नई दिल्लीः दिल्ली में मंगलवार रात 9:30 बजे भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए. रिएक्ट स्केल पर इसकी तीव्रता 2.5 दर्ज की गई है. भूकंप का केंद्र दिल्ली था. नवंबर में यह तीसरा मौका है जब दिल्ली में भूकंप आया है. इससे पहले 8 और 12 नवंबर को दिल्ली में भूकंप के झटके लोगों ने महसूस किया था.
नेशनल सेंटर ऑफ सिस्मोलॉजी के अनुसार, भूकंप जिनकी तीव्रता 4.0 से कम होती है उनसे नुकसान की संभावना बेहद कम होती है. चूंकि आज जो भूकंप आया है उसकी तीव्रता बहुत ही कम थी, इसलिए लोगों को पता नहीं चला. यह हल्की एडजेस्टमेंट का नतीजा है, जो खतरनाक नहीं होते. दिल्ली के आसपास ऐसी कोई फॉल्ट प्लेट नहीं है, जिस पर प्रेशर इस समय काफी ज्यादा हो. इसी वजह से इसे सिस्मिक जोन 4 में रखा गया है.
अधिक तीव्रता होने पर इन इलाकों में अधिक खतरा
दिल्ली तीन सबसे एक्टिव सिस्मिक फॉल्ट लाइंस पर स्थित है, इसमें सोहना फॉल्ट लाइन, मथुरा फॉल्ट लाइन और दिल्ली-मुरादाबाद फॉल्ट लाइन. इसके अलावा गुरुग्राम भी सात सबसे एक्टिव सिस्मिक फॉल्ट लाइन पर स्थित है, जो दिल्ली के अलावा एनसीआर को भी सबसे खतरनाक एरिया बनाता है. अगर इनमें से कोई भी लाइन एक्टिव होता है तो इससे 7.5 की तीव्रता वाला भूकंप आने की आशंका है.
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नई दिल्ली से 8 किमी पश्चिम में आज रात करीब 9.30 बजे 2.5 तीव्रता का भूकंप आया। भूकंप की गहराई जमीन से 5 किमी नीचे थी: नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी pic.twitter.com/gAwnkOYCJe
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 29, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 29, 2022नई दिल्ली से 8 किमी पश्चिम में आज रात करीब 9.30 बजे 2.5 तीव्रता का भूकंप आया। भूकंप की गहराई जमीन से 5 किमी नीचे थी: नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी pic.twitter.com/gAwnkOYCJe
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 29, 2022
भूकंप क्यों आते हैं...
भूगर्भ वैज्ञानिकों के मुताबिक पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं. जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है. बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं. जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं. नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है. इसके अलावा उल्का प्रभाव और ज्वालामुखी विस्फोट, माइन टेस्टिंग और न्यूक्लियर टेस्टिंग भी भूकंप की वजहें होती हैं.
जानें केंद्र और तीव्रता का मतलब...
भूगर्भ वैज्ञानिकों के मुताबिक भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है. अगर रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है, तो 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है. जैसे-जैसे दूरी बढ़ती जाती है कंपन भी कम होते जाते हैं.