नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना के इस भयावह काल में अब बायो मेडिकल वेस्ट दिल्ली की नई परेशानी बनता जा रहा है, लेकिन इस परेशानी का हल भी अब नॉर्थ एमसीडी ने एक-एक करके निकाल लिया है. दरअसल उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने अपने क्षेत्र से बड़ी संख्या में उत्पन्न होने वाले बायोमेडिकल वेस्ट को एक निजी कंपनी के साथ करार करके एनर्जी प्लांट में डंप कर रही है. जिससे रोजाना 48 से 60 मीट्रिक टन बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण उत्तरी दिल्ली नगर निगम के द्वारा किया जा रहा है.
मेयर जयप्रकाश ने रखा निगम का पक्ष
नॉर्थ एमसीडी के मेयर जयप्रकाश ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान स्पष्ट तौर पर कहा कि कोरोना के शुरुआती दिनों में उत्तरी दिल्ली के क्षेत्र से महज 30 से 32 मीट्रिक टन ही बायोमेडिकल कूड़ा निकलता था. लेकिन अब यह कूड़ा बढ़कर 48 मीट्रिक टन से 60 टन प्रति दिन हो गया है. बायो मेडिकल वेस्ट की समस्या को देखते हुए निगम ने अपने अधिकारियों के साथ बैठक की. इस बैठक के बाद निगम ने बकायदा एक निजी कंपनी के साथ करार किया. जिससे उत्तरी दिल्ली के क्षेत्र में उत्पन्न होने वाले बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण आसानी से किया जा सके. बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण को लेकर निगम ने बायोटेक कंपनी के साथ करार किया है. जिसके बाद इस कंपनी के एनर्जी प्लांट में उत्तरी दिल्ली के क्षेत्र से उत्पन्न होने वाले बायो मेडिकल वेस्ट को तमाम सुरक्षा और सावधानियों को ध्यान में रखते हुए डंप किया जा रहा है.
अधिकारियों को दिए हैं निर्देश
साथ ही मेयर जयप्रकाश ने बताया कि उन्होंने अधिकारियों को विशेष रूप से निर्देश दिए है कि उत्तरी दिल्ली के क्षेत्र में आने वाले तमाम श्मशान घाटों और दूसरी अन्य सार्वजनिक जगहों पर कोई भी व्यक्ति बायो मेडिकल वेस्ट ना फेंके. इस बात के लिए भी इंतजाम सुनिश्चित करने को कहा है ताकि राजधानी दिल्ली में संक्रमण और ज्यादा ना फैले.
सफाई कर्मचारियों ने साझा की अपनी परेशानी
वहीं दूसरी तरफ निगम कर्मचारियों ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कोरोना के इस काल में अपनी परेशानियों को साझा करते हुए कहा कि हम लोग कोरोना से डर के बीच में पीपीई किट पहनकर लगातार अपनी जिम्मेदारी को भलीभांति तरीके से निभा रहे हैं. क्योंकि हमारे अंदर देश सेवा की भावना है हम देश की सेवा करना चाहते हैं.
बरतनी पड़ती है सावधानी
सफाई कर्मचारियों को पीपीई किट पहनने में 15 से 20 मिनट का समय लगता है और कोई भी व्यक्ति पीपीई को ना तो अकेले पहन सकता है और ना ही इसे अकेले उतार सकता है. पीपीई किट को पहनते और उतारते दोनों ही समय सावधानियां बरतने की जरूरत होती है. साथ ही साथ इसे उतारने के समय लगातार सैनिटाइज भी करना पड़ता है.
सफाई कर्मचारियों को भी लगता है डर
कर्मचारियों ने बातचीत के दौरान यह भी स्पष्ट तौर पर बताया कि उन्हें भी बहुत ज्यादा डर लगता है. काम के दौरान कि कहीं वो कोरोना संक्रमण के संपर्क में ना आ जाएं. रोजाना जब शाम को वो लोग अपने घर जाते हैं अपने घरवालों से मिलते हैं. तो ऐसे में उन्हें यह डर रहता है कि कहीं उनसे उनके घर वालों को कोई संक्रमण ना हो जाए. इस को ध्यान में रखते हुए कर्मचारी लगातार कई बार सैनिटाइज करते हैं और घर जाने के वक्त अपने आप को भलीभांति तरीके से सैनिटाइज करके घर जाते है. घर पहुंचने पर सबसे पहले गर्म पानी से नहाते हैं और अपने आप को स्वच्छ करते हैं. उसके बाद ही घर वालों से मिलते हैं. ताकि संक्रमण फैलने की संभावना को खत्म किया जा सके.
बहरहाल, कुल मिलाकर देखा जाए तो उत्तरी दिल्ली नगर निगम रोजाना अपने क्षेत्र में से उत्पन्न होने वाले 48 से 60 मीट्रिक टन बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण कर रही है. वही साथ ही इस बायो मेडिकल वेस्ट को एकत्रित करके एनर्जी प्लांट में भेजने की जिम्मेदारी जिन निगम कर्मचारियों पर है. उनकी भूमिका और उनके साहस को भी नकारा नहीं जा सकता. जितने साहस और दृढ़ता के साथ देश सेवा की भावना को मन में लेकर निगम के सफाई कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी को भलीभांति तरीके से निभा रहे हैं वह काबिले तारीफ है.