नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय का मशहूर कॉलेज सेंट स्टीफन दाखिले से पहले ही विवादों में आ गया है. दरअसल एडमिशन के लिए होने वाले इंटरव्यू में सुप्रीम काउंसिल की ओर से कई सदस्यों को शामिल करने का फैसला लिए जाने का टीचर्स और स्टूडेंटस विरोध कर रहे हैं.
'एडमिशन प्रक्रिया में बदलाव गलत'
छात्रों और अध्यापकों की ओर से इस फैसले को वापस लेने की मांग की जा रही है. उनका कहना है कि किसी बाहरी का कॉलेज में आना और प्रवेश प्रक्रिया में शामिल होना सही नहीं है. जानकारी देते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रसाल सिंह ने बताया कि माइनॉरिटी के नाम पर सेंट स्टीफन इस साल अपनी एडमिशन प्रक्रिया में जो बदलाव कर रहा है वो सरासर गलत है.
'निजता को दिया जा रहा बढ़ावा'
प्रोफेसर रसाल ने बताया कि कॉलेज की एडमिशन प्रक्रिया में इस साल चर्च का एक प्रतिनिधि बैठाया जाएगा. प्रोफेसर रसाल के मुताबिक इस तरीके से कॉलेज निजता को बढ़ावा दे रहा है. प्रोफेसर रसाल ने बताया कि प्रक्रिया में किसी चर्च के प्रतिनिधि को बैठाए जाने से शिक्षा पर सीधे तौर पर असर पड़ेगा, क्योंकि अगर चर्च के प्रतिनिधि साक्षात्कार में बैठेंगे तो अपने धर्म के लोगों को अधिक से अधिक एडमिशन में बढ़ावा देंगे और अपने धर्म के लोगों को इसमें जगह दी जाएगी.
'बाहरी लोगों का प्रवेश निषेध'
मामले को बढ़ता देख कॉलेज के प्रिंसिपल जॉन वरगीस ने एक नोटिस जारी किया है. जिसमें उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि कुछ लोग कॉलेज की शांति भंग करने की कोशिश कर रहे हैं और अगर इसका उल्लंघन किया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कदम उठाया जाएगा. इसी के साथ कॉलेज परिसर में किसी बाहरी मीडिया या किसी छात्र और टीचर के प्रवेश को भी निषेध किया गया है.
आइसा ने व्यक्त की नाराजगी
कॉलेज में किसी बाहरी प्रतिनिधि के शामिल होने को लेकर ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन ने भी नाराजगी व्यक्त की है और इसे लेकर प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है. आइसा के एक कार्यकर्ता के मुताबिक कॉलेज में एडमिशन का काम साफ तौर पर वहां के टीचर और प्रिंसिपल का होता है, लेकिन जिस तरीके से किसी चर्च के प्रतिनिधि को बिठाए जाने का फैसला लिया गया है वो सरासर गलत है और इसका टीचर समेत सभी स्टूडेंट विरोध कर रहे हैं.