नई दिल्ली: उत्तर भारत में हो रही लगातार बारिश और हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज से ज्यादा पानी छोड़े जाने के बाद दिल्ली में यमुना खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. कई जगहों पर प्रशासन द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. लेकिन बुराड़ी इलाके में जहां बड़े पैमाने पर किसानों द्व्रारा खेती की जाती है. यहां अभी तक दिल्ली सरकार द्वारा कोई सहायता नहीं पहुंची है. आलम यह है कि यमुना का पानी उनके खेतों और घरों को डूबा चुका है.
देर रात अचानक पानी तेजी से यमुना पुश्ते तक पहुंच गया. यमुना पुश्ते जिसके एक तरफ खेती और यमुना है. वहीं दूसरी तरफ रिहायशी इलाका है. यहां पानी का जल स्तर इतना ज्यादा बढ़ गया कि खेतों के साथ यमुना किनारे रहने वाले किसानों के घर तक डूब गए. देर रात आनन-फानन में किसान अपने बच्चों, मवेशियों और जरूरत के सामान लेकर घर छोड़कर निकले और अपनी जान बचाई. किसान इसकी वजह से बांध पर रहने को मजबूर हैं. आसमान से बारिश और जमीन पर यमुना का बढ़ता हुआ पानी किसानों के लिए बड़ी आफत लेकर आया है.
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यमुना के जलस्तर ने फसलों पर फेरा पानी: किसानों का कहना है कि उन्हें यहां पर किसी भी तरीके की सरकारी सहायता नहीं मिल रही है. सरकारी तंत्र सिर्फ आईएसबीटी तक ही सीमित है. वहीं यमुना पुस्ते पर दरार आने के चलते खतरा रिहायशी इलाकों पर भी बना हुआ है. लोगों का कहना है कि अगर किसी भी दरार से पानी का रिसाव शुरू हुआ तो हालत बेकाबू हो सकती है.
बता दें, 10 से 12 फुट ऊंचा बने पुस्ते कई सालों से रिहायशी इलाके में यमुना के पानी को आने से रोक रहा है. इस बार भी लोगों को उम्मीद है कि इसी पुस्ते के चलते रिहायशी इलाका बाढ़ की पानी से सुरक्षित रहेगा. फिलहाल परेशान किसान सरकारी सहायता की आस में बैठे हैं. इनका लाखों का नुकसान हुआ है.
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