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भलस्वा लैंडफिल साइट पर निजी कंपनी से करार पर उठे सवाल - भलस्वा लैंडफिल साइट पर ट्रोमेल मशीन विरोध

दिल्ली के भलस्वा लैंडफिल साइट पर कूड़े की समस्या के समाधान को लेकर सत्ता में शासित भाजपा के द्वारा लगातार अथक प्रयास किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में कूड़े के पहाड़ को खत्म करने के लिए भाजपा शासित निगम ने लैंडफिल साइट पर ट्रोमेल मशीन लगाई थी. ताकि कूड़े के पहाड़ की हाइट को न सिर्फ काम किया जाए, बल्कि समस्या का भी समाधान किया जा सके, लेकिन अब भाजपा की इस नीति पर सवाल उठ रहे हैं.

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भलस्वा लैंडफिल साइट पर निजी कंपनी से करार पर उठे सवाल
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Published : Jul 27, 2021, 2:13 PM IST

नई दिल्ली: भलस्वा लैंडफिल साइट पर कूड़े की समस्या के समाधान को लेकर नॉर्थ एमसीडी द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में कूड़े के पहाड़ को खत्म करने के लिए निगम ने लैंडफिल साइट पर ट्रोमेल मशीन लगाई थी. ताकि कूड़े के पहाड़ की हाइट को ना सिर्फ काम किया जाए बल्कि समस्या का भी समाधान किया जा सके. लेकिन अब भाजपा की इस नीति पर सवाल उठ रहे हैं.

नॉर्थ एमसीडी द्वारा कूड़े के पहाड़ को खत्म करने के लिए निजी कंपनी के साथ किए गए करार के तहत जो ट्रोमेल मशीनें लगाई गई हैं. उसके किराए के रूप में निगम के द्वारा वर्तमान में लगभग साढे छ: लाख के आसपास प्रति माह के हिसाब से भुगतान किया जा रहा है. जिसको लेकर विपक्ष के द्वारा पहले से ही सवाल उठाए जा रहे हैं और अब स्टैंडिंग कमेटी में एक और नया प्रस्ताव इसी के मद्देनजर लाया जा रहा है. जिसमें कूड़े के वजन के हिसाब से इन कंपनियों को पेमेंट की जाएगी. जिसको लेकर विपक्ष ने अपनी तरफ से मोर्चा खोल दिया है.

भलस्वा लैंडफिल साइट पर निजी कंपनी से करार पर उठे सवाल

कांग्रेस पार्टी के नेता मुकेश गोयल ने जहां इस पूरे प्रस्ताव को भाजपा शासित निगम का भ्रष्टाचार का एक और साधन बताया है. वहीं आप नेता और नेता विपक्ष विकास गोयल ने इस पूरे प्रस्ताव को भाजपा के भ्रष्टाचार की परिकाष्ठा बताते हुए कहा कि इससे साफ हो गया कि भाजपा जिस तरह से इस प्रस्ताव को ला रही है, उससे सीधे तौर पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा. भाजपा नेताओं को दिल्ली की जनता की चिंता नहीं है. उन्हें सिर्फ अपनी जेब भरने से मतलब है. लेकिन विपक्ष इस प्रस्ताव को पास नहीं होने देगी और इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा.

बता दें कि इस पूरे मामले पर नॉर्थ एमसीडी में नेता सदन की भूमिका निभा रहे हैं छैल बिहारी गोस्वामी ने बातचीत के दौरान कहा कि विपक्ष सत्ता पक्ष के ऊपर निराधार आरोप लगा रहा है. विपक्ष को अपनी भूमिका सकारात्मक तौर से निभाने चाहिए. जिस विषय की विपक्ष बात कर रहा है वह अभी एक प्रस्ताव मात्र है उसके ऊपर विस्तार से चर्चा होनी है जिसके बाद ही उसे पास किया जाएगा।

नई दिल्ली: भलस्वा लैंडफिल साइट पर कूड़े की समस्या के समाधान को लेकर नॉर्थ एमसीडी द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में कूड़े के पहाड़ को खत्म करने के लिए निगम ने लैंडफिल साइट पर ट्रोमेल मशीन लगाई थी. ताकि कूड़े के पहाड़ की हाइट को ना सिर्फ काम किया जाए बल्कि समस्या का भी समाधान किया जा सके. लेकिन अब भाजपा की इस नीति पर सवाल उठ रहे हैं.

नॉर्थ एमसीडी द्वारा कूड़े के पहाड़ को खत्म करने के लिए निजी कंपनी के साथ किए गए करार के तहत जो ट्रोमेल मशीनें लगाई गई हैं. उसके किराए के रूप में निगम के द्वारा वर्तमान में लगभग साढे छ: लाख के आसपास प्रति माह के हिसाब से भुगतान किया जा रहा है. जिसको लेकर विपक्ष के द्वारा पहले से ही सवाल उठाए जा रहे हैं और अब स्टैंडिंग कमेटी में एक और नया प्रस्ताव इसी के मद्देनजर लाया जा रहा है. जिसमें कूड़े के वजन के हिसाब से इन कंपनियों को पेमेंट की जाएगी. जिसको लेकर विपक्ष ने अपनी तरफ से मोर्चा खोल दिया है.

भलस्वा लैंडफिल साइट पर निजी कंपनी से करार पर उठे सवाल

कांग्रेस पार्टी के नेता मुकेश गोयल ने जहां इस पूरे प्रस्ताव को भाजपा शासित निगम का भ्रष्टाचार का एक और साधन बताया है. वहीं आप नेता और नेता विपक्ष विकास गोयल ने इस पूरे प्रस्ताव को भाजपा के भ्रष्टाचार की परिकाष्ठा बताते हुए कहा कि इससे साफ हो गया कि भाजपा जिस तरह से इस प्रस्ताव को ला रही है, उससे सीधे तौर पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा. भाजपा नेताओं को दिल्ली की जनता की चिंता नहीं है. उन्हें सिर्फ अपनी जेब भरने से मतलब है. लेकिन विपक्ष इस प्रस्ताव को पास नहीं होने देगी और इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा.

बता दें कि इस पूरे मामले पर नॉर्थ एमसीडी में नेता सदन की भूमिका निभा रहे हैं छैल बिहारी गोस्वामी ने बातचीत के दौरान कहा कि विपक्ष सत्ता पक्ष के ऊपर निराधार आरोप लगा रहा है. विपक्ष को अपनी भूमिका सकारात्मक तौर से निभाने चाहिए. जिस विषय की विपक्ष बात कर रहा है वह अभी एक प्रस्ताव मात्र है उसके ऊपर विस्तार से चर्चा होनी है जिसके बाद ही उसे पास किया जाएगा।

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