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भलस्वा डेयरी इलाके में उद्घाटन के ढाई साल बाद भी नहीं बना गोबर गैस प्लांट

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Published : Aug 30, 2021, 12:49 PM IST

दिल्ली के भलस्वा डेयरी इलाके में नगर निगम पर फर्जी उद्घाटन करने का आरोप लगा है. क्योंकि ढाई साल पहले नगर निगम द्वारा गोबर गैस प्लांट बनाने का उद्घाटन किया था और उद्घाटन कार्यक्रम में तत्कालीन बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी और सांसद हंसराज हंस समेत कई भाजपा नेता शामिल हुए थे. लेकिन पिछले ढाई साल से गोबर गैस प्लांट बनाने के नाम पर एक भी ईंट नहीं लगाई गई है.

Gobar gas plant
Gobar gas plant

नई दिल्ली: राजधानी में एक बार फिर से उत्तरी दिल्ली नगर निगम सवालों के घेरे में है. इस बार मामला भलस्वा डेयरी इलाके का है. बादली विधानसभा के भलस्वा वार्ड इलाके में करीब ढाई साल पहले नगर निगम द्वारा गोबर गैस प्लांट बनाने का उद्घाटन किया गया था और 1 साल में बना कर तैयार करने की बात भी कही गई थी. लेकिन ढाई साल बाद भी यहां काम के नाम पर केवल चहारदिवारी और उद्घाटन का पत्थर ही लगाया जा सका है.

बता दें कि गोबर गैस प्लांट बनाने को लेकर अब राजनीति शुरू हो गई है. आम आदमी पार्टी से पूर्व निगम प्रत्याशी सुरेश शर्मा ने आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार के चलते भाजपा ने फर्जी उद्घाटन किया और लोगों को झूठे सपने दिखाए. वहीं जब से यहां पर निगम पार्षद विजय भगत जीत कर आये है उन्होंने जनता को सिर्फ झुटे वादे किए और विकास के सपने दिखाया है.

सवालों के घेरे में NMCD.

ये भी पढ़ें: दिल्ली में स्कूल खोलने को लेकर SOP जारी, 50 फीसदी छात्रों के साथ चलेंगी कक्षाएं

बता दें कि भलस्वा डेयरी इलाके में भारी संख्या में पशुपालन किया जाता है. पशुओं के गोबर को इस्तेमाल में लाने के लिए यहां गोबर गैस प्लांट को तैयार किया जाना था. लेकिन ढाई साल बाद भी प्लांट बनकर तैयार होना तो दूर यहां काम तक शुरू नहीं हुआ है. भलस्वा डेयरी से निकलने वाले पशुओं के गोबर इलाके और दिल्ली की पहचान कही जाने वाली भलस्वा झील को भी दूषित कर रहा है. झील के किनारे गोबर का अंबार है जिससे कोई झील के आस पास आना तक पसंद नहीं करता.

ये भी पढ़ें: किसानों पर लाठीचार्ज के बाद महासंग्राम, आज करनाल के घरौंडा में जुटेंगे हजारों किसान

वहीं भलस्वा झील में मवेशियों का गोबर लगातार गिरने से झील में कीड़े उत्पन्न हो रहे हैं. वहीं गोबर से निकलने वाले मीथेन गैस से लोगों को बीमारियां भी हो रही हैं. इन्हीं सब के मद्देनजर नगर निगम द्वारा 16 करोड़ की लागत से गोबर गैस प्लांट बनाने का शिलान्यास किया गया था. लेकिन अभी तक यहां कोई काम शुरू नहीं हुआ है. इस विषय पर बात करने के लिए जब ईटीवी भारत ने स्थानीय पार्षद विजय भगत से संपर्क साधने की कोशिश की तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया. उनके कार्यालय पर हमारी टीम पहुंची तो पार्षद अपने कार्यालय से नदारद थे. वहीं पार्षद प्रतिनिधि व प्रचार मंत्री गौरव कपूर ने बताया कि ये योजना लॉकडाउन के चलते मजदूर ना मिलने की वजह से रुकी हुई है. इनका कहना है कि लॉक डाउन में जो मजदूर दिल्ली से पलायन कर गए हैं वह दिल्ली वापस लौट कर नहीं आये. वहीं अब Covid-19 की तीसरी लहर आ रही है. जिसकी वजह से ये योजना अधर में लटकी हुई है.

ये भी पढ़ें: अंकित गुर्जर हत्याकांड में नहीं हुई अब तक गिरफ्तारी, आरोपी अधिकारी को मिली सुरक्षा

इस योजना के तहत पशुपालने करने वालों से 50 पैसे प्रति किलो गोबर नगर निगम खरीदेगी और उसे गोबर गैस प्लांट में गैस बनाकर आसपास के इलाकों में ही गैस सप्लाई करेगी. इससे नगर निगम को भी अच्छा खासा मुनाफा होगा. लेकिन यह सब चीजें सिर्फ कागजों में ही हुई. जमीनी हकीकत इन वादों से काफी परे हैं. फिलहाल डेयरी से निकलने वाला मवेशियों के मलमूत्र भलस्वा झील में जा रहा है और उसकी वजह से यहां रहने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

नई दिल्ली: राजधानी में एक बार फिर से उत्तरी दिल्ली नगर निगम सवालों के घेरे में है. इस बार मामला भलस्वा डेयरी इलाके का है. बादली विधानसभा के भलस्वा वार्ड इलाके में करीब ढाई साल पहले नगर निगम द्वारा गोबर गैस प्लांट बनाने का उद्घाटन किया गया था और 1 साल में बना कर तैयार करने की बात भी कही गई थी. लेकिन ढाई साल बाद भी यहां काम के नाम पर केवल चहारदिवारी और उद्घाटन का पत्थर ही लगाया जा सका है.

बता दें कि गोबर गैस प्लांट बनाने को लेकर अब राजनीति शुरू हो गई है. आम आदमी पार्टी से पूर्व निगम प्रत्याशी सुरेश शर्मा ने आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार के चलते भाजपा ने फर्जी उद्घाटन किया और लोगों को झूठे सपने दिखाए. वहीं जब से यहां पर निगम पार्षद विजय भगत जीत कर आये है उन्होंने जनता को सिर्फ झुटे वादे किए और विकास के सपने दिखाया है.

सवालों के घेरे में NMCD.

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बता दें कि भलस्वा डेयरी इलाके में भारी संख्या में पशुपालन किया जाता है. पशुओं के गोबर को इस्तेमाल में लाने के लिए यहां गोबर गैस प्लांट को तैयार किया जाना था. लेकिन ढाई साल बाद भी प्लांट बनकर तैयार होना तो दूर यहां काम तक शुरू नहीं हुआ है. भलस्वा डेयरी से निकलने वाले पशुओं के गोबर इलाके और दिल्ली की पहचान कही जाने वाली भलस्वा झील को भी दूषित कर रहा है. झील के किनारे गोबर का अंबार है जिससे कोई झील के आस पास आना तक पसंद नहीं करता.

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वहीं भलस्वा झील में मवेशियों का गोबर लगातार गिरने से झील में कीड़े उत्पन्न हो रहे हैं. वहीं गोबर से निकलने वाले मीथेन गैस से लोगों को बीमारियां भी हो रही हैं. इन्हीं सब के मद्देनजर नगर निगम द्वारा 16 करोड़ की लागत से गोबर गैस प्लांट बनाने का शिलान्यास किया गया था. लेकिन अभी तक यहां कोई काम शुरू नहीं हुआ है. इस विषय पर बात करने के लिए जब ईटीवी भारत ने स्थानीय पार्षद विजय भगत से संपर्क साधने की कोशिश की तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया. उनके कार्यालय पर हमारी टीम पहुंची तो पार्षद अपने कार्यालय से नदारद थे. वहीं पार्षद प्रतिनिधि व प्रचार मंत्री गौरव कपूर ने बताया कि ये योजना लॉकडाउन के चलते मजदूर ना मिलने की वजह से रुकी हुई है. इनका कहना है कि लॉक डाउन में जो मजदूर दिल्ली से पलायन कर गए हैं वह दिल्ली वापस लौट कर नहीं आये. वहीं अब Covid-19 की तीसरी लहर आ रही है. जिसकी वजह से ये योजना अधर में लटकी हुई है.

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इस योजना के तहत पशुपालने करने वालों से 50 पैसे प्रति किलो गोबर नगर निगम खरीदेगी और उसे गोबर गैस प्लांट में गैस बनाकर आसपास के इलाकों में ही गैस सप्लाई करेगी. इससे नगर निगम को भी अच्छा खासा मुनाफा होगा. लेकिन यह सब चीजें सिर्फ कागजों में ही हुई. जमीनी हकीकत इन वादों से काफी परे हैं. फिलहाल डेयरी से निकलने वाला मवेशियों के मलमूत्र भलस्वा झील में जा रहा है और उसकी वजह से यहां रहने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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