नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को आतंकवाद निरोधक गतिविधियां अधिनियम (यूएपीए) मामले के तहत जेल में बंद पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के पूर्व अध्यक्ष ई अबू बकर की मेडिकल स्थिति और इलाज को लेकर तिहाड़ जेल अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है. न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली पीठ ने चिकित्सा देखभाल के लिए अबू बकर की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि उनके इलाज का पूरा रिकॉर्ड उसके समक्ष पेश किया जाए. मामले की अगली सुनवाई 20 सितंबर को होगी.
पीएफआई नेता के वकील ने कहा कि वह एम्स में अपने प्रवेश का निर्देश देने वाले ट्रायल कोर्ट के आदेश को लागू करने की मांग कर रहे थे. याचिका पर एनआईए को नोटिस जारी करते हुए पीठ में शामिल न्यायमूर्ति अनीश दयाल ने कहा कि एम्स के चिकित्सा अधीक्षक को अपीलकर्ता की वर्तमान चिकित्सा स्थिति और एम्स द्वारा प्रदान किए जा रहे उपचार पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाता है. एजेंसी के वकील ने कहा कि अबू बकर की जांच की जा रही है. साथ ही जेल में भी उचित चिकित्सा देखभाल की गई है.
अबू बकर ने पहले अपने खराब स्वास्थ्य के कारण रिहाई की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. बाद में उन्होंने निचली अदालत में जाने की छूट के साथ याचिका वापस ले ली. 70 साल के अबू बकर ने पहले हाईकोर्ट को बताया था कि उसे कैंसर है और वह बहुत दर्द में है. इसलिए उसे चिकित्सकीय देखरेख की जरूरत है.
बीते साल बड़े पैमाने पर हुई थी कार्रवाईः पिछले साल प्रतिबंधित संगठन पीएफआई पर बड़े स्तर पर करवाई की गई थी. उसी समय एनआईए ने अबू बकर को गिरफ्तार कर लिया था. फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद हैं. फरवरी में हाईकोर्ट ने तिहाड़ जेल के चिकित्सा अधीक्षक को नियमित आधार पर अबू बकर के लिए प्रभावी उपचार सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था. अदालत ने अबू बकर को घर में ही नजरबंद रखने से इनकार कर दिया था. साथ ही कहा था कि जरूरत पड़ने पर उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा.
11 राज्यों में हुई थी छापेमारीः 28 सितंबर, 2022 को संगठन पर लगाए गए राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध से पहले बड़े पैमाने पर छापे के दौरान कई राज्यों में बड़ी संख्या में कथित पीएफआई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया था और गिरफ्तार भी किया गया था. एनआईए ने देश में आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने के आरोप में 11 राज्यों में बड़ी कार्रवाई की थी. इनमें केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, असम, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, दिल्ली और राजस्थान सहित कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में गिरफ्तारियां की थीं. सरकार ने 28 सितंबर, 2022 को पीएफआई और उसके कई सहयोगी संगठनों पर वैश्विक आतंक के साथ संबंध रखने का आरोप लगाते हुए कड़े आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था.