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दाखिला प्रक्रिया से पहले ही DU का सेंट स्टीफन कॉलेज विवादों में, जानें क्या है वजह

छात्रों और अध्यापकों का कहना है कि किसी बाहरी का कॉलेज में आना और प्रवेश प्रक्रिया में शामिल होना सही नहीं है. जानकारी देते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रसाल सिंह ने बताया कि माइनॉरिटी के नाम पर सेंट स्टीफन इस साल अपनी एडमिशन प्रक्रिया में जो बदलाव कर रहा है वो सरासर गलत है.

दाखिला प्रक्रिया से पहले ही DU का सेंट स्टीफन कॉलेज विवादों में
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Published : May 17, 2019, 6:28 PM IST

Updated : May 17, 2019, 10:25 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय का मशहूर कॉलेज सेंट स्टीफन दाखिले से पहले ही विवादों में आ गया है. दरअसल एडमिशन के लिए होने वाले इंटरव्यू में सुप्रीम काउंसिल की ओर से कई सदस्यों को शामिल करने का फैसला लिए जाने का टीचर्स और स्टूडेंटस विरोध कर रहे हैं.

'एडमिशन प्रक्रिया में बदलाव गलत'
छात्रों और अध्यापकों की ओर से इस फैसले को वापस लेने की मांग की जा रही है. उनका कहना है कि किसी बाहरी का कॉलेज में आना और प्रवेश प्रक्रिया में शामिल होना सही नहीं है. जानकारी देते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रसाल सिंह ने बताया कि माइनॉरिटी के नाम पर सेंट स्टीफन इस साल अपनी एडमिशन प्रक्रिया में जो बदलाव कर रहा है वो सरासर गलत है.

'निजता को दिया जा रहा बढ़ावा'
प्रोफेसर रसाल ने बताया कि कॉलेज की एडमिशन प्रक्रिया में इस साल चर्च का एक प्रतिनिधि बैठाया जाएगा. प्रोफेसर रसाल के मुताबिक इस तरीके से कॉलेज निजता को बढ़ावा दे रहा है. प्रोफेसर रसाल ने बताया कि प्रक्रिया में किसी चर्च के प्रतिनिधि को बैठाए जाने से शिक्षा पर सीधे तौर पर असर पड़ेगा, क्योंकि अगर चर्च के प्रतिनिधि साक्षात्कार में बैठेंगे तो अपने धर्म के लोगों को अधिक से अधिक एडमिशन में बढ़ावा देंगे और अपने धर्म के लोगों को इसमें जगह दी जाएगी.

'बाहरी लोगों का प्रवेश निषेध'
मामले को बढ़ता देख कॉलेज के प्रिंसिपल जॉन वरगीस ने एक नोटिस जारी किया है. जिसमें उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि कुछ लोग कॉलेज की शांति भंग करने की कोशिश कर रहे हैं और अगर इसका उल्लंघन किया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कदम उठाया जाएगा. इसी के साथ कॉलेज परिसर में किसी बाहरी मीडिया या किसी छात्र और टीचर के प्रवेश को भी निषेध किया गया है.

दाखिला प्रक्रिया से पहले ही DU का सेंट स्टीफन कॉलेज विवादों में

आइसा ने व्यक्त की नाराजगी
कॉलेज में किसी बाहरी प्रतिनिधि के शामिल होने को लेकर ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन ने भी नाराजगी व्यक्त की है और इसे लेकर प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है. आइसा के एक कार्यकर्ता के मुताबिक कॉलेज में एडमिशन का काम साफ तौर पर वहां के टीचर और प्रिंसिपल का होता है, लेकिन जिस तरीके से किसी चर्च के प्रतिनिधि को बिठाए जाने का फैसला लिया गया है वो सरासर गलत है और इसका टीचर समेत सभी स्टूडेंट विरोध कर रहे हैं.

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय का मशहूर कॉलेज सेंट स्टीफन दाखिले से पहले ही विवादों में आ गया है. दरअसल एडमिशन के लिए होने वाले इंटरव्यू में सुप्रीम काउंसिल की ओर से कई सदस्यों को शामिल करने का फैसला लिए जाने का टीचर्स और स्टूडेंटस विरोध कर रहे हैं.

'एडमिशन प्रक्रिया में बदलाव गलत'
छात्रों और अध्यापकों की ओर से इस फैसले को वापस लेने की मांग की जा रही है. उनका कहना है कि किसी बाहरी का कॉलेज में आना और प्रवेश प्रक्रिया में शामिल होना सही नहीं है. जानकारी देते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रसाल सिंह ने बताया कि माइनॉरिटी के नाम पर सेंट स्टीफन इस साल अपनी एडमिशन प्रक्रिया में जो बदलाव कर रहा है वो सरासर गलत है.

'निजता को दिया जा रहा बढ़ावा'
प्रोफेसर रसाल ने बताया कि कॉलेज की एडमिशन प्रक्रिया में इस साल चर्च का एक प्रतिनिधि बैठाया जाएगा. प्रोफेसर रसाल के मुताबिक इस तरीके से कॉलेज निजता को बढ़ावा दे रहा है. प्रोफेसर रसाल ने बताया कि प्रक्रिया में किसी चर्च के प्रतिनिधि को बैठाए जाने से शिक्षा पर सीधे तौर पर असर पड़ेगा, क्योंकि अगर चर्च के प्रतिनिधि साक्षात्कार में बैठेंगे तो अपने धर्म के लोगों को अधिक से अधिक एडमिशन में बढ़ावा देंगे और अपने धर्म के लोगों को इसमें जगह दी जाएगी.

'बाहरी लोगों का प्रवेश निषेध'
मामले को बढ़ता देख कॉलेज के प्रिंसिपल जॉन वरगीस ने एक नोटिस जारी किया है. जिसमें उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि कुछ लोग कॉलेज की शांति भंग करने की कोशिश कर रहे हैं और अगर इसका उल्लंघन किया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कदम उठाया जाएगा. इसी के साथ कॉलेज परिसर में किसी बाहरी मीडिया या किसी छात्र और टीचर के प्रवेश को भी निषेध किया गया है.

दाखिला प्रक्रिया से पहले ही DU का सेंट स्टीफन कॉलेज विवादों में

आइसा ने व्यक्त की नाराजगी
कॉलेज में किसी बाहरी प्रतिनिधि के शामिल होने को लेकर ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन ने भी नाराजगी व्यक्त की है और इसे लेकर प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है. आइसा के एक कार्यकर्ता के मुताबिक कॉलेज में एडमिशन का काम साफ तौर पर वहां के टीचर और प्रिंसिपल का होता है, लेकिन जिस तरीके से किसी चर्च के प्रतिनिधि को बिठाए जाने का फैसला लिया गया है वो सरासर गलत है और इसका टीचर समेत सभी स्टूडेंट विरोध कर रहे हैं.

Intro:दिल्ली विश्वविद्यालय का फेमस कॉलेज सेंट स्टीफन ऐडमिशन से पहले ही विवादों में आ गया है और यह विवाद लगातार बढ़ते जा रहा है दरअसल एडमिशन के लिए होने वाले इंटरव्यू में सुप्रीम काउंसिल ने कई सदस्यों को शामिल करने का फैसला किया जिसका टीचर्स और स्टूडेंट विरोध कर रहे हैं और इस फैसले को वापस लेने की मांग की जा रही है दरअसल कॉलेज में एडमिशन प्रक्रिया के दौरान जो इंटरव्यू होता है उसमें बाहर के प्रतिनिधि को शामिल किया जाने का फैसला लिया गया जिसका शिक्षक और छात्र विरोध कर रहे हैं उनका कहना है कि किसी बाहरी का कॉलेज मैं आना और प्रवेश प्रक्रिया में शामिल होना सही नहीं है

इस खबर पर ज्यादा जानकारी के लिए हमने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रसाल सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि माइनॉरिटी के नाम पर सेंट स्टीफन कई सालों से इस तरीके की कई चीजें करता आया है और वह इस साल अपनी एडमिशन प्रक्रिया में जो बदलाव कर रहा है वह सरासर गलत है प्रोफेसर रसाल ने बताया कि कॉलेज की एडमिशन प्रक्रिया मैं इस साल चर्च का एक प्रतिनिधि बैठाया जाएगा और वह उन छात्रों का इंटरव्यू लेगा जो कि दिल्ली विश्वविद्यालय के नियमों के खिलाफ है क्योंकि दिल्ली विश्वविद्यालय में कई और या देश में कई और भी संस्थान हैं जो माइनॉरिटी है उनमें इस तरह का कोई भी सिस्टम नहीं है अगर खालसा कॉलेज की बात की जाए या दिल्ली के जामिया विश्वविद्यालय की बात की जाए तो उनमें इस तरह का कोई भी नियम या बदलाव नहीं किया गया है प्रोफेसर रसाल ने कहा कि इस तरीके की हरकतें कर कॉलेज किसी ना किसी तरह निजता को बढ़ावा दे रहा है साथी साथ ही ईसाई धर्म को थोपने की कोशिश की जा रही है प्रोफेसर रसाल ने बताया प्रक्रिया में किसी चर्च के प्रतिनिधि को बैठाए जाने से शिक्षा सीधे तौर पर असर पड़ेगा क्योंकि अगर साक्षात्कार में बैठेंगे तो अपने धर्म के लोगों को अधिक से अधिक ऐडमिशन में बढ़ावा देंगे और अपने धर्म के लोगों को इसमें जगह दी जाएगी आम स्टूडेंट को ना चुनकर वह अपने धर्म के लोगों को चुनेंगे




Body:कॉलेज प्रिंसिपल जारी किया नोटिस
मामले को बढ़ता देख कॉलेज के प्रिंसिपल जॉन varghees ने एक नोटिस जारी किया है जिसमें उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि कुछ लोग कॉलेज की शांति भंग करने की कोशिश कर रहे हैं और इस समय कॉलेज में कई बच्चों के एग्जाम चल रहे हैं जिससे कि उन पर बुरा असर पड़ता है वही किसी भी बाहरी को कॉलेज की शांति भंग नहीं करनी चाहिए और यदि इसका उल्लंघन किया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कदम उठाया जाएगा. इसी के साथ कॉलेज परिसर में किसी बाहरी मीडिया या किसी छात्र ए टीचर के प्रवेश को भी निषेध किया गया है

आपको बता दें कि इस साल सेंट स्टीफन कॉलेज में जो दाखिले की प्रक्रिया शुरू होगी उसमें छात्रों का जो इंटरव्यू लिया जाएगा उसमें सुप्रीम काउंसिल के सदस्य भी शामिल होंगे उत्तर भारत की चोट से संबंधित 6 लोग जो कि इसमें शामिल होते हैं जिन्हें सुप्रीम काउंसिल कहा जाता है सुप्रीम काउंसिल और जीबी के सदस्य दिल्ली के विषय होते हैं

हालांकि कॉलेज में किसी बाहरी प्रतिनिधि के शामिल होने को लेकर ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन आयशा ने नाराजगी व्यक्त की है और इसको लेकर प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है


Conclusion:इस पर हमने आयशा के कार्यकर्ता सर जीवन से बात की तो उन्होंने बताया कि कॉलेज में एडमिशन का काम साफ तौर पर वहां के टीचर और प्रिंसिपल का होता है लेकिन जिस तरीके से किसी चर्च के प्रतिनिधि को बिठाया जाना सरासर गलत है और इसका टीचर समेत सभी स्टूडेंट विरोध कर रहे हैं और इसको लेकर वह लोग प्रदर्शन भी करने वाले हैं और अपनी मांगों को कॉलेज प्रशासन और प्रतिनिधि के सामने रखने वाले हैं आयशा के कार्यकर्ता ने कहा कि कॉलेज में किसी भी धर्म गुरु का शामिल होना एकेडमिक प्रक्रिया को प्रभावित करता है जो सरासर गलत है बोल के खिलाफ है
Last Updated : May 17, 2019, 10:25 PM IST
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