नई दिल्ली: विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता की ओर से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि के मामले में विजेंद्र गुप्ता ने आज अपना बयान दर्ज कराया. उसके बाद केजरीवाल और सिसोदिया की ओर से मांग की गई कि उनके वकील उपलब्ध नहीं हैं इसलिए विजेंद्र गुप्ता का क्रास-एग्जामिनेशन टाल दिया जाए. उसके बाद कोर्ट ने विजेंद्र गुप्ता का क्रास-एग्जामिनेशन 17 दिसंबर को करने का आदेश दिया.
पिछले 7 नवंबर को राऊज एवेन्यू की सेशंस कोर्ट ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समन जारी करने के आदेश के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दिया था. केजरीवाल ने ट्रायल कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में भी याचिका दायर किया था, लेकिन पिछले 17 सितंबर को उन्होंने हाईकोर्ट से याचिका वापस ले लिया. हाईकोर्ट से याचिका वापस लेने के बाद केजरीवाल ने राऊज एवेन्यू कोर्ट के सेशंस कोर्ट में ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी.
पिछले 1 अगस्त को दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने इस मामले में अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के खिलाफ आरोप तय किया था. केजरीवाल ने इसी फैसले को सेशंस कोर्ट में चुनौती दी थी.
ट्रायल कोर्ट में दायर याचिका में विजेंद्र गुप्ता ने कहा है कि केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने उनकी छवि धूमिल करने के लिये कहा कि केजरीवाल की हत्या की साज़िश मे विजेन्द्र गुप्ता शामिल हैं. विजेंद्र गुप्ता ने इस बयान पर माफी मांगने के लिए केजरीवाल और सिसोदिया को लीगल नोटिस भी भेजा था, लेकिन नोटिस का जवाब ना मिलने पर विजेंद्र गुप्ता ने दोनों के खिलाफ मानहानि का मुक़दमा दायर दिया.
पिछले 18 मई को केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा था कि "भाजपा मुझे क्यों मरवाना चाहती है? मेरा क़सूर क्या है? मैं देश के लोगों के लिए स्कूल और अस्पताल ही तो बनवा रहा हूं पहली बार देश में स्कूल और अस्पताल की सकारात्मक राजनीति शुरू हुई है. भाजपा इसको ख़त्म करना चाहती है, लेकिन अंतिम सांस तक मैं देश के लिए काम करता रहूंगा." इसके बाद मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा कि "बीजेपी सीएम की हत्या करवाना चाहती है. विजेंद्र गुप्ता के इस ट्वीट ने साबित कर दिया कि सीएम की डेली सिक्योरिटी की रिपोर्ट रोज़ाना बीजेपी के पास पहुंच रही है और बीजेपी इसके आधार पर सीएम की हत्या की साज़िश रच रही है. इस साज़िश में विजेंद्र गुप्ता भी शामिल हैं. इन दोनों के ट्वीट के बाद विजेंद्र गुप्ता ने दोनों को लीगल नोटिस भेजा था.