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स्पेशल रिपोर्ट: कूड़े के ढेर में भविष्य खोजते बच्चे! - Children searching their future in garbage

तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि जिस उम्र में बच्चों के हाथों में कॉपी - किताबें और कलम होनी चाहिए, उस उम्र में इनके हाथों में कूड़े की बोरी थमा दी गई.

'हाथों में किताबों की जगह कूड़े की बोरी' , ETV BHARAT
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Published : Aug 10, 2019, 9:28 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी के बुराड़ी मुकुंदपुर रोड पर से चौंकाने वाली तस्वीरें सामने आई हैं. इन तस्वीरों ने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार की शिक्षा की स्थिती को लेकर किए गए दावों की पोल खोल दी है.

'हाथों में किताबों की जगह कूड़े की बोरी'

'हाथों में कूड़े की बोरी थमा दी गई'
तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि जिस उम्र में बच्चों के हाथों में कॉपी - किताबें और कलम होनी चाहिए, उस उम्र में इनके हाथों में कूड़े की बोरी थमा दी गई. बच्चों से बात करने पर इनके पास जवाब तक नहीं था. उनका कहना था कि स्कूल नहीं जाते हैं. इसी तरीके से कूड़ा बिन कर अपने लिए रोटी का इंतजाम करते हैं.

'जान जोखिम में डालते हैं'
यह तस्वीरें राजधानी दिल्ली के बुराड़ी मुकुंदपुर मेन रोड की है. जहां एक कूड़े के ढेर में आग लगी हुई है. वहां पर बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर उस कूड़े के ढेर से कुछ ऐसी चीजें बिन रहे हैं, जिसे बेच कर शाम को ये लोग कुछ पैसों का इंतजाम कर सकें. उसी से इनके खुद के और उनके परिवार के लिए 2 वक्त की रोटी का इंतजाम हो सके.

शिक्षा का अधिकार नहीं मिल रहा
बता दें कि ये मासूम बच्चे इस उम्र में स्कूल नहीं जाते हैं. अपने भविष्य को दांव पर रखकर यह बच्चे सुबह - सुबह खाली बोरी लेकर ऐसे ही सड़कों पर निकल जाते हैं और जहां भी कूड़े का ढेर दिखे वहां से कूड़े बिनना शुरू कर देते हैं.
कोशिश यही होती है कि ज्यादा से ज्यादा सामान लेकर शाम को बेचकर ये लोग पैसों का इंतजाम कर सकें. बता दें कि इन बच्चों को इनका शिक्षा का अधिकार नहीं मिल पा रहा है.

नई दिल्ली: राजधानी के बुराड़ी मुकुंदपुर रोड पर से चौंकाने वाली तस्वीरें सामने आई हैं. इन तस्वीरों ने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार की शिक्षा की स्थिती को लेकर किए गए दावों की पोल खोल दी है.

'हाथों में किताबों की जगह कूड़े की बोरी'

'हाथों में कूड़े की बोरी थमा दी गई'
तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि जिस उम्र में बच्चों के हाथों में कॉपी - किताबें और कलम होनी चाहिए, उस उम्र में इनके हाथों में कूड़े की बोरी थमा दी गई. बच्चों से बात करने पर इनके पास जवाब तक नहीं था. उनका कहना था कि स्कूल नहीं जाते हैं. इसी तरीके से कूड़ा बिन कर अपने लिए रोटी का इंतजाम करते हैं.

'जान जोखिम में डालते हैं'
यह तस्वीरें राजधानी दिल्ली के बुराड़ी मुकुंदपुर मेन रोड की है. जहां एक कूड़े के ढेर में आग लगी हुई है. वहां पर बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर उस कूड़े के ढेर से कुछ ऐसी चीजें बिन रहे हैं, जिसे बेच कर शाम को ये लोग कुछ पैसों का इंतजाम कर सकें. उसी से इनके खुद के और उनके परिवार के लिए 2 वक्त की रोटी का इंतजाम हो सके.

शिक्षा का अधिकार नहीं मिल रहा
बता दें कि ये मासूम बच्चे इस उम्र में स्कूल नहीं जाते हैं. अपने भविष्य को दांव पर रखकर यह बच्चे सुबह - सुबह खाली बोरी लेकर ऐसे ही सड़कों पर निकल जाते हैं और जहां भी कूड़े का ढेर दिखे वहां से कूड़े बिनना शुरू कर देते हैं.
कोशिश यही होती है कि ज्यादा से ज्यादा सामान लेकर शाम को बेचकर ये लोग पैसों का इंतजाम कर सकें. बता दें कि इन बच्चों को इनका शिक्षा का अधिकार नहीं मिल पा रहा है.

Intro:राजधानी दिल्ली के बुराड़ी मुकुंदपुर रोड पर छोटे-छोटे मासूम बच्चे कूड़ा बनते हुए नजर आए इन तस्वीरों ने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार की तान शिक्षाओं को लेकर दावों की पोल खोल दी जिस उम्र में बच्चों के हाथों में कॉपी किताबें और कलम होने चाहिए इस छोटी सी उम्र में इनके हाथ में कूड़े की बोरी थमा दी गई बात करने पर इनके पास जवाब तक नहीं था और कहना था कि स्कूल नहीं जाते इसी तरीके से कूड़ा बिन कर अपने लिए 2 जून की रोटी का इंतजाम करते हैं


Body:यह तस्वीरें राजधानी दिल्ली के बुराड़ी मुकुंदपुर मेन रोड की है जहां एक कूड़े के ढेर पर आग लगी हुई है और इस ढेर से ही अपनी जान को जोखिम में डालकर यह दो मासूम बच्चे कुछ ऐसी चीजें बिन रहे हैं इसको बेच कर शाम को यह लोग कुछ पैसों का इंतजाम कर सके और उसी से इनके खुद के और उनके परिवार के लिए 2 जून की रोटी का इंतजाम हो सके यह मासूम बच्चे इस उमर में स्कूल नहीं जाते अपने भविष्य को दांव पर रखकर यह बच्चे सुबेरे कूड़े की बोरी लेकर ऐसे ही सड़कों पर निकल जाते हैं और जहां भी कूड़े का ढेर दिखे वहां से कूड़े बिना शुरू कर देते हैं कोशिश यही होती है कि ज्यादा से ज्यादा सामान लेकर शाम को बेचकर यह लोग पैसों का इंतजाम कर सकें जिस उम्र में इन बच्चों के हाथ में अपने भविष्य को बनाने के लिए पढ़ाई-लिखाई की चीजे होनी चाहिए उस उम्र में यह लोग कमाई करने के लिए कूड़े की बोरी लेकर सड़कों पर निकलती है जिसके लिए जितना जिम्मेदार यह खुद है उतना ही जिम्मेदार इनके मां-बाप और आंख मूंदे बैठा समाज भी है इस तरीके की तस्वीरें दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के द्वारा किए गए शिक्षा के तमाम दावों की पोल खोल कर रख देती है हर सरकार शिक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है और शिक्षा के अधिकार के लिए बड़ी-बड़ी बातें करती है लेकिन इन बच्चों को इनका शिक्षा का अधिकार नहीं मिल पा रहा


Conclusion:जरूरत है क्या से बच्चों के हाथों से अंकुरे की बोरी को हटाकर जिनके हाथों में भविष्य को निखारने के लिए पढ़ाई-लिखाई की चीजें थमाई जाए जिससे वह लिखकर कुछ बन सके और अपना और देश का नाम रोशन कर सकें लेकिन इस तरीके के छोटे बच्चों के हाथों में कूड़े की बोरी कहीं ना कहीं समाज के लिए चिंता का विषय है और चिंता इस बात की हुई है कि जब छोटे बच्चों के हाथ में पढ़ाई लिखाई के सामान नहीं बल्कि यह चीजें होंगी तो देश का भविष्य कैसे बनेगा और कैसा बनेगा
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