नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में यमुना को साफ करने के लिए पहले भी कई बार अलग-अलग योजनाएं बनाई गईं और सरकारों ने कई दावे किए, लेकिन तमाम दावे हवा-हवाई ही साबित हुए. अब यमुना नदी और भी प्रदूषित होती जा रही है. इसका मुख्य कारण राजधानी दिल्ली के अलग-अलग नालों के पानी का यमुना में मिलना है, जिसके कारण यमुना का पानी काला पड़ चुका है.
लगातार नालों का गंदा पानी यमुना में मिल रहा
दिल्ली के सैकड़ों नाले का गंदा बदबूदार काला पानी यमुना में छोड़ा जाता है, जिसकी वजह से यमुना का अस्तित्व खतरे में पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है. यमुना नदी के वजीराबाद इलाके में नजफगढ़ ड्रेन का गंदा पानी नदी में मिल जाता है, जिसकी वजह से यहां के हालात अब किसी गंगा, यमुना, सरस्वती के संगम की तरह हो जाते हैं. नाले का काला बदबूदार पानी एक तरफ दिखाई देता है, तो वहीं दूसरी तरफ यमुना का पानी अलग रंग का नजर आता है. ईटीवी भारत पहले भी इस मुद्दे को प्राथमिकता से उठाता रहा है. जिस पर अधिकारियों ने संज्ञान तो लिया, लेकिन जमीन पर काम शुरू नहीं हुआ.
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वजीराबाद से पहले की अगर बात की जाए, तो बुराड़ी तक यमुना का पानी कुछ साफ भी है. लेकिन बुराड़ी पार करते ही वजीराबाद से यमुना मैली होनी शुरू होती है और गंदे काले पानी के मिलान से यमुना का स्वरूप ही बदल जाता है.
लगातार गिर रहा यमुना का जलस्तर
यमुना नदी में पड़े कूड़े में मरे हुए जानवरों का ढेर लगा हुआ है. यहां से यमुना के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. वहीं दूसरी तरफ यमुना के ऊपर वजीराबाद में ही विकास कार्य चल रहा है. पहले सिग्नेचर ब्रिज को लेकर के वर्षो तक काम चलता रहा. अब मेट्रो का काम यमुना के ऊपर चल रहा है, जिसकी वजह से पानी रोका गया और यही वजह है कि वजीराबाद पार करते ही यमुना विलुप्त सी होती दिखाई देती है.
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दिल्ली सरकार के काम पर उठे सवाल
यमुना के साथ सफाई को लेकर सांसद मनोज तिवारी ने दिल्ली सरकार के काम को लेकर सवाल खड़े किए और उन्होंने कहा कि जब तक यमुना के साथ-साथ एक पैरेलल नहर नहीं बनायी जाएगी, तब तक कोई समाधान नहीं हो सकता. वहीं इसी तरह नाले का गंदा पानी यमुना नदी में मिलाया जाएगा, तब तक इस समस्या का समाधान नहीं हो सकता. तमाम दावे और वादे सिर्फ भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए किए जाते हैं.