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'बहुसंख्यक समाज के अधिकारों का हनन है आर्टिकल-30', संशोधन की मांग

भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा (आईटी सेल) के राष्ट्रीय संयोजक वी.के.शर्मा ने आर्टिकल-30 को समानता के अधिकार का हनन बताया है. उनका कहना है कि आर्टिकल-30 के मुताबिक लोगों को उनके धर्म और भाषा के आधार पर शिक्षण संस्थान चलाने का अधिकार देता है. जबकि ये आर्टिकल संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार में शामिल समानता के अधिकार का हनन करता है.

article 30 amendment
वी.के.शर्मा बीजेपी किसान मोर्चा
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Published : May 29, 2020, 3:38 PM IST

नई दिल्ली: संविधान के आर्टिकल-30 को बहुसंख्यक समुदाय के मौलिक अधिकरों का हनन बताते हुए केंद्र सरकार से इसमें बदलाव किए जाने की मांग उठने लगी है. भाजपा किसान मोर्चा (आईटी सेल) के राष्ट्रीय संयोजक वीके शर्मा ने कहा कि आर्टिकल-30 लोगों को धर्म और भाषा के आधार पर शिक्षण संस्थान चलाने का अधिकार देता है. जो कि मौलिक अधिकारों में शामिल समानता के अधिकार का हनन करता है.

आर्टिकल-30 में संशोधन की मांग

'समानता के अधिकार का हनन'

भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा (आईटी सेल) के राष्ट्रीय संयोजक वी.के.शर्मा ने कहा कि संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकारों की बात कही गई है. जिसकी व्याख्या आर्टिकल 12 से शुरू होकर आर्टिकल 35 में की गई है. इसमें शामिल आर्टिकल-30 के मुताबिक लोगों को उनके धर्म और भाषा के आधार पर शिक्षण संस्थान चलाने का अधिकार देता है. जबकि ये आर्टिकल संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार में शामिल समानता के अधिकार का हनन करता है.

'बहुसंख्यक समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता का हनन'


वीके शर्मा ने कहा कि आर्टिकल-30 बहुसंख्यक समाज के अधिकारों का हनन करता है. ऐसे में इस आर्टिकल-30 को या तो खत्म किया जाना चाहिए या फिर इसमें संशोधन किया जाए. ताकि बहुसंख्यकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करते हुए उनके अधिकारों के हनन को रोका जा सके. उन्होंने कहा कि आर्टिकल-30 के तहत मदरसों में कुरान और हदीस पढ़ाई जाएंगी. जो कि बहुसंख्यक समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता का हनन है. बहुसंख्यक समुदाय को भी धार्मिक शिक्षण संस्थाएं खोलने के अधिकार मिलना चाहिए. जिसके लिए आर्टिकल-30 में संशोधन बेहद जरूरी है.

'आर्टिकल-30 में संशोधन करने की मांग'


उन्होंने कहा कि आने वाले समय में कहीं बहुसंख्यकों के मन में ये भावना ना हो कि उन्हें कम अधिकार मिले हैं. समानता का अधिकार पूरी तरह से सबके लिए बराबर लागू होना चाहिए. उन्होंने केंद्र सरकार से मांग करते हुए कहा कि संविधान के आर्टिकल-30 को खत्म किया जाए या फिर उसमें संशोधन करने चाहिए.

नई दिल्ली: संविधान के आर्टिकल-30 को बहुसंख्यक समुदाय के मौलिक अधिकरों का हनन बताते हुए केंद्र सरकार से इसमें बदलाव किए जाने की मांग उठने लगी है. भाजपा किसान मोर्चा (आईटी सेल) के राष्ट्रीय संयोजक वीके शर्मा ने कहा कि आर्टिकल-30 लोगों को धर्म और भाषा के आधार पर शिक्षण संस्थान चलाने का अधिकार देता है. जो कि मौलिक अधिकारों में शामिल समानता के अधिकार का हनन करता है.

आर्टिकल-30 में संशोधन की मांग

'समानता के अधिकार का हनन'

भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा (आईटी सेल) के राष्ट्रीय संयोजक वी.के.शर्मा ने कहा कि संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकारों की बात कही गई है. जिसकी व्याख्या आर्टिकल 12 से शुरू होकर आर्टिकल 35 में की गई है. इसमें शामिल आर्टिकल-30 के मुताबिक लोगों को उनके धर्म और भाषा के आधार पर शिक्षण संस्थान चलाने का अधिकार देता है. जबकि ये आर्टिकल संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार में शामिल समानता के अधिकार का हनन करता है.

'बहुसंख्यक समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता का हनन'


वीके शर्मा ने कहा कि आर्टिकल-30 बहुसंख्यक समाज के अधिकारों का हनन करता है. ऐसे में इस आर्टिकल-30 को या तो खत्म किया जाना चाहिए या फिर इसमें संशोधन किया जाए. ताकि बहुसंख्यकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करते हुए उनके अधिकारों के हनन को रोका जा सके. उन्होंने कहा कि आर्टिकल-30 के तहत मदरसों में कुरान और हदीस पढ़ाई जाएंगी. जो कि बहुसंख्यक समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता का हनन है. बहुसंख्यक समुदाय को भी धार्मिक शिक्षण संस्थाएं खोलने के अधिकार मिलना चाहिए. जिसके लिए आर्टिकल-30 में संशोधन बेहद जरूरी है.

'आर्टिकल-30 में संशोधन करने की मांग'


उन्होंने कहा कि आने वाले समय में कहीं बहुसंख्यकों के मन में ये भावना ना हो कि उन्हें कम अधिकार मिले हैं. समानता का अधिकार पूरी तरह से सबके लिए बराबर लागू होना चाहिए. उन्होंने केंद्र सरकार से मांग करते हुए कहा कि संविधान के आर्टिकल-30 को खत्म किया जाए या फिर उसमें संशोधन करने चाहिए.

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