नई दिल्ली : आमतौर पर रिटारमेंट के बाद जब लोग घूमते, आराम करते हैं. अपने परिवार को समय देते हैं. वहीं नलिनी मिसरा तय्यबजी एक ऐसी चित्रकारी हैं जिन्होंने रिटारमेंट के तीन साल बाद चित्रकला की दुनिया में कदम रखा. या यूं कहें कि पेंटिंग ब्रश उठाया और चित्र बनाने लगीं. नलिनी अब तक 10 सोलो प्रदर्शनियों का आयोजन कर चुकी हैं. इन्होंने 63 साल की उम्र से चित्रकारी शुरू की और आज हर उस कलाकार के लिए वो एक उदाहरण है कि कला उम्र की मोहताज नहीं होती है और जुनून किसी भी उम्र में हो वो अपनी मंजिल पा ही लेती है. नलिनी ने बताया कि उन्होंने 63 वर्ष की उम्र में चित्रकारी शुरू की और सबसे पहला चित्र उल्लू का बनाया. इसके बाद उन्होंने कभी अपने हाथों को रोका नहीं.
हर वर्ष एक सोलो प्रदर्शनी का आयोजन करती हैं नलिनी
अब वह पूरे सालभर चित्रकारी करती हैं. हर वर्ष एक सोलो प्रदर्शनी का आयोजन करती हैं. उन्होंने बताया कि करीब 10 वर्ष पहले उनके पिता जी तबियत बहुत खराब हो गई थी. मां का देहांत हो चुका था. तो पिता को वह अपने घर ले आई और उनकी देखभाल करने लगी. इस दौरान उनका ज्यातार समय घर में बीतता था.फिर एक दिन उनको लगा कि अब चित्रकारी शुरू करने का बेहतर समय है. उन्होंने पेंटिंग करनी शुरू कर दी.
ज्यादातर कृष्ण थीम पर काम करती हैं नलिनी
सबसे पहला चित्र उल्लू का बनाया. इसके बाद उनके घर में बहुत समृद्धि आई.नलिनी ने बताया कि वह भगवान कृष्ण को अपना इष्ट मानती हैं. वह ज्यादातर कृष्ण थीम पर काम करती हैं. कृष्ण से उनके परिवार का पुराना नाता है क्योंकि उनके पिता मथुरा के रहनेवाले थे.
अब तक नलिनी अपनी चित्रकारी की 10 प्रदर्शनियां लगा चुकी हैं
अब तक नलिनी अपनी चित्रकारी की 10 प्रदर्शनियां लगा चुकी हैं. उनकी सबसे पहली प्रदर्शनी फरवरी, 2014 में लगी थी. नलिनी ने बताया कि वह अपनी पहली प्रदर्शनी लगाने पर बेहद खुश हुई थी. जो उन्होंने जीवन भर जिसका सपना देख वो सच हो गया .उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि अपनी चित्रकारी की प्रदर्शनी का आयोजन लगातार कर पाएंगी.
नलिनी शैक्षणिक क्षेत्र से सेवानिवृत हैं
आपको बता दें कि नलिनी शैक्षणिक क्षेत्र से सेवानिवृत हैं. अभी उनकी उम्र 73 साल है. दिल्ली के लोदी रोड स्थित इंडिया हैबिटेट सेंटर में नलिनी ने अपनी 10वीं सोलो प्रदर्शनी का आयोजन किया है. अब तो दूर दूर से कला के शौकीन लोग उनकी कला देखने आते हैं.