नई दिल्लीः नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कोरोना संकट के दौरान एनसीआर के सभी शहरों में पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगा दिया है. एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने देश के उन शहरों में भी पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगा दिया है, जहां की वायु गुणवत्ता की श्रेणी खराब (poor) या उससे भी ऊपर की हो.
वायु प्रदूषण मॉडरेट रहने पर सीमित इस्तेमाल की अनुमति
एनजीटी ने कहा कि जिन शहरों की वायु प्रदूषण की क्वालिटी मॉडरेट या उससे नीचे की रहेगी, वहां केवल ग्रीन पटाखे बेचने या इस्तेमाल करने की अनुमति होगी. संबंधित राज्य सरकारें किसी खास त्योहार पर दो घंटे ग्रीन पटाखे बेचने की अनुमति दे सकती हैं. त्योहारों को छोड़कर उन शहरों में पटाखों के सीमित इस्तेमाल की पूर्व अनुमति डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट से लेनी होगी. डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट पटाखों के इस्तेमाल की अनुमति शहर की वायु गुणवत्ता के आधार पर देंगे.
'एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन स्थापित करें'
एनजीटी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक जिन शहरों की वायु प्रदूषण की क्वालिटी मॉडरेट या उससे नीचे की होगी, वहां क्रिसमस या न्यू ईयर पर रात 11 बजकर 55 मिनट से लेकर साढ़े 12 बजे तक ग्रीन पटाखे के इस्तेमाल की अनुमति होगी. एनजीटी ने निर्देश दिया है कि हर जिला मुख्यालय में वायु गुणवत्ता की मॉनिटरिंग के लिए एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन स्थापित किया जाए. जहां ऐसे मॉनिटरिंग स्टेशन नहीं हैं, वहां तीन महीने के अंदर एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन स्थापित किए जाएं. हर जिले की वायु गुणवत्ता संबंधी डाटा जिले की वेबसाइट पर अपलोड करने के अलावा शहर के मुख्य स्थानों पर प्रदर्शित किया जाए.
प्रतिबंधित पटाखे नहीं बेचे जाएं
एनजीटी ने सभी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया कि वे ये सुनिश्चित करें कि प्रतिबंधित पटाखे नहीं बेचे जाएं. एनजीटी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 23 अक्टूबर 2018 में पटाखे प्रतिबंधित करने का जो आदेश जारी किया था, उसे लागू किया जाए. अगर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को इस आदेश के उल्लंघन की शिकायत मिलती है, तो वो उल्लंघनकर्ता से मुआवजा वसूलने की कार्रवाई करेंगे.
एनजीटी ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति को इस आदेश के उल्लंघन की शिकायत करनी है, तो वो साक्ष्यों के साथ डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के यहां शिकायत कर सकते हैं. एनजीटी ने सभी राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और समितियों को निर्देश दिया कि वे 28 फरवरी 2021 तक इस आदेश की अनुपालना रिपोर्ट का डाटा एकत्र करें और 31 मार्च 2021 तक केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास दाखिल करें.
'पटाखा जलाए जाने पर रोक के लिए कदम उठाए जाएं'
पिछले 9 नवंबर को एनजीटी ने 30 नवंबर तक दिल्ली-एनसीआर में पटाखों के इस्तेमाल और बिक्री पर रोक लगा दिया था. याचिका इंडियन सोशल रिस्पांसिबिलिटी नेटवर्क की ओर से संतोष गुप्ता ने दायर किया था. याचिका में कहा गया था कि वर्तमान समय में वायु प्रदूषण बढ़ने से कोरोना का खतरा और गंभीर होने की संभावना है. इसलिए दिल्ली एनसीआर में पटाखा जलाए जाने पर रोक के लिए कदम उठाया जाना चाहिए. याचिका में कहा गया था कि ग्रीन पटाखे मौजूदा समस्या का हल नहीं है.
'वायु प्रदूषण बढ़ने से कोरोना का खतरा और बढ़ सकता है'
याचिका में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के बयान का जिक्र किया गया था जिसमें कहा गया था त्योहारों के मौसम में वायु प्रदूषण बढ़ने पर कोरोना खतरनाक स्थिति में पहुंच सकता है. याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले पर गौर किया है, जिसमें वायु प्रदूषण से होने वाले नुकसान की बात की गई है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण की वजह से कोरोना की स्थिति पर गौर नहीं किया है. स्थिति बच्चों, बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों के लिए और खराब हो सकती है.