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दिल्ली: गांधी जी की 150वीं जयंती को समर्पित विश्व पुस्तक मेला

दिल्ली के प्रगति मैदान में 28वां विश्व पुस्तक मेला लगा है. इस बार पुस्तक मेला गांधी की 150वीं जयंती को समर्पित है.

World Book Fair dedicated to Gandhi ji's 150th birth anniversary in pargati maidan
गांधी जी की 150वीं जयंती को समर्पित विश्व पुस्तक मेला
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Published : Jan 7, 2020, 8:37 AM IST

नई दिल्ली: प्रगति मैदान में इन दिनों 28वां विश्व पुस्तक मेला चल रहा है. इस बार का पुस्तक मेला गांधी की 150वीं जयंती को समर्पित है. आज की पीढ़ी को गांधीजी के आदर्श और उनके विचारों से रूबरू कराने के लिए हॉल नंबर 7 में जगह-जगह गांधी जी के विचारों के पोस्टर्स लगाए गए हैं.

गांधी जी की 150वीं जयंती को समर्पित विश्व पुस्तक मेला

गांधीजी के इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं से लेकर उनकी रचनाएं, उनके लिखे पत्र यहां प्रदर्शित किए गए हैं. साथ ही उनका प्रिय भजन भी यहां लोगों को आकर्षित कर रहा है.

'गांधी जी कि 150वीं जयंती'
विश्व पुस्तक मेला महात्मा गांधी को समर्पित है. हॉल नंबर 7 में प्रवेश करते ही महात्मा गांधी के भजन कानो में गूंजने लगते हैं और पूरा वातावरण सकारात्मकता से भर जाता है. वहीं इस बार पुस्तक मेले को गांधीमय बनाने के लिए एनबीटी के चेयरमैन प्रोफ़ेसर गोविंद प्रसाद शर्मा ने बताया कि यह साल महात्मा गांधी की 150वीं जयंती का है. देश विदेशों में उनके जीवन और कार्यो की चर्चा हो रही है. इसी को देखते हुए इस बार का पुस्तक मेला गांधी के जीवन को समर्पित रखा गया है.

'गांधी के जीवन के हर पहलू की प्रदर्शनी'
उन्होंने बताया कि इस प्रदर्शनी में गांधी के जीवन के हर पहलू को दर्शाया गया है. गांधी बतौर एक पत्रकार, एक लेखक, एक संपादक, एक आंदोलनकर्ता आदि. इसके अलावा गांधी ने उस समय की महान विभूतियों को जो पत्र लिखे थे और उनके जो संशोधन किए थे उसकी प्रतियां भी दर्शक देख सकेंगे. साथ ही महात्मा गांधी की सामाजिक और आर्थिक छवि के साथ साथ उनके चिंतन की स्मृतियां भी यहां प्रदर्शित की गई हैं.

'गांधी के भजन से गुंजा पवेलियन'
प्रोफेसर शर्मा ने बताया कि गांधी को समर्पित हॉल नंबर 7 में लगातार बजने वाले गांधी के प्रिय भजन 'वैष्णव जन तो तेने कहिए' और 'रघुपति राघव राजा राम' दर्शकों को लगातार एक सकारात्मक वातावरण का एहसास करा रहे हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि यहां पर गांधी के प्रयोग में आने वाली सभी वस्तुएं जैसे उनका चश्मा, चरखा, खड़ाऊँ आदि की प्रतियां भी प्रदर्शित की गई हैं.

'गांधी का जीवन युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत'
प्रोफेसर शर्मा ने कहा कि तत्कालीन समाज में महात्मा गांधी के विचारों की बहुत जरूरत है खासतौर पर बच्चों और युवाओं में. उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शनी में सबसे ज्यादा युवा पीढ़ी उत्साह दिखा रहे हैं और जो भी युवा यहां आ रहे हैं वह गांधी के जीवन और उनकी रचनाओं से प्रेरणा लेकर जा रहे हैं.

नई दिल्ली: प्रगति मैदान में इन दिनों 28वां विश्व पुस्तक मेला चल रहा है. इस बार का पुस्तक मेला गांधी की 150वीं जयंती को समर्पित है. आज की पीढ़ी को गांधीजी के आदर्श और उनके विचारों से रूबरू कराने के लिए हॉल नंबर 7 में जगह-जगह गांधी जी के विचारों के पोस्टर्स लगाए गए हैं.

गांधी जी की 150वीं जयंती को समर्पित विश्व पुस्तक मेला

गांधीजी के इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं से लेकर उनकी रचनाएं, उनके लिखे पत्र यहां प्रदर्शित किए गए हैं. साथ ही उनका प्रिय भजन भी यहां लोगों को आकर्षित कर रहा है.

'गांधी जी कि 150वीं जयंती'
विश्व पुस्तक मेला महात्मा गांधी को समर्पित है. हॉल नंबर 7 में प्रवेश करते ही महात्मा गांधी के भजन कानो में गूंजने लगते हैं और पूरा वातावरण सकारात्मकता से भर जाता है. वहीं इस बार पुस्तक मेले को गांधीमय बनाने के लिए एनबीटी के चेयरमैन प्रोफ़ेसर गोविंद प्रसाद शर्मा ने बताया कि यह साल महात्मा गांधी की 150वीं जयंती का है. देश विदेशों में उनके जीवन और कार्यो की चर्चा हो रही है. इसी को देखते हुए इस बार का पुस्तक मेला गांधी के जीवन को समर्पित रखा गया है.

'गांधी के जीवन के हर पहलू की प्रदर्शनी'
उन्होंने बताया कि इस प्रदर्शनी में गांधी के जीवन के हर पहलू को दर्शाया गया है. गांधी बतौर एक पत्रकार, एक लेखक, एक संपादक, एक आंदोलनकर्ता आदि. इसके अलावा गांधी ने उस समय की महान विभूतियों को जो पत्र लिखे थे और उनके जो संशोधन किए थे उसकी प्रतियां भी दर्शक देख सकेंगे. साथ ही महात्मा गांधी की सामाजिक और आर्थिक छवि के साथ साथ उनके चिंतन की स्मृतियां भी यहां प्रदर्शित की गई हैं.

'गांधी के भजन से गुंजा पवेलियन'
प्रोफेसर शर्मा ने बताया कि गांधी को समर्पित हॉल नंबर 7 में लगातार बजने वाले गांधी के प्रिय भजन 'वैष्णव जन तो तेने कहिए' और 'रघुपति राघव राजा राम' दर्शकों को लगातार एक सकारात्मक वातावरण का एहसास करा रहे हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि यहां पर गांधी के प्रयोग में आने वाली सभी वस्तुएं जैसे उनका चश्मा, चरखा, खड़ाऊँ आदि की प्रतियां भी प्रदर्शित की गई हैं.

'गांधी का जीवन युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत'
प्रोफेसर शर्मा ने कहा कि तत्कालीन समाज में महात्मा गांधी के विचारों की बहुत जरूरत है खासतौर पर बच्चों और युवाओं में. उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शनी में सबसे ज्यादा युवा पीढ़ी उत्साह दिखा रहे हैं और जो भी युवा यहां आ रहे हैं वह गांधी के जीवन और उनकी रचनाओं से प्रेरणा लेकर जा रहे हैं.

Intro:नई दिल्ली ।

प्रगति मैदान में इन दिनों 28वां विश्व पुस्तक मेला चल रहा है. इस बार का पुस्तक मेला गांधी की 150वीं जयंती को समर्पित है. आज की पीढ़ी को गांधीजी के आदर्श और उनके विचारों से रूबरू कराने के लिए हॉल नंबर 7 को पूरी तरह गांधीमय कर दिया गया है. गांधीजी के इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं से लेकर उनकी रचनाएं, उनके लिखे पत्र यहां प्रदर्शित किए गए हैं. साथ ही उनका प्रिय भजन भी यहां लोगों को आकर्षित कर रहा है.


Body:प्रगति मैदान में चल रहा विश्व पुस्तक मेला महात्मा गांधी को समर्पित है. हॉल नंबर 7 में प्रवेश करते ही महात्मा गांधी के भजन कानो में गूंजने लगते हैं और पूरा वातावरण सकारात्मकता से भर जाता है. वहीं इस बार पुस्तक मेले को गांधीमय बनाने को लेकर एनबीटी के चेयरमैन प्रोफ़ेसर गोविंद प्रसाद शर्मा ने बताया कि यह वर्ष महात्मा गांधी की 150वीं जयंती का वर्ष रहा है और देश विदेशों में उनके जीवन और कार्यो की चर्चा हो रही है. इसी को देखते हुए इस बार का पुस्तक मेला गांधी के जीवन को समर्पित रखा गया है.

गांधी के हर पहलू को किया गया प्रदर्शित

वहीं उन्होंने बताया कि इस प्रदर्शनी में गांधी के जीवन के हर पहलू को दर्शाया गया है. गांधी बतौर एक पत्रकार, एक लेखक, एक संपादक, एक आंदोलनकर्ता आदि. इसके अलावा गांधी ने उस समय की महान विभूतियों को जो पत्र लिखे थे और उनके जो संशोधन किए थे उसकी प्रतियां भी दर्शक देख सकेंगे. साथ ही महात्मा गांधी की सामाजिक और आर्थिक छवि के साथ साथ उनके चिंतन की स्मृतियां भी यहां प्रदर्शित की गई हैं.

गांधी के प्रिय भजन से गुंजायमान है पवेलियन

प्रोफेसर शर्मा ने बताया कि गांधी को समर्पित हॉल नंबर 7 में लगातार बजने वाले गांधी के प्रिय भजन 'वैष्णव जन तो तेने कहिए' और 'रघुपति राघव राजा राम' दर्शकों को लगातार एक सकारात्मक वातावरण का एहसास करा रहे हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि यहां पर गांधी के प्रयोग में आने वाली सभी वस्तुएं जैसे उनका चश्मा, चरखा, खड़ाऊँ आदि की प्रतियां भी प्रदर्शित की गई हैं.




Conclusion:गांधी का जीवन युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत

प्रोफेसर शर्मा ने कहा कि तत्कालीन समाज में महात्मा गांधी के विचारों की बहुत जरूरत है खासतौर पर बच्चों और युवाओं में. उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शनी में सबसे ज्यादा युवा पीढ़ी उत्साह दिखा रहे हैं और जो भी युवा यहां आ रहे हैं वह गांधी के जीवन और उनकी रचनाओं से प्रेरणा लेकर जा रहे हैं.
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