नई दिल्ली: DUSU के चुनाव शुरू होते ही पूरा विश्वविद्यालय कैंपस पंपलेट और पर्चों के कचरे से पट जाता है. लेकिन इसी विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले कुछ ऐसे भी छात्र-छात्रा हैं, जिन्हें स्वच्छ परिसर की चिंता रहती है और वो कचरे फैलाने की जगह सफाई बनाए रखने की मुहिम में जुट जाते हैं.
गुरुवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के सभी 52 कॉलेजों में चुनाव हुए. नॉर्थ कैंपस के सभी कॉलेजों में भी चुनाव की सरगर्मियां रही और इसी में मौजूदगी रही उन पंपलेट और पर्चियों के कचरे की, जिन्हें अंतिम समय तक छात्रों के बीच अपनी पहुंच बनाने के लिए उम्मीदवारों ने इस्तेमाल किया.
मिरांडा हाउस कॉलेज की छात्राओं ने की सफाई
एक तरफ कुछ लोग यह कचरा फैलाने में लगे थे, इसी में कुछ ऐसे भी लोग थे, जिन्हें स्वच्छ परिसर की चिंता थी. ये थीं मिरांडा हाउस कॉलेज की छात्राएं, जो अपने स्तर पर बिना किसी बाहरी समर्थन या सपोर्ट के, परिसर को कचरा मुक्त करने में जुटी हुई थीं. ईटीवी भारत ने इसी दौरान उनसे बातचीत की.
उनका कहना था कि साफ परिसर हम सबकी जिम्मेदारी है और चुनाव प्रचार से लेकर हमेशा हम इस पर जोर देते रहे हैं कि पंपलेट और पर्चों की जगह ऑनलाइन कैम्पेन को बढ़ावा मिलना चाहिए, लेकिन हम सिर्फ आवाज उठा सकते हैं, अपनी बात पहुंचा सकते हैं. उन्होंने बताया कि मिरांडा हाउस कॉलेज की एनएसएस यानी नेशनल सर्विस स्कीम के तहत परिसर को स्वच्छ बनाए रखने के लिए वे प्रतिबद्ध हैं.
कचरे को किया जाएगा रिसाइकल
गौर करने वाली बात यह है कि ये छात्राएं जो कचरा जमा कर रही थीं, वो कहीं दूसरी जगह कूड़े का पहाड़ नहीं बनेगा, बल्कि उसे रिसाइकल किया जाएगा. उनका कहना था कि मिरांडा हाउस कॉलेज में स्थित रीसाइक्लिंग प्लांट में इन कचरों को रिसाइकल किया जाएगा और फिर इससे एक सिग्नेटरी बनेगा, जिस पर डेमोक्रेसी की कोट लिखे जाएंगे.
निराशा इस बात को लेकर है कि इन्हें उन्हीं में से किसी एक को चुनना पड़ा, जिन्होंने कैम्पस को कचरे से पाटने में योगदान दिया, ना कि उसे साफ करने में. उनका कहना था कि हमारे पास कोई विकल्प नहीं था और हमें तीन कचरे में से ही एक कचरे को चुनना पड़ा.
ये अपने आप में एक बड़ी बात है कि एक तरफ छात्र राजनीति का प्रतिनिधित्व करने वाले लोग विश्वविद्यालय परिसर में कचरा कर रहे हैं, वहीं यहां पढ़ने वाले कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो कचरे से डेमोक्रेसी का कोट लिखने की मुहिम में शामिल हैं.