नई दिल्लीः दिल्ली दंगों को लेकर बनाई गई फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद से ही इसे लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. समाजसेवी डॉ. फहीम ने कमेटी के गठन पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि कोई भी कमेटी अगर सरकार के अनुरूप न हो, तो उसका कोई औचित्य नहीं रह जाता है. ऐसे तो आप चिल्लाते रहिए कोई सुनने वाला नहीं है.
गौरतलब है कि दिल्ली माइनॉरिटी कमीशन ने दिल्ली दंगों की जांच पड़ताल के लिए फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन किया था. नौ सदस्यों वाली इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि दंगों के दौरान पुलिस का रवैया ठीक नहीं था. दंगों के बाद आज भी पीड़ित न्याय और मुआवजे के लिए दर-दर भटक रहे हैं, कमेटी ने इन दंगों की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी वाली कमेटी से कराए जाने की सिफारिश भी सरकार से की है.
समाजसेवी डॉ. फहीम बेग ने कहा कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली के इलाकों में पुलिस की निगरानी में हादसे हुए, जिसमें कई लोगों की जानें चली गईं और करोड़ों की क्षति हुई. इसे प्रशासन, केंद्र और दिल्ली हल्के में ले रहा है. इससे एक समुदाय के प्रति सौतेला व्यवहार किया जाना दिखाई देता है.
उन्होंने कहा कि जुर्म चाहे वह किसी ने भी किया हो, कानून को अपना काम करना चाहिए. मगर आज यह देखा जा रहा है कि दंगे को किस ढंग से छुपाने के काम किया जा रहा है. कैसे कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा जैसे बड़े नामों को बचाने के लिए यह सब किया जा रहा है.
कमेटी के गठन पर उठाए सवाल
डॉ. फहीम ने कहा कि कमेटी को लीड करने वाले की अहमियत क्या है. क्या सरकार से समन्वय स्थापित करके यह कमेटी बनाई गई थी. दिल्ली सरकार के मंत्री से सलाह ली गई थी. किसी भी कमेटी की अहमियत उसके बनाने वाले पर निर्भर करती है.
उन्होंने कहा कि कमेटी की अहमियत उसके बनाने वाले से पैदा होती है. कितनी भी कमेटियां बना लीजिये, अगर उस कमेटी को प्रशासन, सरकार के अनुरूप नहीं बनाया गया, तो उसका कोई औचित्य नहीं रह जाता है. इस तरह से आप चिल्लाते रहें कोई सुनने वाला नहीं है.
डॉ. फहीम ने राय भी दिए
डॉ. फहीम ने कहा कि कमीशन को चाहिए कि कमेटी की रिपोर्ट को गृह मंत्रालय और राष्ट्रपति के संज्ञान में भी लाए, ताकि सबको सच्चाई का पता लग सके. फिलहाल देखने वाली बात यह है कि आखिर माइनॉरिटी कमीशन की इस फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट से दंगा प्रभावितों को किस हद तक लाभ मिल पाता है.