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Teachers day 2023: दिल्ली के कांस्टेबल- शिक्षक थान सिंह की पाठशाला बनी 90 से अधिक गरीब परिवारों के लिए शिक्षा का आसरा

लाल किले के पास एक छोटी सी पार्किंग है, वहीं चलती है थान सिंह की पाठशाला. थान सिंह ने मुश्किल समय का भी बहादुरी से सामना किया और इसके बाद वह समाज की सेवा कर रहे हैं. चलिए जानते हैं थान सिंह की कहानी और वहां मौजूद बच्चों ने अब तक क्या सीखा...

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 5, 2023, 4:09 PM IST

Updated : Sep 5, 2023, 6:41 PM IST

गरीब बच्चों के मसीहा थान सिंह.

नई दिल्ली: दिल्ली की झुग्गी बस्ती में रहने वाला एक गरीब परिवार… माता-पिता मजदूरी करते थे, पर बच्चा पढ़-लिख कर कुछ बनना चाहता था. एक सम्मान की नौकरी पाना चाहता था. वह चाहता था कि बड़ा होकर कुछ बने और फिर झुग्गियों में रहने वाले अपने जैसे गरीब बच्चों को पढ़ा सके. उस बच्चे ने खूब मेहनत की. पढ़ाई की. दिल्ली पुलिस में उसकी नौकरी लग गई. और फिर उसने गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए एक पाठशाला शुरू की. दिल्ली पुलिस के उस सिपाही का नाम है थान सिंह, जो आज हजारों लोगों के लिए मिसाल बन गए हैं.

उन्होंने 8 साल पहले लाल किले की पार्किंग में एक पाठशाला के रूप में मुहिम की शुरुआत हुई थी. पाठशाला का नाम 'थान सिंह की पाठशाला' रखा. आज यहां 90 से ज्यादा वंचित परिवारों के बच्चे पढ़ाई कर रहे. थान सिंह ने दृढ़ निश्चय कर लिया था कि अपना भविष्य बनाने के बाद वह झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चों की जिंदगी संवारेंगे. दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल बनने, यानी सरकारी नौकरी मिलने के बाद वह अपना मकसद पूरा करने में जुट गए थे.

दिल्ली पुलिस ने सुनाई थी कहानीः दिल्ली पुलिस ने अपने साप्ताहिक पॉडकास्ट कार्यक्रम ‘किस्सा खाकी का’ के एक एपिसोड में कांस्टेबल थान सिंह की कहानी सुनाई थी. लाल किले की पार्किंग में एक छोटा सा मंदिर है. वहीं 'थान सिंह की पाठशाला' चलती है. थान सिंह ने साल 2016 में 4 बच्चों के साथ इस खास स्कूल की शुरुआत की थी.

थान सिंह बच्चों को किताबें, कॉपी व स्टेशनरी का सामान भी उपलब्ध करवाते हैं. यह उनकी मेहनत का ही नतीजा है कि मजदूरी करने व कचरा बीनने वाले अनाथ और बेसहारा बच्चों को फ्री शिक्षा देने का बीड़ा उठाया हुआ है. इन बच्चों को पढ़ाने के लिए माता सुंदरी देवी कॉलेज की छात्राएं वॉलिंटियर के रूप में अपनी सेवाएं दे रही हैं. सभी पढ़ने वाले बच्चे इंस्पेक्टर थान सिंह को अपना आदर्श और अंकल कहकर पुकारते हैं.

थान सिंह की यह पाठशाला आसपास उन बच्चों में काफी मशहूर है, जिनके परिजन खुले आसमान के नीचे रहते हैं. वह अपने बच्चों को स्कूल तक नहीं भेज सकते हैं. वहीं इस पाठशाला में पढ़ने वाली एक बच्ची नीलू ने बताया कि वह पिछले दो सालों से यहां पढ़ने के लिए आती हैं. उनके पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन इस पाठशाला में उन्हें अच्छी शिक्षा और संस्कार मिलता है. नीलू ने बताया कि वह पढ़-लिखकर भविष्य में एक आईपीएस ऑफिसर बनना चाहती हैं. वह अगर ऐसा कर पाई तो इसका सारा श्रेय हेड कांस्टेबल थान सिंह को देना चाहेंगी.

बच्चों को मुफ्त में भोजन की व्यवस्थाः हेड कांस्टेबल थान सिंह ने इस पाठशाला को सफलता पूर्वक चलाने में का श्रेय विभाग के सीनियर आफिसरों को देते हैं. थान सिंह की पाठशाला में पढ़ने वाले सभी बच्चों को मुफ्त में भोजन की व्यवस्था शीशगंज गुरुद्वारा से प्रदान किया जाता है. बच्चों को यूनिफॉर्म बुक्स कोतवाली थाने के एसएचओ जतन सिंह की तरफ से प्रदान की जाती है. यहां पढ़ने वाले सभी बच्चे बेला घाट, विजय घाट और नजदीक के इलाकों के दैनिक मजदूरी करने वाले लोगों के हैं, इन इलाकों से बच्चों को पाठशाला लाने और घर तक छोड़ने का काम निःशुल्क रूप से नदीम, कासिफ, मो. कामरान, ई रिक्शा के जरिये करते हैं. यहां पढ़ने वाले बच्चों की आंखों में भविष्य में कुछ बड़ा बनने का सपना साफ तौर पर झलकता है.

गरीब बच्चों के मसीहा थान सिंह.

नई दिल्ली: दिल्ली की झुग्गी बस्ती में रहने वाला एक गरीब परिवार… माता-पिता मजदूरी करते थे, पर बच्चा पढ़-लिख कर कुछ बनना चाहता था. एक सम्मान की नौकरी पाना चाहता था. वह चाहता था कि बड़ा होकर कुछ बने और फिर झुग्गियों में रहने वाले अपने जैसे गरीब बच्चों को पढ़ा सके. उस बच्चे ने खूब मेहनत की. पढ़ाई की. दिल्ली पुलिस में उसकी नौकरी लग गई. और फिर उसने गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए एक पाठशाला शुरू की. दिल्ली पुलिस के उस सिपाही का नाम है थान सिंह, जो आज हजारों लोगों के लिए मिसाल बन गए हैं.

उन्होंने 8 साल पहले लाल किले की पार्किंग में एक पाठशाला के रूप में मुहिम की शुरुआत हुई थी. पाठशाला का नाम 'थान सिंह की पाठशाला' रखा. आज यहां 90 से ज्यादा वंचित परिवारों के बच्चे पढ़ाई कर रहे. थान सिंह ने दृढ़ निश्चय कर लिया था कि अपना भविष्य बनाने के बाद वह झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चों की जिंदगी संवारेंगे. दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल बनने, यानी सरकारी नौकरी मिलने के बाद वह अपना मकसद पूरा करने में जुट गए थे.

दिल्ली पुलिस ने सुनाई थी कहानीः दिल्ली पुलिस ने अपने साप्ताहिक पॉडकास्ट कार्यक्रम ‘किस्सा खाकी का’ के एक एपिसोड में कांस्टेबल थान सिंह की कहानी सुनाई थी. लाल किले की पार्किंग में एक छोटा सा मंदिर है. वहीं 'थान सिंह की पाठशाला' चलती है. थान सिंह ने साल 2016 में 4 बच्चों के साथ इस खास स्कूल की शुरुआत की थी.

थान सिंह बच्चों को किताबें, कॉपी व स्टेशनरी का सामान भी उपलब्ध करवाते हैं. यह उनकी मेहनत का ही नतीजा है कि मजदूरी करने व कचरा बीनने वाले अनाथ और बेसहारा बच्चों को फ्री शिक्षा देने का बीड़ा उठाया हुआ है. इन बच्चों को पढ़ाने के लिए माता सुंदरी देवी कॉलेज की छात्राएं वॉलिंटियर के रूप में अपनी सेवाएं दे रही हैं. सभी पढ़ने वाले बच्चे इंस्पेक्टर थान सिंह को अपना आदर्श और अंकल कहकर पुकारते हैं.

थान सिंह की यह पाठशाला आसपास उन बच्चों में काफी मशहूर है, जिनके परिजन खुले आसमान के नीचे रहते हैं. वह अपने बच्चों को स्कूल तक नहीं भेज सकते हैं. वहीं इस पाठशाला में पढ़ने वाली एक बच्ची नीलू ने बताया कि वह पिछले दो सालों से यहां पढ़ने के लिए आती हैं. उनके पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन इस पाठशाला में उन्हें अच्छी शिक्षा और संस्कार मिलता है. नीलू ने बताया कि वह पढ़-लिखकर भविष्य में एक आईपीएस ऑफिसर बनना चाहती हैं. वह अगर ऐसा कर पाई तो इसका सारा श्रेय हेड कांस्टेबल थान सिंह को देना चाहेंगी.

बच्चों को मुफ्त में भोजन की व्यवस्थाः हेड कांस्टेबल थान सिंह ने इस पाठशाला को सफलता पूर्वक चलाने में का श्रेय विभाग के सीनियर आफिसरों को देते हैं. थान सिंह की पाठशाला में पढ़ने वाले सभी बच्चों को मुफ्त में भोजन की व्यवस्था शीशगंज गुरुद्वारा से प्रदान किया जाता है. बच्चों को यूनिफॉर्म बुक्स कोतवाली थाने के एसएचओ जतन सिंह की तरफ से प्रदान की जाती है. यहां पढ़ने वाले सभी बच्चे बेला घाट, विजय घाट और नजदीक के इलाकों के दैनिक मजदूरी करने वाले लोगों के हैं, इन इलाकों से बच्चों को पाठशाला लाने और घर तक छोड़ने का काम निःशुल्क रूप से नदीम, कासिफ, मो. कामरान, ई रिक्शा के जरिये करते हैं. यहां पढ़ने वाले बच्चों की आंखों में भविष्य में कुछ बड़ा बनने का सपना साफ तौर पर झलकता है.

Last Updated : Sep 5, 2023, 6:41 PM IST
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