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World Vitiligo Day 2023: विटिलिगो बीमारी से ग्रसित महिलाओं ने किया रैंप वॉक, जानें वजह - विश्व विटिलिगो दिवस मनाने का उद्देश्य

विश्व विटिलिगो दिवस के अवसर पर दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इस कार्यक्रम में विटिलिगो बीमारी से ग्रसित महिलाओं और पुरुषों ने रैंप वॉक किया.

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महिलाओं ने किया रैंप वॉक
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Published : Jun 26, 2023, 2:14 PM IST

महिलाओं ने किया रैंप वॉक

नई दिल्ली: हर साल पूरी दुनिया में 25 जून को वर्ल्ड विटिलिगो डे मनाया जाता है. इसको मनाने का मकसद लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरूक करना है. सबसे पहले विटिलिगो दिवस 2011 में मनाया गया था. उस समय संयुक्त राष्ट्र ने हर साल 25 जून को विश्व विटिलिगो दिवस मनाने की घोषणा की थी. हर साल एक थीम के तहत इसे मनाया जाता है. इस बीमारी के प्रति देश में लोगों का अलग-अलग नजरिया है.

विश्व विटिलिगो दिवस के अवसर पर दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में प्रसिद्ध आयुर्वेदिक त्वचा विशेषज्ञ डॉक्टर नितिका कोहली की तरफ से एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इस कार्यक्रम में विटिलिगो बीमारी से ग्रसित महिलाओं और पुरुषों ने रैंप वॉक किया और केक काटकर इस दिवस को सेलिब्रेट किया गया.

डॉक्टर निकिता कोहली ने बताया कि हमारा इस बार यह दूसरा प्रोग्राम है. इस बार हमने बड़े स्तर पर इस प्रोग्राम को आयोजित किया है. मेरा मानना है कि अभी इस बीमारी के बारे में भारत में कम लोग जागरूक है. यह दिवस पूरी दुनिया में मनाया जाता है. हालांकि भारत में इस दिवस के बारे में लोगों को अभी भी जानकारियां नहीं है. आज यहां पर जितनी भी महिलाएं थी, सफेदी से ग्रसित थी, जो एक लाइलाज बीमारी नहीं है. इससे ठीक भी हो सकते हैं.

उन्होंने कहा कि हमारी आयुर्वेदिक औषधि हैं, उनसे ठीक किया जा सकता है, लेकिन आज के दौर में हमारे समाज में अलग-अलग प्रकार की भ्रांतियां हैं. जो लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं, उन्हें अलग नजरिए से देखा जाता है. ऐसे में हमने उन लोगों को आज यह एक बड़ा प्लेटफार्म दिया है. ऐसे प्रोग्राम से जो सफेदी जैसी बीमारी से ग्रसित हैं उनका मनोबल बढ़ता है.

विटिलिगो एक तरह की त्वचा से जुड़ी बीमारी है. जिसमें वो कोशिकाएं जो त्वचा के रंग के लिए जिम्मेदार होती हैं, नष्ट होने लगती हैं. मेलानोसाइटिस नाम की ये कोशिकाएं स्किन को कलर देने वाले मेलानिन को बनाना बंद कर देती हैं. जिसकी वजह से खास एरिया पर स्किन का रंग बदल जाता है और वो सफेद हो जाती है. यह सफेद धब्बा धीरे-धीरे बढ़ने लगता है और पूरे शरीर पर फैल जाता है. हालांकि एक्जिमा, सोरायसिस, मिलिया, टीनिया वर्सिकलर जैसी समस्याओं के कारण भी त्वचा पर सफेद धब्बे पड़ जाते हैं. विटिलिगो एक तरह की ऑटो इम्यून बीमारी है. जिसमें खुद के शरीर की कोशिकाएं दूसरे को नष्ट करने लगती हैं. इसलिए ये बीमारी एक से दूसरे को छूने से नहीं फैलती है.

ये भी पढ़ें : Benefits of Cycling : हर रोज साइकिलिंग करने के 6 फायदे, बीमारियों से बचें व खुद को रखें फिट

महिलाओं ने किया रैंप वॉक

नई दिल्ली: हर साल पूरी दुनिया में 25 जून को वर्ल्ड विटिलिगो डे मनाया जाता है. इसको मनाने का मकसद लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरूक करना है. सबसे पहले विटिलिगो दिवस 2011 में मनाया गया था. उस समय संयुक्त राष्ट्र ने हर साल 25 जून को विश्व विटिलिगो दिवस मनाने की घोषणा की थी. हर साल एक थीम के तहत इसे मनाया जाता है. इस बीमारी के प्रति देश में लोगों का अलग-अलग नजरिया है.

विश्व विटिलिगो दिवस के अवसर पर दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में प्रसिद्ध आयुर्वेदिक त्वचा विशेषज्ञ डॉक्टर नितिका कोहली की तरफ से एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इस कार्यक्रम में विटिलिगो बीमारी से ग्रसित महिलाओं और पुरुषों ने रैंप वॉक किया और केक काटकर इस दिवस को सेलिब्रेट किया गया.

डॉक्टर निकिता कोहली ने बताया कि हमारा इस बार यह दूसरा प्रोग्राम है. इस बार हमने बड़े स्तर पर इस प्रोग्राम को आयोजित किया है. मेरा मानना है कि अभी इस बीमारी के बारे में भारत में कम लोग जागरूक है. यह दिवस पूरी दुनिया में मनाया जाता है. हालांकि भारत में इस दिवस के बारे में लोगों को अभी भी जानकारियां नहीं है. आज यहां पर जितनी भी महिलाएं थी, सफेदी से ग्रसित थी, जो एक लाइलाज बीमारी नहीं है. इससे ठीक भी हो सकते हैं.

उन्होंने कहा कि हमारी आयुर्वेदिक औषधि हैं, उनसे ठीक किया जा सकता है, लेकिन आज के दौर में हमारे समाज में अलग-अलग प्रकार की भ्रांतियां हैं. जो लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं, उन्हें अलग नजरिए से देखा जाता है. ऐसे में हमने उन लोगों को आज यह एक बड़ा प्लेटफार्म दिया है. ऐसे प्रोग्राम से जो सफेदी जैसी बीमारी से ग्रसित हैं उनका मनोबल बढ़ता है.

विटिलिगो एक तरह की त्वचा से जुड़ी बीमारी है. जिसमें वो कोशिकाएं जो त्वचा के रंग के लिए जिम्मेदार होती हैं, नष्ट होने लगती हैं. मेलानोसाइटिस नाम की ये कोशिकाएं स्किन को कलर देने वाले मेलानिन को बनाना बंद कर देती हैं. जिसकी वजह से खास एरिया पर स्किन का रंग बदल जाता है और वो सफेद हो जाती है. यह सफेद धब्बा धीरे-धीरे बढ़ने लगता है और पूरे शरीर पर फैल जाता है. हालांकि एक्जिमा, सोरायसिस, मिलिया, टीनिया वर्सिकलर जैसी समस्याओं के कारण भी त्वचा पर सफेद धब्बे पड़ जाते हैं. विटिलिगो एक तरह की ऑटो इम्यून बीमारी है. जिसमें खुद के शरीर की कोशिकाएं दूसरे को नष्ट करने लगती हैं. इसलिए ये बीमारी एक से दूसरे को छूने से नहीं फैलती है.

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