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BCD (Bar council of delhi) ने सरकार पर लगाया भेदभाव का आरोप, खटखटाया कोर्ट का दरवाजा - दिल्ली में वकीलों को आर्थिक सहायता में भेदभाव

BCD (Bar council of delhi) ने दिल्ली सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया है. इसको लेकर उन्होंने कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है. BCD का कहना है कि दिल्ली सरकार केवल उन वकीलों को आर्थिक सहायता या बिना ब्याज लोन दे रही है, जिनके पास दिल्ली का वोटर आईकार्ड है. ऐसे में यह सामाजिक हित कम सियासी कदम ज्यादा है.

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सरकार पर वकीलों से भेदभाव का आरोप
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Published : Jun 1, 2021, 1:28 PM IST

नई दिल्ली: कोरोनाकाल में कोर्ट का काम-काज भी प्रभावित हुआ है, जिससे वकील भी आर्थिक तंगी का शिकार हुए हैं, जिसे देखते हुए BCD (Bar council of delhi) ने अपने वकीलों को करोड़ो रुपये की आर्थिक सहायता दी है. इसके अलावा बीसीडी सरकार से भी वकीलों के हक़ के लिए लड़ाई लड़ रही है. BCD ने आरोप लगाया है कि सरकार अपनी वेलफेयर स्कीम में वकीलों के साथ भेदभाव कर रही है. बीसीडी सरकार के इस भेदभाव वाली नीति को कोर्ट में भी चुनौती दे रही है .

सरकार पर वकीलों से भेदभाव का आरोप

लॉकडाउन के चलते वकीलों पर भी गहराया आर्थिक संकट

कोरोना बीमारी से वकील भी बड़ी संख्या में बीमार हुए तो कई वकीलों की कोरोना के चलते मौत हो गई. कोर्ट का काम काज भी लगभग बंद ही रहा. ऐसे में बड़ी संख्या में ऐसे वकील भी थे, जिनके सामने या तो रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया या फिर इलाज के पैसे का. ऐसे में दिल्ली बार काउन्सिल (Bar council of delhi) अपने वकीलों के साथ साथ खड़ा नजर आया. जिन्होंने करीब साढ़े नौ करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता के साथ-साथ उनके घर तक राशन भी पहुंचाया. दिल्ली में कुल सवा लाख वकील हैं, जिनमें 30 हज़ार वकीलों ने आवेदन किया है. बार कॉउन्सिल ऑफ़ दिल्ली (Bar council of delhi) के सचिव पीयूष गोयल ने कहा है कि बीसीडी अपने वकीलों के साथ खड़ी है.

ये भी पढ़ें:-डब्ल्यूएचओ ने भारत में पाए गए वायरस के स्वरूपों को 'कप्पा' और 'डेल्टा' नाम दिया

दिल्ली सरकार पर भेदभाव का आरोप

BCD ने दिल्ली सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार सोशल वेलफेयर स्कीम में वकीलों के साथ भेदभाव का रही है. वह केवल उन वकीलों को आर्थिक सहायता या बिना ब्याज लोन दे रही है, जिनके पास दिल्ली का वोटर आईकार्ड है. जबकि अन्य सोशल स्कीम में ड्राइविंग लाइसेंस, बिजली बिल, बीमा पेपर, जैसे कई दस्तावेजों में किसी भी एक को ही मान्यता दे रही है. बीसीडी का कहना है की दिल्ली सरकार ने बीसीडी से राय लेने तो दूर उनकी बात भी नहीं सुन रही है. ऐसे में उन्हें कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है.

वेलफेयर स्कीम कम सियासी कदम ज्यादा
BCD का कहना है कि कोई भी एडवोकेट देश के एक ही राज्य में रजिस्टर्ड हो सकता है. ऐसे में जो एडवोकेट BCD में रजिस्टर्ड हैं, उसके साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए. यह नेचुरल जस्टिस का विरोध भी है और मानवता का विरोध भी. ऐसे में यदि दिल्ली सरकार वकीलों को केवल वोटर कार्ड के आधार पर ही सोशल वेलफेयर स्कीम का लाभ दे तो यह सहायता कम अपने वोट बैंक बढ़ने वाला सियासी कदम ज्यादा माना जाएगा.

नई दिल्ली: कोरोनाकाल में कोर्ट का काम-काज भी प्रभावित हुआ है, जिससे वकील भी आर्थिक तंगी का शिकार हुए हैं, जिसे देखते हुए BCD (Bar council of delhi) ने अपने वकीलों को करोड़ो रुपये की आर्थिक सहायता दी है. इसके अलावा बीसीडी सरकार से भी वकीलों के हक़ के लिए लड़ाई लड़ रही है. BCD ने आरोप लगाया है कि सरकार अपनी वेलफेयर स्कीम में वकीलों के साथ भेदभाव कर रही है. बीसीडी सरकार के इस भेदभाव वाली नीति को कोर्ट में भी चुनौती दे रही है .

सरकार पर वकीलों से भेदभाव का आरोप

लॉकडाउन के चलते वकीलों पर भी गहराया आर्थिक संकट

कोरोना बीमारी से वकील भी बड़ी संख्या में बीमार हुए तो कई वकीलों की कोरोना के चलते मौत हो गई. कोर्ट का काम काज भी लगभग बंद ही रहा. ऐसे में बड़ी संख्या में ऐसे वकील भी थे, जिनके सामने या तो रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया या फिर इलाज के पैसे का. ऐसे में दिल्ली बार काउन्सिल (Bar council of delhi) अपने वकीलों के साथ साथ खड़ा नजर आया. जिन्होंने करीब साढ़े नौ करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता के साथ-साथ उनके घर तक राशन भी पहुंचाया. दिल्ली में कुल सवा लाख वकील हैं, जिनमें 30 हज़ार वकीलों ने आवेदन किया है. बार कॉउन्सिल ऑफ़ दिल्ली (Bar council of delhi) के सचिव पीयूष गोयल ने कहा है कि बीसीडी अपने वकीलों के साथ खड़ी है.

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दिल्ली सरकार पर भेदभाव का आरोप

BCD ने दिल्ली सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार सोशल वेलफेयर स्कीम में वकीलों के साथ भेदभाव का रही है. वह केवल उन वकीलों को आर्थिक सहायता या बिना ब्याज लोन दे रही है, जिनके पास दिल्ली का वोटर आईकार्ड है. जबकि अन्य सोशल स्कीम में ड्राइविंग लाइसेंस, बिजली बिल, बीमा पेपर, जैसे कई दस्तावेजों में किसी भी एक को ही मान्यता दे रही है. बीसीडी का कहना है की दिल्ली सरकार ने बीसीडी से राय लेने तो दूर उनकी बात भी नहीं सुन रही है. ऐसे में उन्हें कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है.

वेलफेयर स्कीम कम सियासी कदम ज्यादा
BCD का कहना है कि कोई भी एडवोकेट देश के एक ही राज्य में रजिस्टर्ड हो सकता है. ऐसे में जो एडवोकेट BCD में रजिस्टर्ड हैं, उसके साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए. यह नेचुरल जस्टिस का विरोध भी है और मानवता का विरोध भी. ऐसे में यदि दिल्ली सरकार वकीलों को केवल वोटर कार्ड के आधार पर ही सोशल वेलफेयर स्कीम का लाभ दे तो यह सहायता कम अपने वोट बैंक बढ़ने वाला सियासी कदम ज्यादा माना जाएगा.

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