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बच्चों के प्रति अपराध के मामले में सक्रियता से फैसले कर रहा है ट्रायल कोर्ट

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Published : Nov 8, 2022, 2:04 PM IST

Updated : Nov 8, 2022, 2:32 PM IST

दिल्ली में महिलाओं और बच्चों के प्रति होने वाले अपराधों में तेजी से वृद्धि हुई है. ऐसे में कई बार पीड़ित पक्ष को लंबे समय तक न्याय के लिए इंतजार करना पड़ता है. लेकिन एनसीआरबी की रिपोर्ट (National Crime Records Bureau report) बताती है कि 2019 के मुकाबले इस साल एक साल के अंदर दोगुने से अधिक पोक्सो मामलों का ट्रायल कोर्ट ने फैसला दिया है.

Trial court is actively taking decisions
Trial court is actively taking decisions

नई दिल्ली: राजधानी में महिलाओं में बच्चों के प्रति होने वाले अपराधों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है. ऐसे कई मामलों में कई बार पीड़ित पक्ष को लंबे समय तक न्याय का इंतजार करना पड़ता है. वहीं राजधानी में न्यायालयों की सक्रियता से ऐसे मामले 1 साल के अंदर फैसला सुनाए जाने की दर तेजी से बढ़ी है, अगर इसे 1 से 3 साल के अंदर देखा जाए तो यह संख्या करीब 80 फीसदी है.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट (National Crime Records Bureau report) के मुताबिक 2019, 2020 और 2021 में निस्तारित मामलों की संख्या बढ़ी है और न्यायालय समय सीमा के भीतर ही तेजी से जांच पूरी कर फैसले दे रहे हैं. न्यायालयों की सक्रियता से जांच एजेंसियों पर भी जल्द जांच पूरी कर आरोप पत्र दाखिल करने का दबाव बढ़ा है.

ये भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे गैंगरेप पीड़िता के माता-पिता

साल 2019 में 1 वर्ष के अंदर कुल मामलों के 25 फीसदी मामले निस्तारित कर दिए गए थे. 1 से 3 साल के अंदर कुल 46 फीसदी मामलों का निपटारा सत्र न्यायालयों द्वारा किया गया था. हालांकि 6 फीसदी मामले ऐसे भी थे जिनमें 5 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक का लंबा समय भी लगा. मई 2020 में न्यायालयों के बंद रहने की वजह से कुल मामलों का केवल 4 फीसदी ही 1 वर्ष के भीतर निपटाया जा सका था. हालांकि 1 से 3 वर्ष के भीतर निस्तारित मामलों का आंकड़ा करीब 77 फीसद था. 2021 में न्यायपालिका ने कुल मामलों के 59 फीसद मामलों को केस रजिस्टर होने के 1 वर्ष के अंदर ही निस्तारित कर दिया. 1 से 3 साल के भीतर कुल 28 फीसद मामलों को निस्तारित किया गया. लंबे समय तक चलने वाले मामलों की संख्या भी घटकर 4 फीसदी पर आ गया. वर्ष 2019 में कुल दर्ज मामलों में से 118 मामले निस्तारित किए हैं, वहीं 2020 में इनकी संख्या घटकर लगभग आधी हो गई और कुल 56 मामले की निस्तारित किया जा सके. वर्ष 2021 में पुलिस और न्यायालयों द्वारा जांच कर 179 मामलों को अंजाम तक पहुंचाया गया.

बच्चों के प्रति अपराधों में लगातार हो रही है वृद्धि: वर्ष 2021 में बच्चों के प्रति हुए अपराधों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है. इन मामलों में किशोरियों और बच्चियों के साथ अपराधों की संख्या अधिक है. दुष्कर्म के कुल 845 मामलों में 841 मामलों में पीड़ित बच्ची है वही यौन उत्पीड़न के 501 मामलों में कुल 497 मामले बच्चियों के साथ हुए हैं. अप्राकृतिक सेक्स के कुल 72 मामले दिल्ली में दर्ज किए गए जिनमें 69 मामलों में बच्चों के साथ यह अपराध किया गया. जबकि कुल अपराधों की संख्या 1454 रही.

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नई दिल्ली: राजधानी में महिलाओं में बच्चों के प्रति होने वाले अपराधों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है. ऐसे कई मामलों में कई बार पीड़ित पक्ष को लंबे समय तक न्याय का इंतजार करना पड़ता है. वहीं राजधानी में न्यायालयों की सक्रियता से ऐसे मामले 1 साल के अंदर फैसला सुनाए जाने की दर तेजी से बढ़ी है, अगर इसे 1 से 3 साल के अंदर देखा जाए तो यह संख्या करीब 80 फीसदी है.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट (National Crime Records Bureau report) के मुताबिक 2019, 2020 और 2021 में निस्तारित मामलों की संख्या बढ़ी है और न्यायालय समय सीमा के भीतर ही तेजी से जांच पूरी कर फैसले दे रहे हैं. न्यायालयों की सक्रियता से जांच एजेंसियों पर भी जल्द जांच पूरी कर आरोप पत्र दाखिल करने का दबाव बढ़ा है.

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साल 2019 में 1 वर्ष के अंदर कुल मामलों के 25 फीसदी मामले निस्तारित कर दिए गए थे. 1 से 3 साल के अंदर कुल 46 फीसदी मामलों का निपटारा सत्र न्यायालयों द्वारा किया गया था. हालांकि 6 फीसदी मामले ऐसे भी थे जिनमें 5 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक का लंबा समय भी लगा. मई 2020 में न्यायालयों के बंद रहने की वजह से कुल मामलों का केवल 4 फीसदी ही 1 वर्ष के भीतर निपटाया जा सका था. हालांकि 1 से 3 वर्ष के भीतर निस्तारित मामलों का आंकड़ा करीब 77 फीसद था. 2021 में न्यायपालिका ने कुल मामलों के 59 फीसद मामलों को केस रजिस्टर होने के 1 वर्ष के अंदर ही निस्तारित कर दिया. 1 से 3 साल के भीतर कुल 28 फीसद मामलों को निस्तारित किया गया. लंबे समय तक चलने वाले मामलों की संख्या भी घटकर 4 फीसदी पर आ गया. वर्ष 2019 में कुल दर्ज मामलों में से 118 मामले निस्तारित किए हैं, वहीं 2020 में इनकी संख्या घटकर लगभग आधी हो गई और कुल 56 मामले की निस्तारित किया जा सके. वर्ष 2021 में पुलिस और न्यायालयों द्वारा जांच कर 179 मामलों को अंजाम तक पहुंचाया गया.

बच्चों के प्रति अपराधों में लगातार हो रही है वृद्धि: वर्ष 2021 में बच्चों के प्रति हुए अपराधों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है. इन मामलों में किशोरियों और बच्चियों के साथ अपराधों की संख्या अधिक है. दुष्कर्म के कुल 845 मामलों में 841 मामलों में पीड़ित बच्ची है वही यौन उत्पीड़न के 501 मामलों में कुल 497 मामले बच्चियों के साथ हुए हैं. अप्राकृतिक सेक्स के कुल 72 मामले दिल्ली में दर्ज किए गए जिनमें 69 मामलों में बच्चों के साथ यह अपराध किया गया. जबकि कुल अपराधों की संख्या 1454 रही.

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Last Updated : Nov 8, 2022, 2:32 PM IST
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