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आर्मी की मदद से मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाए भारत सरकार: यशवंत सिन्हा

मजदूरों की समस्या को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री आज दिल्ली के राजघाट पर घरने पर बैठे. इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

Yashwant Sinha
यशवंत सिन्हा
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Published : May 18, 2020, 3:59 PM IST

Updated : May 18, 2020, 4:59 PM IST

नई दिल्ली: लॉकडाउन के दौरान मजदूरों की घर वापसी के मुद्दे को लेकर पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा आज दिल्ली के राजघाट पर धरने पर बैठे हैं. उनकी मांग है कि सरकार मजदूरों के मुद्दे को गंभीरता से ले और उनकी घर वापसी के लिए उचित प्रबंध करे. इस मुद्दे को लेकर ईटीवी भारत ने यशवंत सिन्हा से खास बातचीत की.

देखें, यशवंत सिन्हा से खास बातचीत

प्रश्न: इस वक्त देश की स्थिति जो मजदूरों के पलायन को लेकर बनी है, उसे किस दिशा में देख रहे हैं आप?

उत्तर: देखिए, इस वक्त पूरे देश में कई हफ्तों से ह्रदय विदारक दृश्य देखने को मिल रहे हैं. मजदूर सड़कों पर पैदल चलने को मजबूर हैं, अपने घर जाने के लिए. सरकार ने जो व्यवस्था की है वो नाकाफी है. तो इसलिए आज हम धरने पर एक मांग को लेकर बैठे हैं कि सरकार तत्काल देश की सेना को ये आदेश दे कि वो अपने संसाधनों का उपयोग कर इन सारे मजदूरों को सम्मान के साथ उनके घर पहुंचाए.

प्रश्न: सिन्हा जी, आपके पीछे पोस्टर पर लिखा है कि आर्मी को डिप्लॉय करें, तो क्या लगता है कि वापसी की जो कोशिश की जा रही है, ट्रेनें भेजी जा रही हैं वो पर्याप्त नहीं है?

उत्तर: नहीं, क्योंकि भारत सरकार ने आदेश नहीं दिया, उन्होंने इच्छाशक्ति नहीं दिखाई. मेरा मानना है कि अगर भारत सरकार चाहे तो 24 घंटे में ये सब मजदूर सड़कों से हट जाएंगे. साथ ही अपने-अपने घरों के लिए सह-सम्मान चले जाएंगे.

प्रश्न: आप देश के वित्त मंत्री रहे हैं और आर्थिक मामलों के जानकार भी हैं. जो पैकेज सरकार की ओर से दिया गया है, उसकी आलोचना लोग इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उसका डायरेक्ट फायदा किसानों और मजदूरों को नहीं हो रहा है?

उत्तर: मैं उस पैकेज पर आज कुछ नहीं कहना चाहता हूं. जब आज मैं राजघाट पर धरने पर बैठा तो मुझे 2 मजदूर सिर पर बोझा लादकर जाते हुए दिखाई दिए. वो अपने प्रदेश बंगाल पैदल जा रहे हैं. जब उनसे पूछा गया कि आर्थिक पैकेज से आपको कुछ मिला तो उनका जवाब था कुछ नहीं मिला. किसी भी मजदूर को कुछ नहीं मिला, इसलिए आज इस पर बात करना बेईमानी है.

प्रश्न: घर जा रहे मजदूरों को भी राज्य सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिल रही है, पुलिस उन्हें आगे बढ़ा देती है?

उत्तर: नहीं, उनको कोई मदद नहीं मिल रही है और मैं आज ब्लेमगेम नहीं देखना चाहता हूं. ये जिम्मेदारी राज्य और भारत सरकार दोनों की है. दोनों सरकारों को मिलकर ये इंतजाम करना चाहिए कि मजदूर सम्मान के साथ घर पहुंचे. वहीं इसमें बड़ी भूमिका भारत सरकार की है क्योंकि भारत सरकार ही सेना को आदेश दे सकती है कि वे मजदूरों को उनके घर पहुंचाए.

प्रश्न: आप झारखंड से आते हैं, इस वक्त में बिहार और झारखंड में एक जैसी परिस्थिती है. वहां अब उनके पास क्या है?

उत्तर: देखिए, मजदूर सभी अपने घर गए हैं, वहां भी उनको रोजगार मिलना चाहिए. साथ ही मुझे इस बात की खुशी है कि मनरेगा का जो टोटल एलोकेशन था, उसको बढ़ाने के लिए वित्तमंत्री महोदया ने कहा है लेकिन ये अच्छी बात होगी कि जो मजदूर अपने-अपने गांव गए हैं, उनको वहां रोजगार मिले.

नई दिल्ली: लॉकडाउन के दौरान मजदूरों की घर वापसी के मुद्दे को लेकर पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा आज दिल्ली के राजघाट पर धरने पर बैठे हैं. उनकी मांग है कि सरकार मजदूरों के मुद्दे को गंभीरता से ले और उनकी घर वापसी के लिए उचित प्रबंध करे. इस मुद्दे को लेकर ईटीवी भारत ने यशवंत सिन्हा से खास बातचीत की.

देखें, यशवंत सिन्हा से खास बातचीत

प्रश्न: इस वक्त देश की स्थिति जो मजदूरों के पलायन को लेकर बनी है, उसे किस दिशा में देख रहे हैं आप?

उत्तर: देखिए, इस वक्त पूरे देश में कई हफ्तों से ह्रदय विदारक दृश्य देखने को मिल रहे हैं. मजदूर सड़कों पर पैदल चलने को मजबूर हैं, अपने घर जाने के लिए. सरकार ने जो व्यवस्था की है वो नाकाफी है. तो इसलिए आज हम धरने पर एक मांग को लेकर बैठे हैं कि सरकार तत्काल देश की सेना को ये आदेश दे कि वो अपने संसाधनों का उपयोग कर इन सारे मजदूरों को सम्मान के साथ उनके घर पहुंचाए.

प्रश्न: सिन्हा जी, आपके पीछे पोस्टर पर लिखा है कि आर्मी को डिप्लॉय करें, तो क्या लगता है कि वापसी की जो कोशिश की जा रही है, ट्रेनें भेजी जा रही हैं वो पर्याप्त नहीं है?

उत्तर: नहीं, क्योंकि भारत सरकार ने आदेश नहीं दिया, उन्होंने इच्छाशक्ति नहीं दिखाई. मेरा मानना है कि अगर भारत सरकार चाहे तो 24 घंटे में ये सब मजदूर सड़कों से हट जाएंगे. साथ ही अपने-अपने घरों के लिए सह-सम्मान चले जाएंगे.

प्रश्न: आप देश के वित्त मंत्री रहे हैं और आर्थिक मामलों के जानकार भी हैं. जो पैकेज सरकार की ओर से दिया गया है, उसकी आलोचना लोग इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उसका डायरेक्ट फायदा किसानों और मजदूरों को नहीं हो रहा है?

उत्तर: मैं उस पैकेज पर आज कुछ नहीं कहना चाहता हूं. जब आज मैं राजघाट पर धरने पर बैठा तो मुझे 2 मजदूर सिर पर बोझा लादकर जाते हुए दिखाई दिए. वो अपने प्रदेश बंगाल पैदल जा रहे हैं. जब उनसे पूछा गया कि आर्थिक पैकेज से आपको कुछ मिला तो उनका जवाब था कुछ नहीं मिला. किसी भी मजदूर को कुछ नहीं मिला, इसलिए आज इस पर बात करना बेईमानी है.

प्रश्न: घर जा रहे मजदूरों को भी राज्य सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिल रही है, पुलिस उन्हें आगे बढ़ा देती है?

उत्तर: नहीं, उनको कोई मदद नहीं मिल रही है और मैं आज ब्लेमगेम नहीं देखना चाहता हूं. ये जिम्मेदारी राज्य और भारत सरकार दोनों की है. दोनों सरकारों को मिलकर ये इंतजाम करना चाहिए कि मजदूर सम्मान के साथ घर पहुंचे. वहीं इसमें बड़ी भूमिका भारत सरकार की है क्योंकि भारत सरकार ही सेना को आदेश दे सकती है कि वे मजदूरों को उनके घर पहुंचाए.

प्रश्न: आप झारखंड से आते हैं, इस वक्त में बिहार और झारखंड में एक जैसी परिस्थिती है. वहां अब उनके पास क्या है?

उत्तर: देखिए, मजदूर सभी अपने घर गए हैं, वहां भी उनको रोजगार मिलना चाहिए. साथ ही मुझे इस बात की खुशी है कि मनरेगा का जो टोटल एलोकेशन था, उसको बढ़ाने के लिए वित्तमंत्री महोदया ने कहा है लेकिन ये अच्छी बात होगी कि जो मजदूर अपने-अपने गांव गए हैं, उनको वहां रोजगार मिले.

Last Updated : May 18, 2020, 4:59 PM IST
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