर पावर प्लांट से करती है, जो विभिन्न मेट्रो स्टेशनों की छत और मेट्रो की रिहायशी कालोनियों में छत पर लगाए गए हैं. इसके साथ ही मध्य प्रदेश के रीवा सोलर पॉवर प्लांट से भी डीएमआरसी को बिजली मिल रही है.


Intro:नई दिल्ली
दिल्ली मेट्रो आये दिन नए कीर्तिमान स्थापित करने के लिए जानी जाती है. खासतौर से पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए डीएमआरसी काम करती है. इस कड़ी में दिल्ली मेट्रो देश की पहली ऐसी मेट्रो बन गई है जो कचरे से उत्पादित बिजली का इस्तेमाल करने लगी है. मेट्रो को गाजीपुर स्थित कचरे से बिजली उत्पादन के प्लांट से दो मेगावाट बिजली मिलने लगी है. भविष्य में इससे 12 मेगावाट बिजली मिलने का अनुमान है.


Body:डीएमआरसी के अनुसार मेट्रो की पिंक लाइन पर बने विनोद नगर डिपो पर कचरे से उत्पादित बिजली का इस्तेमाल किया जा रहा है. ईस्ट दिल्ली वेस्ट प्रोसेसिंग कंपनी लिमिटेड द्वारा गाजीपुर में।बने प्लांट से बिजली उत्पादित की जा रही है. डीएमआरसी का अनुमान है कि उन्हें यहां से लगभग 17.5 मिलियन यूनिट प्रत्येक वर्ष मिलेगी. हालांकि यह संख्या उत्पादन के अनुसार काम या ज्यादा हो सकती है.


स्वच्छ भारत मिशन की तरफ महत्वपूर्ण कदम
डीएमआरसी के अनुसार कचरे से उत्पादित बिजली का इस्तेमाल करने वाली देश की वह पहली मेट्रो कंपनी है. उनका यह कदम देश में चल रहे स्वच्छ भारत मिशन के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इससे न केवल उन्हें बिजली मिल रही है बल्कि लोगों के बीच में कचरे के इस्तेमाल को लेकर भी संदेश जाएगा. गाजीपुर में बनाया गया यह प्लांट पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत चल रहा है. इसमें पूर्वी दिल्ली नगर निगम एवं दिल्ली सरकार भी हिस्सेदार है.


12 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य
डीएमआरसी के अनुसार यहां पर 1500 टन कचरे से रोजाना 12 मेगावाट बिजली उत्पादित करने का लक्ष्य रखा गया है. इस प्लांट से वातावरण को भी किसी प्रकार का नुकसान नहीं होगा. डीएमआरसी अभी 28 मेगावाट बिजली का उत्पादन अपने सोलर पावर प्लांट से करती है जो विभिन्न मेट्रो स्टेशनों की छत एवं मेट्रो की रिहायशी कालोनियों में छत पर लगाये गए हैं. इसके साथ ही मध्य प्रदेश के रीवा सोलर पॉवर प्लांट से भी डीएमआरसी को बिजली मिल रही है.


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