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'सदन में CM केजरीवाल की पोल उनके ही मंत्री ने खोल दी'

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Published : Feb 27, 2019, 8:48 PM IST

अपने ही मंत्री के द्वारा दी गई जानकारी के बाद वोटर लिस्ट से नाम काटे जाने के आरोप पर केजरीवाल खुद सदन में घिर गए. सत्र के दौरान आम आदमी पार्टी के विधायक अनिल वाजपेयी ने सवाल पूछा कि जातिगत आधार पर कितने वोटरों के नाम काटे गए.

'वोटर लिस्ट मुद्दे पर AAP की पोल खोल'

नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि वोटर लिस्ट से नाम काटे जाने वाले मामले में सीएम केजरीवाल की पोल उनके ही मंत्री ने खोल दी है.

नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि पिछले 27 नवंबर को इस मुद्दे को विधानसभा में उठाया था. सरकार से सवाल पूछा था कि वह जानकारी सार्वजनिक करें कि पिछले 4 सालों में दिल्ली की मतदाता सूची में कितने मतदाताओं के नाम जुड़े हैं और कितने काटे गए हैं.

18 लाख से ज्यादा नाम जुड़े
बुधवार यानी 27 फरवरी को जब नेता विपक्ष ने इस बाबत मंत्री इमरान हुसैन से जानकारी मांगी तो उन्होंने जो रिपोर्ट दिए उसमें कहा गया कि गत 4 सालों में 10 लाख 65 हजार के करीब मतदाताओं के नाम काटे गए हैं. जबकि इस दौरान 18 लाख 85 हजार के करीब नए मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट में जोड़े गए हैं.

'सदन में घिरे केजरीवाल'
अपने ही मंत्री के द्वारा दी गई जानकारी के बाद वोटर लिस्ट से नाम काटे जाने के आरोप पर केजरीवाल खुद सदन में घिर गए. सत्र के दौरान आम आदमी पार्टी के विधायक अनिल वाजपेयी ने सवाल पूछा कि जातिगत आधार पर कितने वोटरों के नाम काटे गए.

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'जातिगत आधार पर डाटा नहीं'
मंत्री इमरान हुसैन ने साफ कहा कि जातिगत आधार पर चुनाव आयोग कोई डाटा नहीं रखती है. इससे यह भी साफ हो गया कि मुख्यमंत्री ने जो पूर्वांचल और बनिया वोटरों के बारे में कहा था कि उनके नाम बीजेपी के इशारे पर कटवाए गए यह गलत साबित हो गया.

'वोटर लिस्ट मुद्दे पर AAP की पोल खोल'

वोटरों के नाम काटने का आरोप
विधानसभा के अंदर कार्यवाही के बाद नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि पिछले कुछ महीनों से दिल्ली में वोटर लिस्ट से नाम काटे जाने के मसले पर राजनीति काफी गर्म है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अलग-अलग जनसभाओं में चुनाव आयोग और बीजेपी पर वोटरों के नाम काटने का आरोप लगाते रहे.

इन लोगों का नाम कटने के आरोप
आरोप लगे कि चुनाव आयोग ने खासतौर से बनिया, मुस्लिम और प्रवासियों के वोट काट दिए. लेकिन दिल्ली विधानसभा में एक सवाल के जवाब में सब साफ हो गया कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.

'सरकार ने नहीं दी जानकारी'
विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि तीन महीने पहले उन्होंने जो जानकारी सरकार से मांगी थी वह जानकारी सरकार ने नहीं दी. लेकिन चुनाव आयोग ने आरटीआई और चुनाव आयोग से प्राप्त आंकड़े मंत्री को दिए हैं वह उनके पास है.

'रिपोर्ट टेबल करने का निर्देश'
मतदाताओं की संख्या को लेकर सदन में जब यह बात सामने आई तो विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने नेता विपक्ष को वह रिपोर्ट टेबल करने का निर्देश दिया. नेता विपक्ष ने मंत्री के जवाब और चुनाव आयोग द्वारा दिए गए आंकड़े को टेबल कर दिया.

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इस दौरान सदन में मौजूद उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी खड़े हो गए. लेकिन कुछ ही देर में स्पीकर ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अगले प्रश्न की और सदन की कार्यवाही को बढ़ा दिया.

3 महीने में रिपोर्ट
हालांकि विपक्ष ने सरकार को इस बात पर भी घेरा कि 27 नवंबर को वोटर लिस्ट से नाम काटे जाने को लेकर विधानसभा में 3 महीने में रिपोर्ट देने की बात कही गई थी. तो अब 27 फरवरी को रिपोर्ट आने के बाद भी उसे टेबल क्यों नहीं किया गया.

'कहां से जुटाए आंकड़े'
फिलहाल सरकार सदन में तो सवालों से बच रही है, लेकिन बाहर तो सवाल उठेंगे कि आखिर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इतनी बड़ी तादाद में वोटर लिस्ट से नाम काटे जाने के आंकड़े कहां से जुटाए.

नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि वोटर लिस्ट से नाम काटे जाने वाले मामले में सीएम केजरीवाल की पोल उनके ही मंत्री ने खोल दी है.

नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि पिछले 27 नवंबर को इस मुद्दे को विधानसभा में उठाया था. सरकार से सवाल पूछा था कि वह जानकारी सार्वजनिक करें कि पिछले 4 सालों में दिल्ली की मतदाता सूची में कितने मतदाताओं के नाम जुड़े हैं और कितने काटे गए हैं.

18 लाख से ज्यादा नाम जुड़े
बुधवार यानी 27 फरवरी को जब नेता विपक्ष ने इस बाबत मंत्री इमरान हुसैन से जानकारी मांगी तो उन्होंने जो रिपोर्ट दिए उसमें कहा गया कि गत 4 सालों में 10 लाख 65 हजार के करीब मतदाताओं के नाम काटे गए हैं. जबकि इस दौरान 18 लाख 85 हजार के करीब नए मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट में जोड़े गए हैं.

'सदन में घिरे केजरीवाल'
अपने ही मंत्री के द्वारा दी गई जानकारी के बाद वोटर लिस्ट से नाम काटे जाने के आरोप पर केजरीवाल खुद सदन में घिर गए. सत्र के दौरान आम आदमी पार्टी के विधायक अनिल वाजपेयी ने सवाल पूछा कि जातिगत आधार पर कितने वोटरों के नाम काटे गए.

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'जातिगत आधार पर डाटा नहीं'
मंत्री इमरान हुसैन ने साफ कहा कि जातिगत आधार पर चुनाव आयोग कोई डाटा नहीं रखती है. इससे यह भी साफ हो गया कि मुख्यमंत्री ने जो पूर्वांचल और बनिया वोटरों के बारे में कहा था कि उनके नाम बीजेपी के इशारे पर कटवाए गए यह गलत साबित हो गया.

'वोटर लिस्ट मुद्दे पर AAP की पोल खोल'

वोटरों के नाम काटने का आरोप
विधानसभा के अंदर कार्यवाही के बाद नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि पिछले कुछ महीनों से दिल्ली में वोटर लिस्ट से नाम काटे जाने के मसले पर राजनीति काफी गर्म है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अलग-अलग जनसभाओं में चुनाव आयोग और बीजेपी पर वोटरों के नाम काटने का आरोप लगाते रहे.

इन लोगों का नाम कटने के आरोप
आरोप लगे कि चुनाव आयोग ने खासतौर से बनिया, मुस्लिम और प्रवासियों के वोट काट दिए. लेकिन दिल्ली विधानसभा में एक सवाल के जवाब में सब साफ हो गया कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.

'सरकार ने नहीं दी जानकारी'
विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि तीन महीने पहले उन्होंने जो जानकारी सरकार से मांगी थी वह जानकारी सरकार ने नहीं दी. लेकिन चुनाव आयोग ने आरटीआई और चुनाव आयोग से प्राप्त आंकड़े मंत्री को दिए हैं वह उनके पास है.

'रिपोर्ट टेबल करने का निर्देश'
मतदाताओं की संख्या को लेकर सदन में जब यह बात सामने आई तो विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने नेता विपक्ष को वह रिपोर्ट टेबल करने का निर्देश दिया. नेता विपक्ष ने मंत्री के जवाब और चुनाव आयोग द्वारा दिए गए आंकड़े को टेबल कर दिया.

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इस दौरान सदन में मौजूद उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी खड़े हो गए. लेकिन कुछ ही देर में स्पीकर ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अगले प्रश्न की और सदन की कार्यवाही को बढ़ा दिया.

3 महीने में रिपोर्ट
हालांकि विपक्ष ने सरकार को इस बात पर भी घेरा कि 27 नवंबर को वोटर लिस्ट से नाम काटे जाने को लेकर विधानसभा में 3 महीने में रिपोर्ट देने की बात कही गई थी. तो अब 27 फरवरी को रिपोर्ट आने के बाद भी उसे टेबल क्यों नहीं किया गया.

'कहां से जुटाए आंकड़े'
फिलहाल सरकार सदन में तो सवालों से बच रही है, लेकिन बाहर तो सवाल उठेंगे कि आखिर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इतनी बड़ी तादाद में वोटर लिस्ट से नाम काटे जाने के आंकड़े कहां से जुटाए.

Intro:नई दिल्ली. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आज विधानसभा में अपने ही मंत्री इमरान हुसैन तथा विपक्ष द्वारा चुनाव आयोग से मिले जवाबों से बेपर्दा हो गए. वोटर लिस्ट से 24 लाख मतदाताओं के नाम काटे जाने का मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पिछले कई महीनों से दावा कर रहे थे. वे प्रचारित कर रहे थे कि भाजपा के इशारे पर दिल्ली में 24 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम काटे गए हैं. इनमें पूर्वांचल और बनियों सर्वाधिक शामिल हैं.

मुख्यमंत्री के इस बयान पर नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि गत 27 नवंबर को विधानसभा में उठाया था और सरकार से सवाल पूछा था कि वह जानकारी सार्वजनिक करें कि पिछले 4 सालों में दिल्ली की मतदाता सूची में कितने विधायकों के नाम जुड़े हैं और कितने काटे गए हैं.


Body:बुधवार यानी 27 फरवरी को जब नेता विपक्ष ने इस बाबत मंत्री इमरान हुसैन से जानकारी मांगी तो उन्होंने जो रिपोर्ट दिए उसमें कहा गया कि गत 4 सालों में 10 लाख 65 हजार के करीब मतदाताओं के नाम काटे गए हैं. जबकि इस दौरान 18 लाख 85 हजार के करीब नए मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट में जोड़े गए हैं.

अपने ही मंत्री के द्वारा दी गई जानकारी के बाद वोटर लिस्ट से नाम काटे जाने के आरोप पर केजरीवाल खुद सदन में गिर गए. इतना ही नहीं सत्र के दौरान आम आदमी पार्टी के विधायक अनिल वाजपेयी ने सवाल पूछा कि जातिगत आधार पर कितने वोटरों के नाम काटे गए तो मंत्री इमरान हुसैन ने साफ कहा कि जातिगत आधार पर चुनाव आयोग कोई डाटा नहीं रखती है. इससे यह भी साफ हो गया कि मुख्यमंत्री ने जो पूर्वांचल और बनिया वोटरों के बारे में कहा था कि उनके नाम भाजपा के इशारे पर कटवाए गए यह गलत साबित हो गया.

विधानसभा के अंदर कार्यवाही के बाद नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि पिछले कुछ महीनों से दिल्ली में वोटर लिस्ट से नाम काटे जाने के मसले पर राजनीति काफी गर्म है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अलग-अलग जनसभाओं में चुनाव आयोग और बीजेपी पर वोटरों के नाम काटने का आरोप लगाते रहे. आरोप लगे कि चुनाव आयोग ने खासतौर से बनिया, मुस्लिम और प्रवासियों के वोट काट दिए. लेकिन दिल्ली विधानसभा में एक सवाल के जवाब में सब साफ हो गया कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि तीन महीने पहले उन्होंने जो जानकारी सरकार से मांगी थी वह जानकारी सरकार ने नहीं दी. लेकिन चुनाव आयोग ने आरटीआई तथा चुनाव आयोग से प्राप्त आंकड़े मंत्री दिए हैं वह उनके पास है.

मतदाताओं की संख्या को लेकर सदन में जब यह बात सामने आई तो विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल नेता विपक्ष को वह रिपोर्ट टेबल करने का निर्देश दिया. नेता विपक्ष ने मंत्री के जवाब और चुनाव आयोग द्वारा दिए गए आंकड़े को टेबल कर दिया. इस दौरान सदन में मौजूद उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी खड़े हो गए. लेकिन कुछ ही देर में स्पीकर ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अगले प्रश्न की और सदन की कार्यवाही को बढ़ा दिया.

हालांकि विपक्ष ने सरकार को इस बात पर भी घेरा कि 27 नवंबर को वोटर लिस्ट से नाम काटे जाने को लेकर विधानसभा में 3 महीने में रिपोर्ट देने की बात कही गई थी तो अब 27 फरवरी को रिपोर्ट आने के बाद भी उसे टेबल क्यों नहीं किया गया. फिलहाल सरकार सदन में तो सवालों से बच रही है. लेकिन बाहर तो सवाल उठेंगे कि आखिर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इतनी बड़ी तादाद में वोटर लिस्ट से नाम काटे जाने के आंकड़े कहां से जुटाए.

समाप्त, आशुतोष झा


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