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EXCLUSIVE: 'जल पुरुष' राजेंद्र सिंह बोले- गंगा सफाई के लिए पॉलिटिकल विल की कमी

गंगा सफाई और गंगा का प्रवाह बढ़ाने को लेकर सरकार तमाम दावे करती रही है, लेकिन हालात अब भी बदतर बने हुए है. गंगा की ऐसी स्थिति को लेकर ईटीवी भारत ने खास बातचीत की जल पुरुष राजेंद्र सिंह से.

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Published : Feb 5, 2020, 9:08 PM IST

Water man Rajendra Singh said allocated on government on bad condition of Ganges river
गंगा सफाई

नई दिल्ली: गंगा की वर्तमान स्थिति को लेकर चिंता जाहिर करते हुए राजेंद्र सिंह ने कहा कि गंगा सरकारों के लिए माई नहीं, कमाई बनकर रह गई है. उन्होंने कहा कि गंगा की बीमारी कुछ और है और इलाज कुछ और किया जा रहा है. केंद्र सरकार के गंगा को लेकर किए गए तमाम दावों पर उन्होंने कहा कि मां गंगा की बीमारी प्रवाह की है. उसे हृदय रोग कह सकते हैं, लेकिन इलाज दांतो का किया जा रहा है.

गंगा सफाई पर जल पुरुष राजेंद्र सिंह से खास बातचीत

'सरकार में पॉलीटिकल विल की कमी'
उन्होंने यह भी कहा कि गंगा पर खूब पैसे खर्च हुए, लेकिन उसे ठेकेदारों पर लुटाया गया और सरकारों के लिए गंगा सिर्फ कहने को माई है, असलियत में कमाई बनकर रह गई है. गंगा के लिए जो मंत्रालय बना था. उसका नाम ही गंगा पर रखा गया था, लेकिन अब उसका नाम जल शक्ति मंत्रालय कर दिया गया है.

क्या हमारी सरकार और नेताओं के सामने गंगा सफाई को लेकर पॉलीटिकल विल नहीं है, इस सवाल के जवाब में उनका कहना था कि पॉलीटिकल विल तो बिल्कुल ही नहीं है, गंगा के नाम पर कमाई करना एक नया खेल बन गया है. उन्होंने कहा कि सभी दल एक जैसे ही है इस मामले में, कोई नागनाथ है, तो कोई सांपनाथ.

'गंगा के नाम पर केवल आरती-उत्सव'
गंगा को लेकर हुए खर्च पर उन्होंने कहा कि गंगा के नाम पर जितना खर्च हुआ, वह सिर्फ आरती-उत्सव पर किया गया. अगर वो गंगा सफाई पर और उसका प्रवाह ठीक करने के लिए करते, तो हालात बदल सकते थे.
गंगा के प्रवाह को ठीक करने और सफाई की मांग को लेकर साध्वी पद्मावती अनशन पर बैठी हैं. इसे लेकर भी राजेंद्र सिंह ने अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि पद्मावती के साथ जिस तरह का षड्यंत्र किया गया. जिस तरह डॉक्टर और पुलिस ने अनशन तुड़वाने के लिए उसे डराया, वह था आज तक नहीं हुआ है.

नई दिल्ली: गंगा की वर्तमान स्थिति को लेकर चिंता जाहिर करते हुए राजेंद्र सिंह ने कहा कि गंगा सरकारों के लिए माई नहीं, कमाई बनकर रह गई है. उन्होंने कहा कि गंगा की बीमारी कुछ और है और इलाज कुछ और किया जा रहा है. केंद्र सरकार के गंगा को लेकर किए गए तमाम दावों पर उन्होंने कहा कि मां गंगा की बीमारी प्रवाह की है. उसे हृदय रोग कह सकते हैं, लेकिन इलाज दांतो का किया जा रहा है.

गंगा सफाई पर जल पुरुष राजेंद्र सिंह से खास बातचीत

'सरकार में पॉलीटिकल विल की कमी'
उन्होंने यह भी कहा कि गंगा पर खूब पैसे खर्च हुए, लेकिन उसे ठेकेदारों पर लुटाया गया और सरकारों के लिए गंगा सिर्फ कहने को माई है, असलियत में कमाई बनकर रह गई है. गंगा के लिए जो मंत्रालय बना था. उसका नाम ही गंगा पर रखा गया था, लेकिन अब उसका नाम जल शक्ति मंत्रालय कर दिया गया है.

क्या हमारी सरकार और नेताओं के सामने गंगा सफाई को लेकर पॉलीटिकल विल नहीं है, इस सवाल के जवाब में उनका कहना था कि पॉलीटिकल विल तो बिल्कुल ही नहीं है, गंगा के नाम पर कमाई करना एक नया खेल बन गया है. उन्होंने कहा कि सभी दल एक जैसे ही है इस मामले में, कोई नागनाथ है, तो कोई सांपनाथ.

'गंगा के नाम पर केवल आरती-उत्सव'
गंगा को लेकर हुए खर्च पर उन्होंने कहा कि गंगा के नाम पर जितना खर्च हुआ, वह सिर्फ आरती-उत्सव पर किया गया. अगर वो गंगा सफाई पर और उसका प्रवाह ठीक करने के लिए करते, तो हालात बदल सकते थे.
गंगा के प्रवाह को ठीक करने और सफाई की मांग को लेकर साध्वी पद्मावती अनशन पर बैठी हैं. इसे लेकर भी राजेंद्र सिंह ने अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि पद्मावती के साथ जिस तरह का षड्यंत्र किया गया. जिस तरह डॉक्टर और पुलिस ने अनशन तुड़वाने के लिए उसे डराया, वह था आज तक नहीं हुआ है.

Intro:गंगा सफाई और गंगा का प्रवाह बढ़ाने को लेकर सरकार तमाम दावे व वादे करती रही है, लेकिन हालात अब भी बदतर है. गंगा की ऐसी स्थिति को लेकर ईटीवी भारत ने खास बातचीत की जल पुरुष राजेंद्र सिंह से.


Body:नई दिल्ली: गंगा की वर्तमान स्थिति को लेकर चिंता जाहिर करते हुए राजेंद्र सिंह ने कहा कि गंगा सरकारों के लिए माई नहीं, कमाई बनकर रह गई है. उनका यह भी कहना था कि गंगा की बीमारी कुछ और है और इलाज कुछ और किया जा रहा है.

गंगा माई नहीं कमाई

इसे लेकर सवाल करने पर कि केंद्र सरकार गंगा को लेकर तमाम दावे करती रही है, इसके लिए अलग से मंत्रालय भी बनाया गया, तो क्या इस दिशा में कोई सकारात्मक काम हो सका है, इसपर राजेंद्र सिंह का कहना था कि मां गंगा की बीमारी प्रवाह की है, उसे हृदय रोग कह सकते हैं, लेकिन उसका इलाज कर रहे हैं, दांतों के डॉक्टर. उन्होंने यह भी कहा कि गंगा पर खूब पैसे खर्च हुए, लेकिन उसे ठेकेदारों पर लुटाया गया और सरकारों के लिए गंगा सिर्फ कहने को माई है, असलियत में कमाई बनकर रह गई है.

कोई नागनाथ, कोई सांपनाथ

राजेंद्र सिंह का यह भी कहना था कि गंगा के लिए जो मंत्रालय बना था, उसका नाम ही गंगा पर रखा गया था, लेकिन अब उसका नाम जल शक्ति मंत्रालय कर दिया गया है. क्या हमारी सरकार और नेताओं के सामने गंगा सफाई को लेकर पॉलीटिकल विल नहीं है, इस सवाल के जवाब में उनका कहना था कि पॉलीटिकल विल तो बिल्कुल ही नहीं है, गंगा के नाम पर कमाई करना एक नया खेल बन गया है. उन्होंने कहा कि सभी दल एक जैसे ही है इस मामले में, कोई नागनाथ है, तो कोई सांपनाथ.

गंगा के नाम पर केवल आरती-उत्सव

गंगा को लेकर हुए खर्च पर राजेंद्र सिंह का यह भी कहना था कि गंगा के नाम पर जितना खर्च हुआ, वह सिर्फ आरती-उत्सव पर किया गया. अगर वो गंगा सफाई पर और उसका प्रवाह ठीक करने के लिए करते, तो हालात बदल सकते थे. गंगा के प्रवाह को ठीक करने और सफाई की मांग को लेकर साध्वी पद्मावती अनशन पर बैठी हैं, इसे लेकर भी राजेंद्र सिंह ने अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि पद्मावती के साथ जिस तरह का षड्यंत्र किया गया, जिस तरह डॉक्टर और पुलिस ने अनशन तुड़वाने के लिए उसे डराया, वह था आज तक नहीं हुआ है.


Conclusion:जल संकट की आहट

दिल्ली में अभी विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और जिन मुद्दों को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है, उनमें गंगा यमुना की सफाई भी बड़ा मुद्दा है. भाजपा इस दावे के साथ आम आदमी पार्टी पर निशाना साध रही है कि उन्होंने उत्तर प्रदेश में गंगा को साफ कर दिया, लेकिन दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार यमुना साफ नहीं कर सकी. दिल्ली में होने वाली पानी सप्लाई का एक बड़ा हिस्सा गंगा से आता है. इसे लेकर सवाल करने पर कि क्या गंगा के प्रवाह की बाधा दिल्ली में पानी सप्लाई को प्रभावित कर सकती है, इसपर राजेन्द्र सिंह का कहना था कि सिर्फ प्रभावित ही नहीं कर सकती, बल्कि यह दिल्ली और देश के सामने एक बड़े जल संकट की आहट है.
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