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जानिए, कब से 1 मई को मनाया जाता है मजदूर दिवस, क्या है पूरी कहानी

मजदूर दिवस राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है. इसकी शुरुआत अमेरिका के शिकागो में 1 मई 1886 में हुई थी. वहीं भारत में लेबर किसान पार्टी द्वारा 1 मई 1923 में इसकी शुरुआत हुई थी.

जानिए, कब से 1 मई को मनाया जाता है मजदूर दिवस
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Published : May 1, 2019, 6:11 AM IST

Updated : May 1, 2019, 7:10 AM IST

नई दिल्ली: मैं मजदूर हूं, मजबूर नहीं. यह कहने में मुझे शर्म नहीं अपने पसीने की खाता हूं मैं मिट्टी को सोना बनाता हूं. किसी भी देश या बड़ी से बड़ी कंपनी के विकास के पीछे उसके लिए दिन-रात पसीना बहा रहे मजदूरों का हाथ होता है. इन्हीं मजदूरों का सम्मान करते हुए 1 मई को श्रमिक दिवस के रूप में मनाया जाता है.

मजदूर दिवस राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है. बता दें कि इसकी शुरुआत अमेरिका के शिकागो में 1 मई 1886 में हुई थी. वहीं भारत में लेबर किसान पार्टी द्वारा 1 मई 1923 में इसकी शुरुआत हुई थी.

मजदूर दिवस को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष राजीव रे ने बताया कि 1886 के करीब जब अमेरिका के शिकागो में लाखों मजदूरों ने इकट्ठा होकर हड़ताल की थी. मज़दूरों की मांग थी कि वे प्रतिदिन 8 घंटे से ज्यादा काम नहीं करेंगे. राजीव रे ने बताया कि सभी मज़दूर अपनी मांगों को लेकर सफेद झंडा लेकर प्रदर्शन कर रहे थे और प्रदर्शन के दौरान ही शिकागो की हेय मार्किट में बम विस्फोट हो गया था जिसके चलते पुलिस ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसायीं थीं. गोलियां चलने से कई मज़दूर मारे गए थे और सैकड़ों मज़दूर घायल हुए थे. इन मज़दूरों के खून से सफेद झंडे लाल हो गए थे. उन्होंने कहा कि शायद यही कारण है जिसके चलते मज़दूर दिवस पर लाल झंडे लगाए जाते हैं.

जानिए, कब से 1 मई को मनाया जाता है मजदूर दिवस

वहीं राजीव ने आगे बताया कि 1886 के आसपास मज़दूरों का बहुत शोषण होता था. उनसे 12-12 घंटे काम करवाया जाता था, वेतन भी नाम मात्र का ही दिया जाता था. साथ ही सप्ताह में एक भी छुट्टी नहीं मिलती थी. इन्हीं मुद्दों को लेकर मज़दूरों ने एकजुट होकर प्रदर्शन किया था.

'मजदूर लंबी शिफ्ट में काम करने को मजबूर'
वहीं डूटा अध्यक्ष राजीव रे ने वर्तमान समय में मज़दूर दिवस को बहुत अहम बताया है. उन्होंने कहा है कि पहले से हालात बेहतर जरूर हुए हैं लेकिन अभी भी कई मज़दूर ऐसे हैं जिनकी न्यूनतम आय और न्यूनतम काम करने के समय को केवल कागज़ों तक ही रखा गया है. उन्होंने कहा कि जो मज़दूर संविधा पर काम करते हैं वे आज भी लंबी शिफ्ट में काम करने को मजबूर हैं.

साथ ही ऐसे मज़दूरों को वेतन के नाम पर भी सिर्फ ठगा जाता है. वहीं राजीव ने बताया कि दुनिया भर के 90 से अधिक देशों में 1 मई को छुट्टी होती है. एक मई को देश और दुनिया में विश्व मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है. लेकिन यह मजदूर दिवस उस दिन सार्थक साबित होगा जब मजदूर को उसका मुनासिब हक मिलेगा.

नई दिल्ली: मैं मजदूर हूं, मजबूर नहीं. यह कहने में मुझे शर्म नहीं अपने पसीने की खाता हूं मैं मिट्टी को सोना बनाता हूं. किसी भी देश या बड़ी से बड़ी कंपनी के विकास के पीछे उसके लिए दिन-रात पसीना बहा रहे मजदूरों का हाथ होता है. इन्हीं मजदूरों का सम्मान करते हुए 1 मई को श्रमिक दिवस के रूप में मनाया जाता है.

मजदूर दिवस राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है. बता दें कि इसकी शुरुआत अमेरिका के शिकागो में 1 मई 1886 में हुई थी. वहीं भारत में लेबर किसान पार्टी द्वारा 1 मई 1923 में इसकी शुरुआत हुई थी.

मजदूर दिवस को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष राजीव रे ने बताया कि 1886 के करीब जब अमेरिका के शिकागो में लाखों मजदूरों ने इकट्ठा होकर हड़ताल की थी. मज़दूरों की मांग थी कि वे प्रतिदिन 8 घंटे से ज्यादा काम नहीं करेंगे. राजीव रे ने बताया कि सभी मज़दूर अपनी मांगों को लेकर सफेद झंडा लेकर प्रदर्शन कर रहे थे और प्रदर्शन के दौरान ही शिकागो की हेय मार्किट में बम विस्फोट हो गया था जिसके चलते पुलिस ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसायीं थीं. गोलियां चलने से कई मज़दूर मारे गए थे और सैकड़ों मज़दूर घायल हुए थे. इन मज़दूरों के खून से सफेद झंडे लाल हो गए थे. उन्होंने कहा कि शायद यही कारण है जिसके चलते मज़दूर दिवस पर लाल झंडे लगाए जाते हैं.

जानिए, कब से 1 मई को मनाया जाता है मजदूर दिवस

वहीं राजीव ने आगे बताया कि 1886 के आसपास मज़दूरों का बहुत शोषण होता था. उनसे 12-12 घंटे काम करवाया जाता था, वेतन भी नाम मात्र का ही दिया जाता था. साथ ही सप्ताह में एक भी छुट्टी नहीं मिलती थी. इन्हीं मुद्दों को लेकर मज़दूरों ने एकजुट होकर प्रदर्शन किया था.

'मजदूर लंबी शिफ्ट में काम करने को मजबूर'
वहीं डूटा अध्यक्ष राजीव रे ने वर्तमान समय में मज़दूर दिवस को बहुत अहम बताया है. उन्होंने कहा है कि पहले से हालात बेहतर जरूर हुए हैं लेकिन अभी भी कई मज़दूर ऐसे हैं जिनकी न्यूनतम आय और न्यूनतम काम करने के समय को केवल कागज़ों तक ही रखा गया है. उन्होंने कहा कि जो मज़दूर संविधा पर काम करते हैं वे आज भी लंबी शिफ्ट में काम करने को मजबूर हैं.

साथ ही ऐसे मज़दूरों को वेतन के नाम पर भी सिर्फ ठगा जाता है. वहीं राजीव ने बताया कि दुनिया भर के 90 से अधिक देशों में 1 मई को छुट्टी होती है. एक मई को देश और दुनिया में विश्व मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है. लेकिन यह मजदूर दिवस उस दिन सार्थक साबित होगा जब मजदूर को उसका मुनासिब हक मिलेगा.

Intro:मैं मजदूर हूं मजबूर नहीं यह कहने में मुझे शर्म नहीं अपने पसीने की खाता हूं मैं मिट्टी को सोना बनाता हूं' किसी भी देश या बड़ी से बड़ी कंपनी के विकास के पीछे उसके लिए दिन - रात पसीना बहा रहे मजदूरों का हाथ होता है. इन्हीं मजदूरों का सम्मान करते हुए 1 मई को श्रमिक दिवस के रूप में मनाया जाता है. मजदूर दिवस राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है. बता दें कि इसकी शुरुआत अमेरिका के शिकागो में 1 मई 1886 में हुई थी. वहीं भारत में लेबर किसान पार्टी द्वारा 1 मई 1923 में इसकी शुरुआत हुई थी.



Body:मज़दूर दिवस को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष राजीव रे ने बताया कि मज़दूर दिवस की शुरुआत 1 मई 1980 के आसपास हुई जब अमेरिका के शिकागो में लाखों मजदूरों ने इकट्ठा होकर हड़ताल की थी. मज़दूरों की मांग थी कि वे प्रतिदिन 8 घण्टे से ज्यादा काम नहीं करेंगे. राजीव रे ने बताया कि सभी मज़दूर अपनी मांगों को लेकर सफेद झंडा लेकर प्रदर्शन कर रहे थे और प्रदर्शन के दौरान ही शिकागो की हेय मार्किट में बम विस्फोट हो गया था जिसके चलते पुलिस ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसायीं थीं. गोलियां चलने से कई मज़दूर मारे गए थे और सैकड़ों मज़दूर घायल हुए थे. इन मज़दूरों के खून से सफेद झंडे लाल हो गए थे. उन्होंने कहा कि शायद यही कारण है जिसके चलते मज़दूर दिवस पर लाल झंडे लगाए जाते हैं.

वहीं राजीव ने आगे बताया कि 1980 के आसपास मज़दूरों क् बहुत शोषण होता था. उनसे 12-12 घंटे काम करवाया जाता था, वेतन भी नाम मात्र का ही दिया जाता था साथ ही सप्ताह में एक भी छुट्टी नहीं मिलती थी. इन्हीं मुद्दों को लेकर मज़दूरों ने एकजुट होकर प्रदर्शन किया था.

वहीं डूटा अध्यक्ष राजीव रे ने वर्तमान समय में भी मज़दूर दिवस को बहुत अहम बताया है. उन्होंने कहा है कि पहले से हालात बेहतर जरूर हुए हैं लेकिन अभी भी कई मज़दूर ऐसे हैं जिनकी न्यूनतम आय और न्यूनतम काम करने के समय को केवल कागज़ों तक ही रखा गया है. उन्होंने कहा कि जो मज़दूर संविधा पर काम करते हैं वे आज भी लंबी शिफ्ट में काम करने को मजबूर हैं. साथ ही ऐसे मज़दूरों को वेतन के नाम पर भी सिर्फ ठगा जाता है. वहीं राजीव ने बताया कि दुनिया भर के 90 से अधिक देशों में 1 मई को छुट्टी होती है.


Conclusion:एक मई को देश और दुनिया में विश्व मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है. लेकिन यह मजदूर दिवस उस दिन सार्थक साबित होगा जब मजदूर को उसका मुनासिब हक मिलेगा.
Last Updated : May 1, 2019, 7:10 AM IST
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