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Bio Medical Waste: नॉर्थ MCD रोज कर रही 48-60 मीट्रिक टन का निस्तारण, देखिए ये रिपोर्ट

राजधानी दिल्ली में नई परेशानी बन कर उभरे बायो मेडिकल वेस्ट का निगम ने हल निकाल लिया है. नॉर्थ एमसीडी, निजी कंपनी के साथ करार कर बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण कर रही है. जिसमें निगम के सफाई कर्मचारी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.

Bio Medical Waste
बायो मेडिकल वेस्ट
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Published : Jul 14, 2020, 9:49 PM IST

Updated : Jul 14, 2020, 11:01 PM IST

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना के इस भयावह काल में अब बायो मेडिकल वेस्ट दिल्ली की नई परेशानी बनता जा रहा है, लेकिन इस परेशानी का हल भी अब नॉर्थ एमसीडी ने एक-एक करके निकाल लिया है. दरअसल उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने अपने क्षेत्र से बड़ी संख्या में उत्पन्न होने वाले बायोमेडिकल वेस्ट को एक निजी कंपनी के साथ करार करके एनर्जी प्लांट में डंप कर रही है. जिससे रोजाना 48 से 60 मीट्रिक टन बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण उत्तरी दिल्ली नगर निगम के द्वारा किया जा रहा है.

बायो मेडिकल वेस्ट की समस्या का निकला हल, सेवा और साहस की मिसाल बने सफाई कर्मचारी

मेयर जयप्रकाश ने रखा निगम का पक्ष

नॉर्थ एमसीडी के मेयर जयप्रकाश ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान स्पष्ट तौर पर कहा कि कोरोना के शुरुआती दिनों में उत्तरी दिल्ली के क्षेत्र से महज 30 से 32 मीट्रिक टन ही बायोमेडिकल कूड़ा निकलता था. लेकिन अब यह कूड़ा बढ़कर 48 मीट्रिक टन से 60 टन प्रति दिन हो गया है. बायो मेडिकल वेस्ट की समस्या को देखते हुए निगम ने अपने अधिकारियों के साथ बैठक की. इस बैठक के बाद निगम ने बकायदा एक निजी कंपनी के साथ करार किया. जिससे उत्तरी दिल्ली के क्षेत्र में उत्पन्न होने वाले बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण आसानी से किया जा सके. बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण को लेकर निगम ने बायोटेक कंपनी के साथ करार किया है. जिसके बाद इस कंपनी के एनर्जी प्लांट में उत्तरी दिल्ली के क्षेत्र से उत्पन्न होने वाले बायो मेडिकल वेस्ट को तमाम सुरक्षा और सावधानियों को ध्यान में रखते हुए डंप किया जा रहा है.

bio-medical waste
बायोमेडिकल वेस्ट का निस्तारण

अधिकारियों को दिए हैं निर्देश

साथ ही मेयर जयप्रकाश ने बताया कि उन्होंने अधिकारियों को विशेष रूप से निर्देश दिए है कि उत्तरी दिल्ली के क्षेत्र में आने वाले तमाम श्मशान घाटों और दूसरी अन्य सार्वजनिक जगहों पर कोई भी व्यक्ति बायो मेडिकल वेस्ट ना फेंके. इस बात के लिए भी इंतजाम सुनिश्चित करने को कहा है ताकि राजधानी दिल्ली में संक्रमण और ज्यादा ना फैले.

North MCD
उत्तरी दिल्ली नगर निगम

सफाई कर्मचारियों ने साझा की अपनी परेशानी

वहीं दूसरी तरफ निगम कर्मचारियों ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कोरोना के इस काल में अपनी परेशानियों को साझा करते हुए कहा कि हम लोग कोरोना से डर के बीच में पीपीई किट पहनकर लगातार अपनी जिम्मेदारी को भलीभांति तरीके से निभा रहे हैं. क्योंकि हमारे अंदर देश सेवा की भावना है हम देश की सेवा करना चाहते हैं.

bio-medical waste
बायोमेडिकल वेस्ट का निस्तारण

बरतनी पड़ती है सावधानी

सफाई कर्मचारियों को पीपीई किट पहनने में 15 से 20 मिनट का समय लगता है और कोई भी व्यक्ति पीपीई को ना तो अकेले पहन सकता है और ना ही इसे अकेले उतार सकता है. पीपीई किट को पहनते और उतारते दोनों ही समय सावधानियां बरतने की जरूरत होती है. साथ ही साथ इसे उतारने के समय लगातार सैनिटाइज भी करना पड़ता है.

सफाई कर्मचारियों को भी लगता है डर

कर्मचारियों ने बातचीत के दौरान यह भी स्पष्ट तौर पर बताया कि उन्हें भी बहुत ज्यादा डर लगता है. काम के दौरान कि कहीं वो कोरोना संक्रमण के संपर्क में ना आ जाएं. रोजाना जब शाम को वो लोग अपने घर जाते हैं अपने घरवालों से मिलते हैं. तो ऐसे में उन्हें यह डर रहता है कि कहीं उनसे उनके घर वालों को कोई संक्रमण ना हो जाए. इस को ध्यान में रखते हुए कर्मचारी लगातार कई बार सैनिटाइज करते हैं और घर जाने के वक्त अपने आप को भलीभांति तरीके से सैनिटाइज करके घर जाते है. घर पहुंचने पर सबसे पहले गर्म पानी से नहाते हैं और अपने आप को स्वच्छ करते हैं. उसके बाद ही घर वालों से मिलते हैं. ताकि संक्रमण फैलने की संभावना को खत्म किया जा सके.


बहरहाल, कुल मिलाकर देखा जाए तो उत्तरी दिल्ली नगर निगम रोजाना अपने क्षेत्र में से उत्पन्न होने वाले 48 से 60 मीट्रिक टन बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण कर रही है. वही साथ ही इस बायो मेडिकल वेस्ट को एकत्रित करके एनर्जी प्लांट में भेजने की जिम्मेदारी जिन निगम कर्मचारियों पर है. उनकी भूमिका और उनके साहस को भी नकारा नहीं जा सकता. जितने साहस और दृढ़ता के साथ देश सेवा की भावना को मन में लेकर निगम के सफाई कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी को भलीभांति तरीके से निभा रहे हैं वह काबिले तारीफ है.

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना के इस भयावह काल में अब बायो मेडिकल वेस्ट दिल्ली की नई परेशानी बनता जा रहा है, लेकिन इस परेशानी का हल भी अब नॉर्थ एमसीडी ने एक-एक करके निकाल लिया है. दरअसल उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने अपने क्षेत्र से बड़ी संख्या में उत्पन्न होने वाले बायोमेडिकल वेस्ट को एक निजी कंपनी के साथ करार करके एनर्जी प्लांट में डंप कर रही है. जिससे रोजाना 48 से 60 मीट्रिक टन बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण उत्तरी दिल्ली नगर निगम के द्वारा किया जा रहा है.

बायो मेडिकल वेस्ट की समस्या का निकला हल, सेवा और साहस की मिसाल बने सफाई कर्मचारी

मेयर जयप्रकाश ने रखा निगम का पक्ष

नॉर्थ एमसीडी के मेयर जयप्रकाश ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान स्पष्ट तौर पर कहा कि कोरोना के शुरुआती दिनों में उत्तरी दिल्ली के क्षेत्र से महज 30 से 32 मीट्रिक टन ही बायोमेडिकल कूड़ा निकलता था. लेकिन अब यह कूड़ा बढ़कर 48 मीट्रिक टन से 60 टन प्रति दिन हो गया है. बायो मेडिकल वेस्ट की समस्या को देखते हुए निगम ने अपने अधिकारियों के साथ बैठक की. इस बैठक के बाद निगम ने बकायदा एक निजी कंपनी के साथ करार किया. जिससे उत्तरी दिल्ली के क्षेत्र में उत्पन्न होने वाले बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण आसानी से किया जा सके. बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण को लेकर निगम ने बायोटेक कंपनी के साथ करार किया है. जिसके बाद इस कंपनी के एनर्जी प्लांट में उत्तरी दिल्ली के क्षेत्र से उत्पन्न होने वाले बायो मेडिकल वेस्ट को तमाम सुरक्षा और सावधानियों को ध्यान में रखते हुए डंप किया जा रहा है.

bio-medical waste
बायोमेडिकल वेस्ट का निस्तारण

अधिकारियों को दिए हैं निर्देश

साथ ही मेयर जयप्रकाश ने बताया कि उन्होंने अधिकारियों को विशेष रूप से निर्देश दिए है कि उत्तरी दिल्ली के क्षेत्र में आने वाले तमाम श्मशान घाटों और दूसरी अन्य सार्वजनिक जगहों पर कोई भी व्यक्ति बायो मेडिकल वेस्ट ना फेंके. इस बात के लिए भी इंतजाम सुनिश्चित करने को कहा है ताकि राजधानी दिल्ली में संक्रमण और ज्यादा ना फैले.

North MCD
उत्तरी दिल्ली नगर निगम

सफाई कर्मचारियों ने साझा की अपनी परेशानी

वहीं दूसरी तरफ निगम कर्मचारियों ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कोरोना के इस काल में अपनी परेशानियों को साझा करते हुए कहा कि हम लोग कोरोना से डर के बीच में पीपीई किट पहनकर लगातार अपनी जिम्मेदारी को भलीभांति तरीके से निभा रहे हैं. क्योंकि हमारे अंदर देश सेवा की भावना है हम देश की सेवा करना चाहते हैं.

bio-medical waste
बायोमेडिकल वेस्ट का निस्तारण

बरतनी पड़ती है सावधानी

सफाई कर्मचारियों को पीपीई किट पहनने में 15 से 20 मिनट का समय लगता है और कोई भी व्यक्ति पीपीई को ना तो अकेले पहन सकता है और ना ही इसे अकेले उतार सकता है. पीपीई किट को पहनते और उतारते दोनों ही समय सावधानियां बरतने की जरूरत होती है. साथ ही साथ इसे उतारने के समय लगातार सैनिटाइज भी करना पड़ता है.

सफाई कर्मचारियों को भी लगता है डर

कर्मचारियों ने बातचीत के दौरान यह भी स्पष्ट तौर पर बताया कि उन्हें भी बहुत ज्यादा डर लगता है. काम के दौरान कि कहीं वो कोरोना संक्रमण के संपर्क में ना आ जाएं. रोजाना जब शाम को वो लोग अपने घर जाते हैं अपने घरवालों से मिलते हैं. तो ऐसे में उन्हें यह डर रहता है कि कहीं उनसे उनके घर वालों को कोई संक्रमण ना हो जाए. इस को ध्यान में रखते हुए कर्मचारी लगातार कई बार सैनिटाइज करते हैं और घर जाने के वक्त अपने आप को भलीभांति तरीके से सैनिटाइज करके घर जाते है. घर पहुंचने पर सबसे पहले गर्म पानी से नहाते हैं और अपने आप को स्वच्छ करते हैं. उसके बाद ही घर वालों से मिलते हैं. ताकि संक्रमण फैलने की संभावना को खत्म किया जा सके.


बहरहाल, कुल मिलाकर देखा जाए तो उत्तरी दिल्ली नगर निगम रोजाना अपने क्षेत्र में से उत्पन्न होने वाले 48 से 60 मीट्रिक टन बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण कर रही है. वही साथ ही इस बायो मेडिकल वेस्ट को एकत्रित करके एनर्जी प्लांट में भेजने की जिम्मेदारी जिन निगम कर्मचारियों पर है. उनकी भूमिका और उनके साहस को भी नकारा नहीं जा सकता. जितने साहस और दृढ़ता के साथ देश सेवा की भावना को मन में लेकर निगम के सफाई कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी को भलीभांति तरीके से निभा रहे हैं वह काबिले तारीफ है.

Last Updated : Jul 14, 2020, 11:01 PM IST
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