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Connaught Place को सजाने के नाम पर की जा रही लीपापोती, जर्जर खंभों पर कोई ध्यान नहीं - Connaught Place

दिल्ली में जी 20 शिखर सम्मेलन के पहले कई जगहों की मरम्मत और रंग रोगन का काम किया जा रहा है, जिसमें कनॉट प्लेस भी शामिल है. इस बीच यह बात सामने आई है कि कनॉट प्लेस को सजाने संवारने के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है और जर्जर खंभों का कोई स्थायी समाधान नहीं किया जा रहा है.

Connaught Place
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Published : Jun 20, 2023, 6:13 PM IST

कनॉट प्लेस को सजाने के नाम पर खानापूर्ती

नई दिल्ली: राजधानी के दिल में बसा कनॉट प्लेस यानी सीपी को यहां की जान कहा जाता है. जी 20 शिखर सम्मेलन से पहले सीपी को सजाने की कवायद चल रही है, जिसके अंतर्गत पिलर्स और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स पर पेटिंग और मरम्मत का कार्य किया जा रहा है. इस पुरानी बिल्डिंग के कॉरिडोर, छत और खंभों पर दरारें आ चुकी हैं.

इस बारे में ईटीवी भारत से बात करते हुए नई दिल्ली ट्रेडिंग एसोसिएशन के महासचिव विक्रम बधवार ने बताया कि कनॉट पैलेस को संवारने सजाने के नाम पर लीपापोती की जा रही है. इसके कई खंभे पूरी तरह से क्रैक कर चुके हैं. कई बार इसकी शिकायत भी की जा चुकी है. लेकिन नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) की तरफ से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. इसके लिए स्टेट बैंक के कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) फंड की तरफ से सवा तीन करोड़ का बजट आया है, लेकिन पता नहीं है कि ये पैसा कहां लगाया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि पेंटिंग का काम करने वाली एजेंसी केवल दरारें भर रही है. इस मामले को स्थायी रूप से हल करने की सख्त जरूरत है. हमने एनडीएमसी को इस बारे में कई बार सूचित किया है. उम्मीद है कि वे कोई बड़ा नुकसान होने से पहले इन खंभों की जांच करेंगे और कोई ठोस समाधान निकालेंगे. इसमें पड़ी दरारें दिन-ब-दिन बड़ी होती है जा रही है. इसके अलावा कई जगहों पर छत से प्लास्टर भी गिर गया है.

यह भी पढ़ें-Coffee Home: कनॉट प्लेस का कॉफी होम क्यों मशहूर है ?, जानिए लोगों ने क्या कहा

विक्रम बधवार ने आगे बताया कि एनडीएमसी के अधिकारी कहते हैं कि यहां की देखभाल हमें करनी चाहिए. लेकिन हम जब कोई रेनोवेशन कराते हैं तो हमारी दुकान सील कर देते हैं. वहीं कनॉट प्लेस के बाहरी और आंतरिक सर्कल में करीब 1500 से 2000 खंभे हैं, जिसपर पूरी इमारत टिकी हुई है. इनमें से करीब 500 से खंभे जर्जर स्थिति में पहुंच चुके हैं. खासतौर पर पंचकुइयां रोड के पास वाले खंभों में बहुत दरारें हैं. इसकी कई बार शिकायत भी की जा चुकी है लेकिन कोई समाधान नहीं किया जा रहा है. हम लोगों ने एनडीएमसी की मीटिंग में भी यह मुद्दा उठाया लेकिन उनकी तरफ से पर्याप्त बजट न होने का बहाना बना दिया गया.

यह भी पढ़ें-भारत के एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य के प्रस्ताव पर G20 देशों ने लगाई मोहर

कनॉट प्लेस को सजाने के नाम पर खानापूर्ती

नई दिल्ली: राजधानी के दिल में बसा कनॉट प्लेस यानी सीपी को यहां की जान कहा जाता है. जी 20 शिखर सम्मेलन से पहले सीपी को सजाने की कवायद चल रही है, जिसके अंतर्गत पिलर्स और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स पर पेटिंग और मरम्मत का कार्य किया जा रहा है. इस पुरानी बिल्डिंग के कॉरिडोर, छत और खंभों पर दरारें आ चुकी हैं.

इस बारे में ईटीवी भारत से बात करते हुए नई दिल्ली ट्रेडिंग एसोसिएशन के महासचिव विक्रम बधवार ने बताया कि कनॉट पैलेस को संवारने सजाने के नाम पर लीपापोती की जा रही है. इसके कई खंभे पूरी तरह से क्रैक कर चुके हैं. कई बार इसकी शिकायत भी की जा चुकी है. लेकिन नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) की तरफ से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. इसके लिए स्टेट बैंक के कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) फंड की तरफ से सवा तीन करोड़ का बजट आया है, लेकिन पता नहीं है कि ये पैसा कहां लगाया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि पेंटिंग का काम करने वाली एजेंसी केवल दरारें भर रही है. इस मामले को स्थायी रूप से हल करने की सख्त जरूरत है. हमने एनडीएमसी को इस बारे में कई बार सूचित किया है. उम्मीद है कि वे कोई बड़ा नुकसान होने से पहले इन खंभों की जांच करेंगे और कोई ठोस समाधान निकालेंगे. इसमें पड़ी दरारें दिन-ब-दिन बड़ी होती है जा रही है. इसके अलावा कई जगहों पर छत से प्लास्टर भी गिर गया है.

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विक्रम बधवार ने आगे बताया कि एनडीएमसी के अधिकारी कहते हैं कि यहां की देखभाल हमें करनी चाहिए. लेकिन हम जब कोई रेनोवेशन कराते हैं तो हमारी दुकान सील कर देते हैं. वहीं कनॉट प्लेस के बाहरी और आंतरिक सर्कल में करीब 1500 से 2000 खंभे हैं, जिसपर पूरी इमारत टिकी हुई है. इनमें से करीब 500 से खंभे जर्जर स्थिति में पहुंच चुके हैं. खासतौर पर पंचकुइयां रोड के पास वाले खंभों में बहुत दरारें हैं. इसकी कई बार शिकायत भी की जा चुकी है लेकिन कोई समाधान नहीं किया जा रहा है. हम लोगों ने एनडीएमसी की मीटिंग में भी यह मुद्दा उठाया लेकिन उनकी तरफ से पर्याप्त बजट न होने का बहाना बना दिया गया.

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