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Nithari Case: मोनिंदर सिंह पंढेर के जेल से रिहा होने पर पीड़ित परिवार आहत, कहा- अब न्याय कैसे मिलेगा!

Nithari serial killings case: निठारी कांड के अभियुक्त मोनिंदर सिंह पंढेर के जेल से रिहा होने पर पीड़ित परिवार काफी आहत है. उन्होंने कहा कि जेल से रिहाई पंढेर की गलत हुई है और हमें अब न्याय कैसे मिलेगा.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 20, 2023, 8:28 PM IST

पीड़ित परिवार आहत

नई दिल्ली/नोएडा: निठारी कांड का अभियुक्त मोनिंदर सिंह पंढेर को गौतम बुद्ध नगर की लुक्सर जेल से रिहा कर दिया गया है. चार दिन पहले ही इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एसएएच रिजवी की खंडपीठ ने निठारी नरसंहार में सीबीआई कोर्ट से फांसी की सजा पाए सुरेंद्र कोली और पंढेर को दोषमुक्त करार दिया था. एक तरफ कोर्ट से पंढेर की रिहाई हुई. वहीं दूसरी ओर पंढेर की रिहाई को लेकर पीड़ित परिवार आहत है. उन्होंने कोर्ट पर भी प्रश्न चिन्ह उठाए.

दरअसल, मोनिंदर पंढेर की रिहाई का परवाना आज सुबह गौतम बुद्ध नगर जिला जेल पहुंचा. दोपहर लगभग 1.40 बजे पंढेर की जेल से रिहाई हुई. लुक्सर जेल से वह वकील का हाथ पकड़कर बाहर निकला. इस दौरान मीडियाकर्मियों ने उससे बात करने को कोशिश की. मगर, उसे कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया. इसके बाद हाथ जोड़ते हुए कार में बैठा और निकल गया. इस दौरान जेल के बाहर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे, और निठारी में डी 5 नंबर की पंढेर की कोठी के पास पुलिस तैनात किया गया.

निठारी पीड़िता काफी आहत: निठारी कांड से जुड़े पीड़ित का कहना है कि जेल से रिहाई पंढेर की गलत हुई है और हमें अब न्याय कैसे मिलेगा. जो भी हुआ गलत हुआ है. निठारी पीड़ित होने के चलते हमें प्लांट और नगद मुआवजा मिला था. मुआवजे का पूरा पैसा हमने केस लड़ने में खर्च किया. वहीं, मिले हुए प्लांट को भी हमने बेच दिया और उस पैसे से भी केस लड़ा, पर न्याय नहीं मिला. उन्होंने कहा कि अब हमारी स्थिति प्रतिदिन 100 से लेकर डेढ़ सौ रुपए कपड़ा प्रेस करके कमाने की है, जिसमें हम केस कोर्ट में लड़े या फिर अपना पेट पालन करें.

नोएडा के सेक्टर 31 स्थित निठारी कांड तब चर्चा में आया, जब 29 दिसंबर 2006 को निठारी में मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पीछे नाले में पुलिस को बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले थे. पुलिस ने पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया था. बाद में निठारी कांड से संबंधित सभी मामले सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया था. वर्तमान में निठारी कांड की शिकार महिलाओं, बच्चों और बच्चियों के ज्यादातर परिजन नोएडा छोड़कर अपने-अपने पैतृक गांव वापस जा चुके हैं. हालांकि चार पीड़ित परिवार अब नोएडा में रह रहे हैं.

पीड़ित परिवार आहत

नई दिल्ली/नोएडा: निठारी कांड का अभियुक्त मोनिंदर सिंह पंढेर को गौतम बुद्ध नगर की लुक्सर जेल से रिहा कर दिया गया है. चार दिन पहले ही इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एसएएच रिजवी की खंडपीठ ने निठारी नरसंहार में सीबीआई कोर्ट से फांसी की सजा पाए सुरेंद्र कोली और पंढेर को दोषमुक्त करार दिया था. एक तरफ कोर्ट से पंढेर की रिहाई हुई. वहीं दूसरी ओर पंढेर की रिहाई को लेकर पीड़ित परिवार आहत है. उन्होंने कोर्ट पर भी प्रश्न चिन्ह उठाए.

दरअसल, मोनिंदर पंढेर की रिहाई का परवाना आज सुबह गौतम बुद्ध नगर जिला जेल पहुंचा. दोपहर लगभग 1.40 बजे पंढेर की जेल से रिहाई हुई. लुक्सर जेल से वह वकील का हाथ पकड़कर बाहर निकला. इस दौरान मीडियाकर्मियों ने उससे बात करने को कोशिश की. मगर, उसे कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया. इसके बाद हाथ जोड़ते हुए कार में बैठा और निकल गया. इस दौरान जेल के बाहर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे, और निठारी में डी 5 नंबर की पंढेर की कोठी के पास पुलिस तैनात किया गया.

निठारी पीड़िता काफी आहत: निठारी कांड से जुड़े पीड़ित का कहना है कि जेल से रिहाई पंढेर की गलत हुई है और हमें अब न्याय कैसे मिलेगा. जो भी हुआ गलत हुआ है. निठारी पीड़ित होने के चलते हमें प्लांट और नगद मुआवजा मिला था. मुआवजे का पूरा पैसा हमने केस लड़ने में खर्च किया. वहीं, मिले हुए प्लांट को भी हमने बेच दिया और उस पैसे से भी केस लड़ा, पर न्याय नहीं मिला. उन्होंने कहा कि अब हमारी स्थिति प्रतिदिन 100 से लेकर डेढ़ सौ रुपए कपड़ा प्रेस करके कमाने की है, जिसमें हम केस कोर्ट में लड़े या फिर अपना पेट पालन करें.

नोएडा के सेक्टर 31 स्थित निठारी कांड तब चर्चा में आया, जब 29 दिसंबर 2006 को निठारी में मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पीछे नाले में पुलिस को बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले थे. पुलिस ने पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया था. बाद में निठारी कांड से संबंधित सभी मामले सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया था. वर्तमान में निठारी कांड की शिकार महिलाओं, बच्चों और बच्चियों के ज्यादातर परिजन नोएडा छोड़कर अपने-अपने पैतृक गांव वापस जा चुके हैं. हालांकि चार पीड़ित परिवार अब नोएडा में रह रहे हैं.

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