नई दिल्ली : केजरीवाल सरकार ने बुधवार को दिल्ली की जनता के लिए बजट पेश किया. बजट में खास वर्गों का खास ध्यान रखा गया, लेकिन दिल्ली के किसानों को इस बजट से पूरी तरह निराशा ही हाथ लगी. किसानों का कहना है कि उन्हें बड़ी उम्मीद थी कि दिल्ली सरकार किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए बजट पेश करेगी. बुराड़ी में खेती करने वाले किसानों का कहना है कि इस इलाके में करीब 20 से 25 एकड़ भूमि पर कृषि होती है, लेकिन बुराड़ी को कृषि करने का दर्जा प्राप्त नहीं है. किसान कृषि के दर्जे की मांग कर रहे थे, लेकिन सरकार ने किसानों को दिल्ली से ही बाहर कर दिया.
दिल्ली सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए किसानों ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वह किसान विरोधी है. किसानों की समस्याओं को सरकार ने नजरअंदाज कर दिया है. इस बार दिल्ली के किसानों के लिए बजट में कुछ भी नहीं कहा गया. उन्होंने कहा कि जब मुख्यमंत्री और पर्यावरण मंत्री को किसानों के लिए किसी योजना का शुभारंभ करना होता है तो उन्हें बुराड़ी के किसान याद आते हैं.
किसानों ने कहा कि बुराड़ी में पराली गलाकर खाद बनाने के लिए डीकंपोजर का प्रयोग किया गया था. एक बार खुद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तो दूसरी बार पर्यावरण मंत्री गोपाल राय आए थे, जिन्होंने किसानों को समझाया कि किसान अपने खेतों में पराली को आग न लगाकर केमिकल छिड़ककर उसका खाद बना सकते हैं. तब उन्हें किसान याद आ रहे थे, लेकिन अब दिल्ली के किसानों के लिए बजट नहीं देकर किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है. जब दिल्ली में किसान नहीं रहेंगे तो सरकार खेती योग्य भूमि का अधिग्रहण कर उन्हें मुआवजा देकर एक तरफ कर देंगे.
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यमुना किनारे खेती करने एक किसान का कहना है कि वह बुराड़ी के लिए कृषि की दर्जे के लिए सरकार से मांग कर रहे थे. यह सेंट्रल जोन में आता है, राजस्व के अनुसार बुराड़ी में खेती नहीं होती है. कुदरती मार की वजह से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है. कई बार मुआवजे की मांग को लेकर किसानों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचाने की कोशिश करते रहते हैं, ताकि किसानों के लिए सरकार मदद के तौर पर कुछ मुआवजा जारी करे. किसानों का कहना है कि दिल्ली सरकार किसान विरोधी सरकार है, जो किसानों के लिए नहीं सोचती और उसी का नतीजा के बजट में देखने को मिला है.
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