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डीयू: फंड न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षक, 'सरकार कर रही है राजनीति' - du news

दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष प्रोफेसर आलोक रंजन पांडे ने उग्र आंदोलन किए जाने की चेतावनी दी है. दरअसल डीयू के 12 वित्त वोषित कॉलेजों को दिल्ली सरकार की ओर से फंड जारी नहीं किया जा रहा है. जिसे लेकर डूटा के नेतृत्व में शिक्षकों ने तीन दिवसीय हड़ताल की है.

Duta strike to demand fund release
शिक्षकों ने तीन दिवसीय हड़ताल की
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Published : Sep 19, 2020, 7:30 AM IST

नई दिल्ली: डीयू के दिल्ली सरकार की ओर से पूर्णतः वित्त पोषित 12 कॉलेजों में फंड जारी न होने का मामला दिन पर दिन तूल पकड़ता जा रहा है. वहीं फंड जारी करने की मांग को लेकर डूटा के नेतृत्व में शिक्षकों ने तीन दिवसीय हड़ताल भी की, लेकिन अभी भी मामला जस का तस बना है.

शिक्षकों ने तीन दिवसीय हड़ताल की

मामले को लेकर (डूटा) के उपाध्यक्ष प्रोफेसर आलोक रंजन पांडे ने कहा कि कभी भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर तो कभी स्टूडेंट वेलफेयर से शिक्षकों को सैलरी देने की बात कहकर दिल्ली सरकार केवल राजनीति खेल रही है. ऐसे में उन्होंने दिल्ली सरकार से जल्द से जल्द फंड जारी करने की मांग की है. साथ ही ऐसा ना होने पर उग्र आंदोलन किए जाने की चेतावनी भी दी है.


खामियाजा शिक्षक क्यों उठाएं?

डूटा उपाध्यक्ष आलोक रंजन पांडे ने फंड जारी करने की मांग को लेकर कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा फंड जारी करने में चल रही देरी के चलते आज शिक्षकों का परिवार आर्थिक तंगी से जूझने को मजबूर है. उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन और दिल्ली सरकार के बीच चल रहे मतभेद का खामियाजा शिक्षक और कर्मचारी भुगत रहे हैं. उन्होंने दिल्ली सरकार पर आरोप लगाया है कि गवर्निंग बॉडी में दिल्ली सरकार के नुमाइंदे को जगह नहीं दिए जाने के चलते दिल्ली सरकार फंड रोक रही है.



सरकार के पास प्रचार के लिए पैसे पर वेतन के लिए नहीं

वहीं उन्होंने दिल्ली सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अपने प्रचार प्रसार के लिए दिल्ली सरकार के पास खर्च करने के लिए पर्याप्त फंड होता है, लेकिन शिक्षकों को वेतन देने के लिए फंड कम पड़ जाता है.

उन्होंने कहा कि फंड को लेकर यूजीसी द्वारा जारी दिशा-निर्देशों में स्पष्ट तौर पर कहा है कि किसी भी विभाग के लिए जारी किया गया फंड बाकी किसी कार्य के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. ऐसे में छात्रों से ही लिए गए स्टूडेंट वेलफेयर फंड से शिक्षकों को वेतन कैसे दिया जा सकता है. स्टूडेंट वेलफेयर फंड छात्रों की प्रगति के लिए इस्तेमाल होता है और इसे किसी और कार्य में लगाना पूरी तरह से अनुचित और छात्रों के साथ बेईमानी होगी.



डीयू प्रशासन और दिल्ली सरकार के झगड़े के बीच पिस रहे हैं कर्मचारी

वहीं प्रो. आलोक रंजन पांडे ने दिल्ली सरकार से मांग की है कि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ अगर उनका कोई मसला है, तो उसे आपस में आमने सामने की लड़ाई से सुलझाएं, इसके बीच कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों और कर्मचारियों को ना पीसें. साथ ही कहा कि जल्द से जल्द फंड जारी करें जिससे शिक्षकों की आर्थिक तंगी दूर हो सके.



छात्र संघ ने कहा कि स्टूडेंट्स फंड दुरुपयोग किया तो होगा प्रदर्शन

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ अध्यक्ष अक्षित दहिया ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा कॉलेजों पर भ्रष्टाचार के लगाए गए आरोपों को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. साथ ही उन्होंने कहा कि स्टूडेंट्स वेलफेयर फंड से शिक्षकों को वेतन देने का फैसला निराशाजनक है. उन्होंने कहा कि अगर दिल्ली सरकार ने इन कॉलेजों को फंड जारी नहीं किया तो छात्र भी हड़ताल करेंगे.

नई दिल्ली: डीयू के दिल्ली सरकार की ओर से पूर्णतः वित्त पोषित 12 कॉलेजों में फंड जारी न होने का मामला दिन पर दिन तूल पकड़ता जा रहा है. वहीं फंड जारी करने की मांग को लेकर डूटा के नेतृत्व में शिक्षकों ने तीन दिवसीय हड़ताल भी की, लेकिन अभी भी मामला जस का तस बना है.

शिक्षकों ने तीन दिवसीय हड़ताल की

मामले को लेकर (डूटा) के उपाध्यक्ष प्रोफेसर आलोक रंजन पांडे ने कहा कि कभी भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर तो कभी स्टूडेंट वेलफेयर से शिक्षकों को सैलरी देने की बात कहकर दिल्ली सरकार केवल राजनीति खेल रही है. ऐसे में उन्होंने दिल्ली सरकार से जल्द से जल्द फंड जारी करने की मांग की है. साथ ही ऐसा ना होने पर उग्र आंदोलन किए जाने की चेतावनी भी दी है.


खामियाजा शिक्षक क्यों उठाएं?

डूटा उपाध्यक्ष आलोक रंजन पांडे ने फंड जारी करने की मांग को लेकर कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा फंड जारी करने में चल रही देरी के चलते आज शिक्षकों का परिवार आर्थिक तंगी से जूझने को मजबूर है. उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन और दिल्ली सरकार के बीच चल रहे मतभेद का खामियाजा शिक्षक और कर्मचारी भुगत रहे हैं. उन्होंने दिल्ली सरकार पर आरोप लगाया है कि गवर्निंग बॉडी में दिल्ली सरकार के नुमाइंदे को जगह नहीं दिए जाने के चलते दिल्ली सरकार फंड रोक रही है.



सरकार के पास प्रचार के लिए पैसे पर वेतन के लिए नहीं

वहीं उन्होंने दिल्ली सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अपने प्रचार प्रसार के लिए दिल्ली सरकार के पास खर्च करने के लिए पर्याप्त फंड होता है, लेकिन शिक्षकों को वेतन देने के लिए फंड कम पड़ जाता है.

उन्होंने कहा कि फंड को लेकर यूजीसी द्वारा जारी दिशा-निर्देशों में स्पष्ट तौर पर कहा है कि किसी भी विभाग के लिए जारी किया गया फंड बाकी किसी कार्य के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. ऐसे में छात्रों से ही लिए गए स्टूडेंट वेलफेयर फंड से शिक्षकों को वेतन कैसे दिया जा सकता है. स्टूडेंट वेलफेयर फंड छात्रों की प्रगति के लिए इस्तेमाल होता है और इसे किसी और कार्य में लगाना पूरी तरह से अनुचित और छात्रों के साथ बेईमानी होगी.



डीयू प्रशासन और दिल्ली सरकार के झगड़े के बीच पिस रहे हैं कर्मचारी

वहीं प्रो. आलोक रंजन पांडे ने दिल्ली सरकार से मांग की है कि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ अगर उनका कोई मसला है, तो उसे आपस में आमने सामने की लड़ाई से सुलझाएं, इसके बीच कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों और कर्मचारियों को ना पीसें. साथ ही कहा कि जल्द से जल्द फंड जारी करें जिससे शिक्षकों की आर्थिक तंगी दूर हो सके.



छात्र संघ ने कहा कि स्टूडेंट्स फंड दुरुपयोग किया तो होगा प्रदर्शन

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ अध्यक्ष अक्षित दहिया ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा कॉलेजों पर भ्रष्टाचार के लगाए गए आरोपों को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. साथ ही उन्होंने कहा कि स्टूडेंट्स वेलफेयर फंड से शिक्षकों को वेतन देने का फैसला निराशाजनक है. उन्होंने कहा कि अगर दिल्ली सरकार ने इन कॉलेजों को फंड जारी नहीं किया तो छात्र भी हड़ताल करेंगे.

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