नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के उर्दू अकादमी में सालों से खाली पड़े उर्दू के पदों को भरने का फैसला लिया गया है. यह फैसला उर्दू अकादमी के वाइस चेयरमैन प्रोफेसर शहपर रसूल ने लिया है. उर्दू अकादमी के वाइस चेयरमैन प्रोफेसर शहपर रसूल ने कहा कि अकादमी जल्दी ही खाली पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू करेगी.
कई सालों से 20 पद पड़े हैं खाली
आपको बता दें कि दिल्ली उर्दू अकादमी में करीब 20 पद ऐसे हैं, जो कई सालों से खाली पड़े हैं. उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में गवर्निंग काउंसिल की पिछली मीटिंग में भी ये बातें रखी गई थी. जिसमें ये फैसला लिया गया है कि पहले चरण में संविदात्मक भर्तियां की जाएंगी बाद में उन्हें स्थाई कर दिया जाएगा.
'प्रक्रिया को पूरा करने में लगता है समय'
सरकारी विभागों में उर्दू के खाली पदों पर अकादमी की नैतिक जिम्मेदारी के सवाल पर उन्होंने कहा कि हम सरकार का ध्यान इस तरफ दिलाते रहते हैं लेकिन इन को पूरा करने की एक प्रक्रिया है जिसमें समय लगता है.
कंप्यूटर सेंटर के बंद हो जाने पर उन्होंने कहा कि कंप्यूटर पुराने मॉडल के थे जिन्हें हटा दिया गया है. अब नए कंप्यूटर मांगे गए हैं उनके आने के बाद फिर से अकादमी में कंप्यूटर क्लास पहले कि तरह शुरू हो जाएगी.
'उर्दू विरासत का नाम बदलकर जशन-ए-विरासत उर्दू किया'
प्रोफेसर शहपर रसूल ने कहा कि अकादमी में कुछ ऐसे प्रोग्राम है जो काफी समय से चलते आ रहे है और कुछ ऐसे प्रोग्राम हैं, जो समय समय पर हम करते है. मैंने वाइस चेयरमैन का पद संभालने के बाद उर्दू विरासत मेले का नाम बदल कर उसे जशन-ए-विरासत उर्दू कर दिया. ये प्रोग्राम हर साल लाल किले के मैदान में होता था. मैनें इसे कनॉट प्लेस के सेंट्रक पार्क में करवाया. जिससे बड़ी संख्या में लोग इस प्रोग्राम में आने लगे. जो पैगाम हम देना चहते थे उसमे हम बड़ी हद तक सफल रहे.
मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री चाहते हैं उर्दू का विकास
अकादमी में उर्दू जानने वाले सचिव के सवाल पर उन्होंने कहा कि मौजूदा सेक्रेटरी अकादमी के सारे काम बहुत जल्दी कर देते हैं. उनका सचिवालय में होना हमारे लिए अच्छा है. मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री अकादमी के सारे प्रोग्रामो को मंजूरी देते हैं, वह उर्दू का विकास चाहते हैं.