नई दिल्ली: कारगिल युद्ध में भारत को मिली जीत के 22 साल पूरे होने की खुशी में देशभर में जश्न मनाया जा रहा है. इसे वीरता के रूप में मनाया जा रहा है. ये दिन पाकिस्तान के धोखे और भारतीय सैनिकों के शौर्य की गाथा का प्रतीक है. दिल्ली के मुखमेलपुर में रहने वाले फौजी सतवीर सिंह को कारगिल युद्ध में कई गोलियां लगी थी, लेकिन आज उनको कोई पूछने वाला नहीं है. सरकार की ओर से उन्हें फोन करके सम्मान भी नहीं दिया.
कारगिल युद्ध के दौरान लगी गोलियों में एक गोली अब फौजी सतवीर सिंह के पैर में लगी हुई है. इस युद्ध के बाद उनको सम्मान में जो जमीन दी गई थी, वह भी उनसे छीन ली गई. कारगिल दिवस के मौके पर भी उनको सम्मान देने के लिए एक भी सरकारी अधिकारी नहीं पहुंचा और ना ही किसी बात का आश्वासन दिया गया.
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कारगिल दिवस के मौके पर समाजसेवी हरपाल राणा और उनके साथ कुछ लोग फौजी सतवीर सिंह के घर पहुंचे. उन्होंने ना शॉल देकर फौजी सतवीर सिंह को सम्मान दिया. साथ ही उनका आत्मविश्वास बढ़ाया. साथ ही कितनी बहादुरी के साथ उन्होंने कारगिल युद्ध में दुश्मनों से लड़ाई की, उसकी गाथा भी सुनी.
कारगिल दिवस के मौके पर फौजी सतवीर सिंह की आंखों के सामने वह मंजर सामने आ गया, जब उनके साथी उनकी आंखों के सामने शहीद हो रहे थे. गोलियों की गड़गड़ाहट से पूरा कारगिल इलाका गूंज रहा था. कारगिल युद्ध मे फौजी सतबीर सिंह को कई गोलियां लगी थी, लेकिन वो बहुत बहादुरी के साथ लड़ते रहे और आखिरकार भारत को जीत दिलाई.
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जिस फौजी ने देश की खातिर अपनी जान हथेली पर लड़कर घुसपैठियों को धूल चटाई और कारगिल युद्ध जीतकर यह सिद्ध कर दिया कि भारतीय सेना कमजोर नहीं है, आज उन सैनिकों का मनोबल सरकार की गलत नीतियों के चलते टूटता नजर आ रहा है. ऐसे में जरूरत है कि सरकार ऐसे सैनिकों का हमेशा मनोबल बढ़ाए, जिससे आने वाले युवा बढ़-चढ़कर भारतीय सेना में जाएं और देश की तरफ बुरी नजर करने वालों को धूल चटाए.