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Do and Dont's For Pregnant Woman: गर्मियों में गर्भवती महिलाएं ऐसे रखें अपना ख्याल, इन बातों का रखें विशेष ध्यान

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Published : Jun 10, 2023, 7:14 PM IST

गर्भावस्था हर महिला के लिए एक अलग ही अनुभूति होती है. इस दौरान महिलाओं को कई बदलावों से होकर गुजरना पड़ता है. इसे लेकर ईटीवी भारत ने स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ तृप्ति शरण से बातचीत की. उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं को इस दौरान कई चीजों का ख्याल रखना चाहिए.

tips for pregnant women to take care in summer
tips for pregnant women to take care in summer
डॉ तृप्ति शरण से खास बातचीत

नई दिल्ली: प्रेग्‍नेंसी के नौ महीने महिलाओं के लिए बहुत खास और संवेदनशील होते हैं. इस समय शरीर में शिशु को जगह देने के लिए कई बदलाव आते हैं. गर्भावस्‍था में होने वाले बदलाव में महिलाओं को कई तरह की तकलीफ भी झेलनी पड़ती है. ऐसे में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखने से गर्भवती महिलाएं गर्मियों को भी एन्जॉय कर सकती हैं.

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ तृप्ति शरण ने ईटीवी भारत को बताया कि गर्भवती महिलाओं को भीषण गर्मी में अपना ध्यान देना बहुत जरूरी है. केवल महिला को ही नहीं, बल्कि घर वालों का उसका विशेष ध्यान रखना चाहिए. जब एक गर्भवती महिला पानी पीती है तो उनके अंदर पलने वाले नवजात शिशु को जाने वाले ब्लड की मात्रा अच्छी होती है. गर्मियों में अत्यधिक पसीना आने से बॉडी में ब्लड वॉल्यूम कम हो जाता है, ऐसे में पानी पीना बहुत जरूरी है. डॉ. तृप्ति ने बताया कि गर्भवती महिला को दिनभर में औसतन 2 लीटर पानी पीना चाहिए. वहीं अगर गर्भ में पलने वाले बच्चे में कोई कमजोरी पता चलती है, तो महिला को और भी ज्यादा पानी पीना चाहिए.

वैसे तो बाजार में कई तरह के पेय मौजूद हैं, जिनका गर्भावस्था के दौरान सेवन किया जा सकता है. लेकिन बॉडी को हाइड्रेट रखने के लिए पानी से अच्छा विकल्प कुछ भी नहीं. साफ और अच्छे से उबला हुआ पानी सभी पेय पदार्थों के बेहतर है. डॉक्टर्स का मानना है कि एक गर्भवती महिला को मीठी चीजों से परहेज करना चाहिए, वरना उनके ब्लड में शुगर की मात्रा बढ़ सकती है. जिन महिलाओं को शुगर संबंधी समस्या नहीं है वह एक सीमित मात्रा में इसका सेवन कर सकती हैं.

इन पेय पदार्थों से रहें दूर: प्रेग्नेंसी में महिलाओं को आमतौर पर चाय और कॉफी से दूर रहने की सलाह दी जाती है. डॉ. तृप्ति ने बताया कि, प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को ऐसे किसी भी चीज का सेवन नहीं करना चाहिए जिसमें कैफीन हो, जैसे चाय और कॉफी. वहीं इस अवस्था में सॉफ्ट ड्रिंक्स को भी अवॉइड करना चाहिए, इनमें गैस की मात्रा ज्यादा होती है. इससे गर्भवती महिला के साथ बच्चे को भी नुकसान पहुंच सकता है.

गर्भवती महिलाएं अपनी बॉडी में वॉटर लेवल को मेंटेन रखने के लिए प्रेगनेंट महिलाएं नारियल पानी, लस्सी, छाछ, ताजे फलों का जूस पी सकती हैं. ये शरीर को हाइड्रेटेड रखने में मदद करने के साथ, शरीर का तापमान भी नॉर्मल रखने में मदद करता है. डॉ. तृप्ति ने बताया कि फलों का जूस पीने से बेहतर फल खाना होता है. इससे बॉडी में किसी भी तरह के इन्फेक्शन होने की उम्मीद न के बराबर होती है. साथ ही बॉडी को फाइबर भी मिलता है.

प्रेग्नेंसी में सामान्य से ज्यादा गर्मी लगने की वजह: प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में खून की मात्रा बढ़ जाती है. इससे नसें फैल कर सतह तक आ जाती हैं, जिसकी वजह से ज्यादा गर्मी लगती है. डॉ. तृप्ति की मानें तो गर्भावस्था एक तरह का हार्मोनल बदलाव है. इसी हार्मोनल उतार-चढ़ाव की वजह से गर्भवती महिलाओं को सामान्य महिला की तुलना में ज्यादा गर्मी लगती है. ऐसे में कई महिलाओं में बेचैनी और घबराहट जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं, जो बिलकुल सामान्य हैं. इस तरह की समस्यायों से बचने के लिए गर्भवती महिलाओं को पंखे या कूलर की हवा में अधिक समय बिताना चाहिए.

यह भी पढ़ें-रोज आधा घंटा योग करने से कई समस्याएं हो जाएंगी दूर, AIIMS के रिसर्च में आया सामने

बढ़ते ब्लड प्रेशर का कैसे रखें ध्यान: वर्तमान में ब्लड प्रेशर (बीपी) यानी एक ऐसी बीमारी हो गई है, जिसकी रेगुलर जांच जरूरी है. वहीं अगर बात गर्भवती महिलाओं की करें, तो कइयों को गर्भवस्था के दौरान बीपी की समस्या शुरू हो जाती है. डॉ. तृप्ति ने बताया कि गर्भावस्था में समय-समय पर ब्लड प्रेशर चेक करवाते रहना चाहिए. सही समय पर इलाज मिलने से इसे कंट्रोल किया जा सकता है. उन्होंने यह भी बताया कि गर्भवती महिलाओं को गर्मियों में ढीले-ढाले कपड़े पहनने चाहिए. इसमें कॉटन के कपड़े सबसे ज्यादा आरामदायक होते हैं और इससे स्किन एलर्जी नहीं होती है. ऐसे कपड़े पहनने से स्किन को सांस लेने में भी आसानी होती है.

इन बातों का रखें ध्यान
इन बातों का रखें ध्यान

ये भी जानें:

  1. दिल्ली सरकार के आंकड़ों के अनुसार, सरकारी अस्पतालों में सी-सेक्शन की दर सिर्फ 20 फीसदी है. जबकि निजी अस्पतालों में सिजेरियन की दर लगभग 50 फीसदी है.
  2. सरकारी अस्पताल में साल 2022 में लगभग 2 लाख बच्चे पैदा हुए और 1,60,000 सामान्य प्रसव के माध्यम से हुए थे.
  3. निजी अस्पतालों में साल 2022 में लगभग 46,000 बच्चे पैदा हुए, जिसमें करीब 23,000 बच्चे सी-सेक्शन के माध्यम से पैदा हुए थे.
  4. दिल्ली में जन्म दर साल 2001 में प्रति 1000 निवासियों पर 18.7 जन्म से गिरकर 2020 में प्रति 1000 निवासियों पर 14.2 जन्म हो गई है.

यह भी पढ़ें-Toys For Kids: छुट्टियों में बच्चों को दें ऐसे खिलौने, जो उन्हें बनाए मेंटली स्ट्रॉन्ग

डॉ तृप्ति शरण से खास बातचीत

नई दिल्ली: प्रेग्‍नेंसी के नौ महीने महिलाओं के लिए बहुत खास और संवेदनशील होते हैं. इस समय शरीर में शिशु को जगह देने के लिए कई बदलाव आते हैं. गर्भावस्‍था में होने वाले बदलाव में महिलाओं को कई तरह की तकलीफ भी झेलनी पड़ती है. ऐसे में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखने से गर्भवती महिलाएं गर्मियों को भी एन्जॉय कर सकती हैं.

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ तृप्ति शरण ने ईटीवी भारत को बताया कि गर्भवती महिलाओं को भीषण गर्मी में अपना ध्यान देना बहुत जरूरी है. केवल महिला को ही नहीं, बल्कि घर वालों का उसका विशेष ध्यान रखना चाहिए. जब एक गर्भवती महिला पानी पीती है तो उनके अंदर पलने वाले नवजात शिशु को जाने वाले ब्लड की मात्रा अच्छी होती है. गर्मियों में अत्यधिक पसीना आने से बॉडी में ब्लड वॉल्यूम कम हो जाता है, ऐसे में पानी पीना बहुत जरूरी है. डॉ. तृप्ति ने बताया कि गर्भवती महिला को दिनभर में औसतन 2 लीटर पानी पीना चाहिए. वहीं अगर गर्भ में पलने वाले बच्चे में कोई कमजोरी पता चलती है, तो महिला को और भी ज्यादा पानी पीना चाहिए.

वैसे तो बाजार में कई तरह के पेय मौजूद हैं, जिनका गर्भावस्था के दौरान सेवन किया जा सकता है. लेकिन बॉडी को हाइड्रेट रखने के लिए पानी से अच्छा विकल्प कुछ भी नहीं. साफ और अच्छे से उबला हुआ पानी सभी पेय पदार्थों के बेहतर है. डॉक्टर्स का मानना है कि एक गर्भवती महिला को मीठी चीजों से परहेज करना चाहिए, वरना उनके ब्लड में शुगर की मात्रा बढ़ सकती है. जिन महिलाओं को शुगर संबंधी समस्या नहीं है वह एक सीमित मात्रा में इसका सेवन कर सकती हैं.

इन पेय पदार्थों से रहें दूर: प्रेग्नेंसी में महिलाओं को आमतौर पर चाय और कॉफी से दूर रहने की सलाह दी जाती है. डॉ. तृप्ति ने बताया कि, प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को ऐसे किसी भी चीज का सेवन नहीं करना चाहिए जिसमें कैफीन हो, जैसे चाय और कॉफी. वहीं इस अवस्था में सॉफ्ट ड्रिंक्स को भी अवॉइड करना चाहिए, इनमें गैस की मात्रा ज्यादा होती है. इससे गर्भवती महिला के साथ बच्चे को भी नुकसान पहुंच सकता है.

गर्भवती महिलाएं अपनी बॉडी में वॉटर लेवल को मेंटेन रखने के लिए प्रेगनेंट महिलाएं नारियल पानी, लस्सी, छाछ, ताजे फलों का जूस पी सकती हैं. ये शरीर को हाइड्रेटेड रखने में मदद करने के साथ, शरीर का तापमान भी नॉर्मल रखने में मदद करता है. डॉ. तृप्ति ने बताया कि फलों का जूस पीने से बेहतर फल खाना होता है. इससे बॉडी में किसी भी तरह के इन्फेक्शन होने की उम्मीद न के बराबर होती है. साथ ही बॉडी को फाइबर भी मिलता है.

प्रेग्नेंसी में सामान्य से ज्यादा गर्मी लगने की वजह: प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में खून की मात्रा बढ़ जाती है. इससे नसें फैल कर सतह तक आ जाती हैं, जिसकी वजह से ज्यादा गर्मी लगती है. डॉ. तृप्ति की मानें तो गर्भावस्था एक तरह का हार्मोनल बदलाव है. इसी हार्मोनल उतार-चढ़ाव की वजह से गर्भवती महिलाओं को सामान्य महिला की तुलना में ज्यादा गर्मी लगती है. ऐसे में कई महिलाओं में बेचैनी और घबराहट जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं, जो बिलकुल सामान्य हैं. इस तरह की समस्यायों से बचने के लिए गर्भवती महिलाओं को पंखे या कूलर की हवा में अधिक समय बिताना चाहिए.

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बढ़ते ब्लड प्रेशर का कैसे रखें ध्यान: वर्तमान में ब्लड प्रेशर (बीपी) यानी एक ऐसी बीमारी हो गई है, जिसकी रेगुलर जांच जरूरी है. वहीं अगर बात गर्भवती महिलाओं की करें, तो कइयों को गर्भवस्था के दौरान बीपी की समस्या शुरू हो जाती है. डॉ. तृप्ति ने बताया कि गर्भावस्था में समय-समय पर ब्लड प्रेशर चेक करवाते रहना चाहिए. सही समय पर इलाज मिलने से इसे कंट्रोल किया जा सकता है. उन्होंने यह भी बताया कि गर्भवती महिलाओं को गर्मियों में ढीले-ढाले कपड़े पहनने चाहिए. इसमें कॉटन के कपड़े सबसे ज्यादा आरामदायक होते हैं और इससे स्किन एलर्जी नहीं होती है. ऐसे कपड़े पहनने से स्किन को सांस लेने में भी आसानी होती है.

इन बातों का रखें ध्यान
इन बातों का रखें ध्यान

ये भी जानें:

  1. दिल्ली सरकार के आंकड़ों के अनुसार, सरकारी अस्पतालों में सी-सेक्शन की दर सिर्फ 20 फीसदी है. जबकि निजी अस्पतालों में सिजेरियन की दर लगभग 50 फीसदी है.
  2. सरकारी अस्पताल में साल 2022 में लगभग 2 लाख बच्चे पैदा हुए और 1,60,000 सामान्य प्रसव के माध्यम से हुए थे.
  3. निजी अस्पतालों में साल 2022 में लगभग 46,000 बच्चे पैदा हुए, जिसमें करीब 23,000 बच्चे सी-सेक्शन के माध्यम से पैदा हुए थे.
  4. दिल्ली में जन्म दर साल 2001 में प्रति 1000 निवासियों पर 18.7 जन्म से गिरकर 2020 में प्रति 1000 निवासियों पर 14.2 जन्म हो गई है.

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