नई दिल्ली: इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण अभियान (एनएमसीएम) और जनपद सम्पदा विभाग के द्वारा तीन दिवसीय नदी उत्सव का आयोजन किया जा रहा है. इसकी शुरुआत 22 सितंबर को आईजीएनसीए के कॉन्फ्रेंस हॉल उमंग में हुई. उद्घाटन सत्र में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि नदियां नहीं होतीं, तो जीवन भी नहीं होता. जल सारी सृष्टि का स्रोत है. इस मौके पर स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि हमें गंगा, जमुना और नदियों को नहीं बचाना है, बल्कि खुद को बचाना है. क्योंकि नदिया बचेंगी, तो हम बचेंगे.
नदी उत्सव आयोजन में तीन प्रकार की प्रदर्शनियां लगाई गई है. पहली प्रदर्शनी में सांझी कला परम्परा के माध्यम से भारत के 15 घाटों को उकेरा गया है. इस प्रदर्शनी को उन सांझी कलाकारों ने अंजाम दिया जो बस अब गिनती के ही बचे हैं. वहीं दूसरी प्रदर्शनी में नदी यात्रा से सहेजी गई फोटोज को प्रदर्शित किया गया है. तीसरी प्रदर्शनी में छात्र-छात्राओं द्वारा बनाई गई पेंटिंग को दिखाया गया है. इन तस्वीरों में भारत के वर्तमान और भविष्य को देखा जा सकता है.
पहले दिन डॉक्यूमेंट्री फिल्म फेस्टिवल का शुभारम्भ जुबनाश्व मिश्रा निर्देशित एक घंटे की फिल्म ‘महानदी’ की स्क्रीनिंग से हुआ वहीं देर शाम को भोपाल के पद्मरंग नृत्य अकादमी की श्वेता देवेंद्र और उनकी शिष्याओं ने अपनी भरतनाट्यम नृत्य प्रस्तुति से सबका मन मोह लिया. उन्होंने ‘दशावतारम्’ और ‘कालियामर्दन’ नृत्य को रोचक अंदाज में प्रस्तुत किया.
इस आयोजन में रामबहादुर राय ने यमुना की दुर्दशा के बारे में बात की. उन्होंने न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव के एनजीटी का अध्यक्ष बनने के बाद यमुना की स्थिति में सुधार आने की उम्मीद जताई. ‘नदी उत्सव’ आयोजन में प्राचीन ग्रंथों में नदियों का उल्लेख, नदियों के किनारे सांस्कृतिक विरासत, लोक और सांस्कृतिक परम्परा में नदियां सहित कई विषयों पर चर्चा हो रही है. इन तीन दिनों में 18 डॉक्यूमेंट्री फिल्मों की स्क्रीनिंग होनी है, जिनमें से 6 फिल्मों का निर्माण आईजीएनसीए द्वारा किया गया है.
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